Vishnu Varah Mandir Majholi

Vishnu Varah Majholi Jabalpur : भगवान विष्णु वराह कल्चुरी काल की रहस्यमयी काली प्रतिमा

Vishnu Varah Majholi : दुनिया भर में अनेक हिन्दू मंदिर किसी न किसी देवी या देवता को समर्पित हैं, लेकिन जब भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित मंदिरों की बात आती हैं तो, मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले से लगभग 45 किलोमीटर की दुरी पर स्थित हैं।

भगवान विष्णु वराह मंदिर मझौली, यह मंदिर हजारों नक्काशियो वाली कल्चुरी काल के उत्कृष्ट काले पत्थरों से निर्मित बड़ी आकार की मूर्ति कारण पूरे भारत में बहुत प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय तीर्थ स्थल है। जो अपनी स्थापत्य सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। आज इस मंदिर को पुरातत्व विभाग रखरखाव और संरक्षण किया जा रहा है।

यह मंदिर भगवान विष्णु वराह (Vishnu Varah Majholi) के अवतार (एक सूअर के रूप में अवतार) को समर्पित जो जबलपुर के प्रमुख्य पर्यटक स्थानों में से एक है। भगवान विष्णु को समर्पित यह प्राचीन मंदिर क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का प्रमाण है।

जो जटिल नक्काशियों वाली मूर्तियों एवं आश्चर्यजनक स्थापत्य शिल्प कला का उल्लेखनीय जीता जगता प्रमाण हैं। इस पवित्र मूर्ति के दर्शन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस विशेष मंदिर से मझौली शहर को एक अलग पहचान मिली हैं, जबलपुर आने वाले अनेक पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

संस्कृति की भूमि होने के कारण जबलपुर जिले को संस्कारधानी भी कहा जाता है। मंदिर के अन्दर भगवान विष्णु का तृतीय अवतार वराह की प्रतिमा काले पत्थर से बनी काफी बड़े आकार लगभग 3.5 मीटर लंबी होने के साथ-साथ इसे एक ही पत्थर से तराशा गया।

विष्णु वराह की प्रतिमा यह एक खड़ी हुई मुद्रा में एक चमत्कारिक व पुरातात्विक महत्त्व की इस प्रतिमा को कल्चुरी काल के समय की बताई जाती है, जो लगभग 10 वीं सदी के आसपास के समय से है। भगवान विष्णु वराह मंदिर वास्तुकला की नागर शैली से बना हुआ है।

भगवान विष्णु वराह मंदिर की विष्णु वराह मंदिर को एक अद्वितीय कृति बनाने वाली विशिष्ट विशेषताओं और मूर्तिकला के चमत्कारों शानदार वराह प्रतिमा, मंदिर की दीवारों पर जटिल विवरण, और इसके आंतरिक भाग को सुशोभित करने वाले खगोलीय आकृतियों यहाँ मौजूद हैं।

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भगवान विष्णु वराह जबलपुर

मझौली में स्थित इस प्राचीन धार्मिक स्थल के साथ-साथ इस प्रतिमा को लेकर लोगों द्वारा एक किवदंती काफी प्रचलित हैं, जिसमें एक युवक को शंकरगढ़ (नरीला) के पास वाले एक तालाब में मछली पकड़ते समय यह प्रतिमा मिली थी। कहा जाता है, पहले इस प्रतिमा का आकार इतना छोटा था कि आप इस अपने हथेली पर रख सकतें थे, लेकिन समय के साथ-साथ इस मूर्ति का आकार बढ़ता गया।

वर्तमान समय में इस मूर्ति का आकार काफी बढ़ा हो चूका हैं। प्राचीन ग्रंथ और लोगों के अनुसार माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी के दौरान हुआ था। आज यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तहत एक संरक्षित स्मारक है।

Bhagwaan Vishnu Varah
Vishnu Varah Temple in Majhauli Jabalpur

जब भी आप इस मंदिर में भगवान विष्णु वराह के दर्शन करने आयें तो, इस मूर्ति के पुरे शारीर को गौर से देखें। आपकों इस में विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं की बेहद ही जटिल नक्काशी द्वारा निर्मित आकृतियां, आपकों इस मूर्ति में देखने को मिल जायेंगी।

भगवान विष्णु वराह के अवतार को समर्पित प्राचीन काल में बहुत सी मूर्तियों का निर्माण कई स्थानों पर कराया गया था। इसके अलावा कहा जाता हैं कि भागवान विष्णु की मूर्ति चमत्कारिक रूप से प्रकट हुई। जिससे लोगों के मन में भागवान विष्णु के प्रति आस्था की भावना जुड़ी हुई है। पुरे भारतवर्ष में भगवान विष्णु वराह के बहुत सारे मंदिर है। जो प्राचीन, चमत्कारिक, आलौकिक और ऐतिहासिक काल से जुड़े हुए हैं।

माना जाता है कि भगवान विष्णु का वराह अवतार राक्षस हिरण्याक्ष से पृथ्वी देवी, भूदेवी को बचाने के लिए हुआ था। वराह को मानव जैसे शरीर और सूअर के सिर के साथ एक सूअर के रूप में दर्शाया गया है। वराह को समर्पित मंदिरों में, देवता को अक्सर इस रूप में चित्रित किया जाता है।

भगवान विष्णु की कथा और वराह अवतार


मंदिर के पीठासीन देवता, भगवान विष्णु और उनके वराह अवतार से जुड़ी मनोरम कथा को जानें।

यदि हम भगवान विष्णु वराह मंदिर के विषय में चर्चा करे तो यह मंदिर भारत वर्ष में अलग-अलग अन्य क्षेत्रों में स्थित है जिसकी जानकारी इस प्रकार है।

  • भगवान् विष्णु वराह मंदिर मझौली (Vishnu Varah Majholi)
  • प्राचीन वराह मंदिर : प्रमुख वराह मंदिरों में से एक आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में वराह मंदिर है। यह मंदिर प्रसिद्ध वेंकटेश्वर मंदिर के पास स्थित है और इसे तिरुमाला के शुरुआती मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर अपनी प्राचीन वास्तुकला के लिए जाना जाता है और यहां भक्त भगवान वराह का आशीर्वाद लेने आते हैं।
  • भगवान विष्णु वराह मंदिर करितालाई
  • पुष्कर में स्थित वराह मंदिर
  • वराह गुफा मंदिर : एक अन्य महत्वपूर्ण वराह मंदिर तमिलनाडु के महाबलीपुरम में वराह गुफा मंदिर है। यह रॉक-कट मंदिर 7 वीं शताब्दी का है और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। इसमें हिंदू पौराणिक कथाओं के दृश्यों को दर्शाती अन्य नक्काशी के साथ-साथ भगवान वराह की एक शानदार मूर्ति है।

श्री पद्मावती देवी मंदिर पन्ना 52 शक्तिपीठ में से एक हैं

भगवान् विष्णु वराह मंदिर मझौली (Vishnu Varah Majholi)

कहते हैं, जब दुनिया में पापियों द्वारा पाप की सीमा अधिक बढ़ जाती हैं तो दुनिया को पापियों के पाप से बचने के लिए भगवान हरि प्रथ्वी लोक में किसी भी रूप में अवतरित होते हैं और पापियों का सर्वनाश करते हैं। इसी तरह सतयुग में हिर्नाक्ष्य नामक असुर का संहार करने के लिए भगवान विष्णु के दशावतार में से वराह का अवतार धारण कर हिर्नाक्ष्य का वध किया था।

जब भी हम किसी मंदिर में जाते हैं तो अक्सर हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का एक अद्भुत सा प्रबाह होता है। जिससे हमारे मन को बहुत ही अच्छा महसूस होने लगता हैं। ऐसी ही अलौकिकता को समेटे हुए है, भगवान विष्णु के तीसरे अवतार को समर्पित मंदिर मझौली में मौजूद है।

इस मंदिर का परिसर काफी बड़ा है और पुरे परिसर में एक दिव्यता को महसूस किया जा सकता है। मंदिर की बनावट बहुत ही सुन्दर है। वराह अवतार रूप की यह प्रतिमा अत्यंत दुर्लभ एक अदुत्तीय उत्कृष्ठ वैभव कला कृति से अलंकृत ग्यारहवीं शाताब्दी में काले रंग के पत्थर से निर्मित है।

दमोह जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल

भगवान विष्णु के वराह अवतार

जैसे की आप सभी जानते हैं, भगवान् विष्णु के तीसरे अवतार को वराह अवतार के रूप में जाना जाता हैं, मझौली में स्थित भगवान् विष्णु वराह की प्रतिमा एक विशाल आकार में स्थापित हैं जो कल्चुरी कालीन और गोंडकालीन से जुड़ी हुई हैं। एक लोक कथा के अनुशार-

विष्णु वराह मंदिर में स्थापित वराह जी की प्रतिमा मझौली के समीप स्थित नरीला तालाब से एक मछुआरे को मछली पकड़ते समय उसके जाल में फसी हुई बहुत ही छोटे आकार में मिली थी। जो धीरे-धीरे व्रहद आकार लेने लगी। इस कारण से इस प्रतिमा के सिर पर एक छोटी सी सोने की कील ठोकने से यह प्रतिमा अपने आकार में और बड़ी नहीं हो पाई।

Vishnu Varah Mandir

विष्णु वराह मंदिर मझौली (Vishnu Varah Majholi)

  1. मंदिर के गर्भगृह में स्थित मूर्ति का आकार काफी बड़ा है। इस मूर्ति में अनेक देवी देवताओ और अन्य आक्रतियाँ भी बनी हुई है। जिन्हें सिर्फ हाथों से स्पर्श करने पर ही महसूस किया जा सकता है। भगवान् विष्णु वराह की मूर्ति के खड़ी हुई मुद्रा में स्थापित हैं।
  2. मूर्ति के निचे अमृत कलश लिए शेषनाग एवं उनके पीछे उनकी पत्नि माता लक्ष्मी जी की मूर्ति विराजमान है। शेषनाग के ऊपर तथा वराह के मुख के नीचे शेषसैया मे भगवान विष्णु विराजित है। भगवान विष्णु वराह का यह सौन्दर्य पूर्ण और आलौकिक रूप हमारे मन को मोहित कर लेता है। यह सभी श्रधालुओं के आकर्षक का स्थान हैं
  3. भगवान विष्णु वराह के संपूर्ण शरीर पर देवताओं, ऋषि-मुनि, साधु-सिद्धओं एवं यक्ष-गंधर्व अलंकृत हैं। भगवान विष्णु के वराह अवतार की प्रतिमायें भारत के अन्य मंदिर व समूहों में है लेकिन उन सभी का आकार इस प्रतिमा की तुलना में आकार कम होगा। गर्भगृह के अंदर की दीवारों में इंद्रदेव की ऐरावत पर बैठी हुई प्रतिमा स्थापित है। इनके साथ साथ अन्य प्राचीन मूर्तियाँ भी स्थापित है।
  4. भगवान विष्णु वराह के मुख्य मंदिर के बाहरी दीवारों में सामने की ओर श्री गणेश जी, श्री हनुमान जी की प्राचीन मूर्तियाँ स्थापित है। अलावा अन्य मूर्ति भी स्थापित है। यह पूरा मंदिर परिसर बहुत ही खुबसूरत और मनमोहक है। मंदिर के परिसर में एक बहुत ही सुंदर कदम्ब का वृक्ष लगा हुआ है। इसके फल को जब हम हाथों से छुते हैं तो इसे छुते ही हमारे मुख में मीठा स्वाद आ जाता है।

वरुथनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा करने का विशेष महत्त्व होता है। लोगों की सभी मनोकामनायें पूरी होती है।

विष्णु वराह मझौली परिसर में मौजूद अन्य स्थल (Vishnu Varah Majholi)

यह मंदिर का पूरा परिसर बहुत ही खुबसूरत है साथ ही एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी। मंदिर के चारों ओर प्राचीन मूर्तिया जड़ी हुई है। जिनमें माता सरस्वती की मूर्ति, अन्य देवी देवताओं की प्राचीन मूर्तियाँ स्थापित है जिन में से कुछ मूर्तियाँ मुगलों द्वारा तोड़ दी गई थी। मुख्य दरवाजे के सामने भगवान विष्णु के दस अवतार के चित्र स्तम्भ में उद्धरित है। जो गुप्त और चंदेल शासको के समय निर्मित हुई है। मंदिर के पुरे परिसर में अन्य छोटे मंदिर भी मौजूद है।

  • अष्टभुजाधरी माँ दुर्गा की प्रतिमा
  • श्री राधा कृष्ण
  • शिवलिंग
  • रामदरवार (राम सीता एवं लक्ष्मण)

अष्टभुजाधरी माँ दुर्गा की प्रतिमा (Vishnu Varah Majholi)

Ashta Bhuja Durga
Vishnu Varah Majholi Jabalpur

मंदिर के परिसर में जगतजननी माँ दुर्गा की अष्टभुजाधारी प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा बहुत ही सुन्दर दिखती है। साथ ही यह प्रतिमा एक अलौकिक छठा विखेरती है। इनके मंदिर के बाहर की तरफ सिद्ध बाबा की धूनी बनी हुई है।

श्री राधा कृष्ण (Vishnu Varah Majholi)

मंदिर परिसर में भगवान विष्णु के ही अवतार श्री कृष्णा और प्रभु श्री राम जी की प्रतिमा स्थापित है। भगवान कृष्णा श्री राधा रानी के साथ मंदिर के एक ओर और प्रभु राम ,माता सीता और भैया लक्ष्मण के साथ मंदिर के दुसरे ओर विराजमान हैं।

शिवलिंग (Vishnu Varah Majholi)

मुख्य मंदिर से बाएँ ओर एक शिव मंदिर भी है जिसमे एक बड़े आकार का शिवलिंग शेषनाग के साथ स्थापित है। प्रतिदिन दूर-दूर से अधिक लोग यहाँ पर पूजा करने के लिए बड़े ही उत्साह के साथ में आते हैं।

रामदरवार (राम सीता एवं लक्ष्मण) (Vishnu Varah Majholi)

Majholi Jila Jabalpur Madhya Pradesh
रामदरवार (राम सीता एवं लक्ष्मण)

गर्भगृह के बाहर दाएँ ओर राम दरवार में भगवान प्रभु श्री राम और उनके साथ माता सीता, भैया लक्ष्मण और श्री हनुमान जी दादा की भव्यता से भरपूर बहुत ही खुबसूरत मूर्तियाँ विद्यमान है। इनको सभी मूर्तियों को एक साथ देखना अलौकिकता को अपने अंदर महसूस करने जैसा है।

अखंड रामायण (Akhand Ramayan Path Vishnu Varah Majholi)

विष्णु वराह मझौली मंदिर (Vishnu Varah Majholi mandir) में अखंड रामायण का पाठ पिछले कई वर्षों से लगतार चलते आ रहा है और अभी भी निरंतर रूप से चलता जा रहा हैं।

कीर्ति स्तम्भ (Vishnu Varah Majholi)

Vishnu Varah Mandir Majholi
Kirti Stambh Dashavtar

विष्णु वराह मंदिर मझौली के प्रवेश द्वार के विल्कुल सामने एक कीर्ति स्तम्भ स्थापित है। जिस पर भगवान विष्णु द्वारा लिए गये 10 अवतार की छवि अंकित है। जिसे आप सयंम ध्यानपूर्वक देखेगें तो आपको सभी छवियाँ जरुर दिख जाएगीं।

अन्य मूर्तियाँ (Vishnu Varah Majholi)

पूरा मंदिर (Vishnu Varah Majholi) परिसर बहुत ही सुंदर, खुबसूरत और अलौकिकता का एक उदहारण है। इस मंदिर के अंदर प्रवेश करते ही मन अति प्रसन्नता और उत्साह से भर जाता है। पूरा मंदिर परिसर सकारात्मकता का भंडार है। यहाँ से घर लोटने का मन ही नहीं करता हैं, इस पूरे मंदिर परिसर में छोटे-छोटे मंदिर और मूर्तियाँ स्थापित है। जो मन में एक रहस्य सा पैदा करता है।

विष्णु वराह मूर्ति प्रकट स्थल (Vishnu Varah Majholi)

Shankar Garh Talab Nareela Majholi Jabalpur
Shankar Garh Talab Nareela Majholi Jabalpur

Vishnu Varah Majholi : विष्णु वराह की मूर्ति मझौली के पास स्थित शंकरगढ़ नरीला तालाव में एक मछुआरे को मछली पकड़ते समय उसके जाल में फसी हुई मिली थी। उस समय यह मूर्ति लघु आकार में थी। इस नरीला तालाव में आपको सहस्त्रदल कमल जिसे ब्रम्ह कमल कहते इसी तालाब में मिलता है।

विष्णु वराह मझौली खासियत और सीक्रेट व्यू (Vishnu Varah Majholi)

लोग भगवान विष्णु वराह की नगरी में तो जाते है और वह मुख्य मंदिर में पहुँचते ही भगवान के दर्शन पाकर लौट जाते हैं। और उनमे से बहुत से लोगों ने वहां पर स्थित बहुत सी प्रतिमाओं को नहीं देखा होगा। जिन्हें मुग़ल शासकों द्वारा खंडित कर दिया गया था। यह मूर्तियाँ मंदिर के प्रवेश द्वार के बाजू में दीवारों में अंकित है।

Vishnu Varah Mandir Majholi
Vishnu Varah Mandir Majholi

विष्णु वराह मझौली संरक्षित क्षेत्र (Vishnu Varah Majholi)

यह स्मारक “मध्य प्रदेश प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष अधिनियम 1964” के अंतर्गत राजकीय महत्त्व घोषित किया गया है। यदि कोई भी इस स्मारक को नष्ट करता, क्षति पहुंचाता, विलग अथवा परिवर्तित, कुरूप करता, खतरे में डालता या दुरूपयोग करते हुए पाया जाता है तो उसे इस अपकृत्य के लिए एक वर्ष तक कारावास या 10,000 रूपए तक का जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

“मध्यप्रदेश प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष नियम1975 के नियम 28 तथा 1999 में जारी की गई अधिसूचना के अंतर्गत संरक्षित सीमा से 100 मीटर तक और इसके आगें 200 मीटर तक के समीप एवं निकट का क्षेत्र खनन व निर्माण कार्य के लिए क्रमशः प्रतिवद्ध और विनियोजित क्षेत्र घोषित किया गया है।इस क्षेत्र में किसी भी प्रकार के भवनों के मरम्मत, परिवर्तन तथा निर्माण / नवनिर्माण हेतु संचालक / आयुक्त पुरातत्व, अभीलेखागार एवं संग्रालय, मध्य प्रदेश से पूर्व अनुमाती प्राप्त करना अनिवार्य है।

त्यौहार और समारोह
विष्णु वराह मंदिर में आयोजित त्योहारों और समारोहों वराह जयंती, जन्माष्टमी, और दिवाली जैसे त्योहारों को मंदिर परिसर में बढ़े धूमधाम से मनाया जाता हैं।

जैसे सुहाजनी माता मंदिर ,कटाव धाम इत्यादि।

विष्णु वराह मंदिर मझौली आने के लिए मुख्य 5 मार्ग हैं

विष्णु वराह मझौली कब आयें (Vishnu Varah Majholi)

यदि आप भगवान विष्णु वराह मंदिर में भगवान के दर्शन करने के लिए आना चाहते है तो आप साल के किसी भी दिन Vishnu Varah Majholi के दर्शन करने के लिए आ सकते हैं।

विष्णु वराह मझौली मंदिर खुलने का समय (Vishnu Varah Majholi) :-

विष्णु वराह मंदिर मझौली प्रातः 6:30 से रात के 9 बजे तक खुला रहता है।

विष्णु वराह मंदिर के आस-पास स्थित अन्य स्थान

विष्णु वराह मंदिर का पुनः निर्माण और उद्धार (Vishnu Varah Majholi)

“11वीं शताव्दी में निर्मित एवं कालांतर में ध्वस्त हुए मंदिर का पुनः निर्माण 17-18वीं शती में किया गया है। जिसका शिखर मूलरूप में नहीं है। मंदिर पूर्वाभिमुख है,जिसकी बाह्य भित्तियां एवं परकोटे में प्राचीन मूर्तियाँ जुडी हुई है। द्वार के सामने स्तंभ है जिस पर दशावतार का अंकन है।”

“मंदिर के द्वार शाखाओं में मकर वाहिनी गंगा,एवं कछप वाहिनी यमुना का चित्रण हैं। एवं बीचों-बीच योग नारायण पद्मासन में बैठे हुए हैं। तथा दोनों और नवग्रह प्रदर्शित हैं। मंदिर के काष्ठ कपाटों पर भी देव अलंकरण है।”

“मंदिर के वर्गाकार गर्भगृह में 11वीं शती की यज्ञ वराह की खड़ी विशाल मूर्ति है। जिसके नीचे चौकी पर अमृतघट लिए शेष नाग एवं उनके पीछे उनकी पत्नी प्रदर्शित है। शेषनाग के ऊपर वराह के मुख के नीचे पदमाशन में योग नारायण हैं। वराह के शरीर पर देव मुनि, सिद्ध एवं गन्धर्व अलंकृत हैं।”

लेखक का अनुभव

वराह मंदिर भारत के विभिन्न भागों में पाए जाते हैं, विशेषकर तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों में। ये मंदिर अपनी स्थापत्य सुंदरता, जटिल नक्काशी और धार्मिक महत्व के लिए जाने जाते हैं। “यह ध्यान देने योग्य है कि भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अन्य प्राचीन वराह मंदिर हो सकते हैं, प्रत्येक का अपना अनूठा इतिहास और महत्व है। यदि आपके मन में कोई विशिष्ट वराह मंदिर है, तो कृपया अधिक विवरण प्रदान करें, और मैं आपकी आगे सहायता करने की पूरी कोशिश करूंगा।”

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FAQ

विष्णु वराह मंदिर कहां है?

भगवान विष्णु वराह मंदिर मझौली नगर जिला जबलपुर में स्थित है।



2 thoughts on “Vishnu Varah Majholi Jabalpur : भगवान विष्णु वराह कल्चुरी काल की रहस्यमयी काली प्रतिमा”

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