RoopnathTemple Bahoriband Katni

Roopnath Dham: बाबा भोलेनाथ का मिलता हैं जहाँ आशीर्वाद इस स्थान को कहतें हैं रूपनाथ धाम

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Roopnath Dham : रूपनाथ धाम बहोरिबंद कटनी यह स्थल पुरातत्व महत्व के साथ-साथ यह भगवान शिव को समर्पित एक प्रतिष्ठित धर्म और आस्था का केंद्र भी है। रूपनाथधाम पुरातत्व प्रेमियों और भक्तों दोनों के लिए रहस्यों से घिरा हुआ है जो आज भी चर्चा का विषय बना हुआ है।

रूपनाथ धाम (Roopnath Dham) बहुत सुंदर प्राकृतिक पहाड़ के ऊपर बने छोटे-छोटे प्रसिद्ध तीन कुण्ड है। जिसमे पहला (सीता कुंड, बीच में लक्ष्मण कुंड, और शिखर पर भगवान राम का कुंड) में भरा पानी, रूपनाथ धाम के परिदृश्य पर हावी पंचलिंगी शिव की मूर्ति, जिसे प्यार से रूपनाथ के नाम से जाना जाता है, किमोर हिल्स के छोर पर स्थित है।

232 ईसा पूर्व भारतीय मौर्य वंश के शक्तिशाली सम्राट अशोक का शिला लेख ये शिलालेख इस स्थल के लंबे समय से चले आ रहे महत्व के प्रमाण हैं। जो आसपास इस क्षेत्र में अशोक की उपस्थिति का संकेत देते हैं। शिलालेख न केवल उनके प्रवास की याद दिलाते हैं, बल्कि उनके द्वारा किए गए निर्माणों का भी विवरण देते हैं, जिससे इतिहास युगों तक गूंजता रहता है।

बाजू में स्थित एक प्राकृतिक गुफा के भीतर विराजमान भगवान भोलेनाथ शिव शंकर का धाम और पहाड़ी के किनारे पर बना सुन्दर मंदिर परिसर। देश के विभिन्न हिस्सों से भक्त आशीर्वाद लेने और प्रार्थना करने के लिए रूपनाथ धाम आते हैं। बहोरीबंद तहसील में स्थित रूपनाथ धाम, ऐतिहासिक स्थल और आध्यात्मिक महत्व दोनों के रूप में उभरता जा रहा है।

स्थानीय कहानियों से पता चलता है कि भगवान भोलेनाथ ने इस पवित्र स्थान से जागेश्वरधाम बांदकपुर की यात्रा की, जिससे क्षेत्र की आध्यात्मिक परंपरा में रूपनाथधाम का महत्व मजबूत हुआ। परिणामस्वरूप, विभिन्न जिलों से श्रद्धालु और आगंतुक आशीर्वाद लेने और इस प्राचीन स्थल द्वारा प्रदान की जाने वाली शांति का अनुभव करने के लिए रूपनाथधाम की ओर आकर्षित होते हैं।

रूपनाथ धाम भारत के मध्य प्रदेश में कटनी जिले के पास स्थित एक छोटा सा शहर बहोरीबंद में स्थित रूपनाथ धाम क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक आकर्षणों में से एक है। साथ ही यह एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल और धार्मिक परिसर है। यह हिन्दुओं का तीर्थस्थल है। परिसर में एक मंदिर, एक तालाब और एक बगीचा है।

यह मंदिर भगवान शिव के अवतार भगवान रूपनाथ को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि तालाब में चमत्कारी उपचार गुण हैं और स्थानीय लोगों द्वारा इसकी पूजा की जाती है। बगीचे में विभिन्न प्रकार के पेड़, पौधे और फूल हैं और परिसर में एक शिवलिंग भी है, जो इस स्थल पर ऐतिहासिक गहराई की एक परत जोड़ता है।

पूरे भारत से लोग इस स्थान पर अपनी प्रार्थना करने और आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं। चारों ओर मौजूद प्राकृतिक चट्टानों के बीच ऊंचाई से गिरता हुआ पानी का झरना मन को मोह लेता है। यह बहुत ही पवित्र स्थल के साथ ही सम्राट अशोक का ऐतिहासिक एक शिलालेख भी यहां मौजूद है। प्रक्रति की गोद में बसा रूपनाथ धाम बहोरिबंद जिला कटनी का एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं।

मंदिर को प्राचीन माना जाता है और इसका ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। इसमें मुख्य देवता के रूप में एक सुंदर शिव लिंगम (भगवान शिव का प्रतिनिधित्व) है। लिंगम को स्वयंभू या स्वयंभू माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह माना जाता है कि यह मानव नक्काशी के बिना स्वाभाविक रूप से प्रकट हुआ है।

रूपनाथ धाम विशेष रूप से धार्मिक त्योहारों और भगवान शिव को समर्पित शुभ अवसरों के दौरान बड़ी संख्या में भक्तों को आकर्षित करता है। मंदिर परिसर तीर्थयात्रियों के लिए आवास और बुनियादी सुविधाओं सहित सुविधाएं प्रदान करता है।

Table of Contents

Roop Nath Dham Bahoriband Katni : रूपनाथ धाम बहोरिबंद कटनी

Roop Nath Dham Bahoriband Katni
Roop Nath Dham Bahoriband Katni

रूपनाथ धाम (Roopnath Dham) मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्यटन और धार्मिक स्थल में से एक है। यह जगह देखने में बहुत सुंदर और शांत है। यह जगह पूरी तरह से प्राकृतिक की गोद में मौजूद है, जिसे देखने आस-पास के कई जिलों से लोग पहुंचते हैं। यह एक अद्भुत द्रश्यो और रहस्यों से भरा ऊँची और विशाल चिट्ठानों के बीच पिपली वृक्ष की जड़ों से परिपूर्ण एक मनभावक पर्यटक क्षेत्र है।

इस स्थल में पुरातात्विक महत्व तो है ही साथ ही लोगों की धार्मिक आस्था भी बहुत जुड़ी हुई है पत्थरों के बीच बने हुए प्राकृतिक गुफा अक्सर लोग यंहा प्राकतिक नाजारो को देखने के लिए आते हैं और यंहा के मनमोहक द्रश्यो को देख यही रम जाते है यह जगह रहस्यमई कुंड,सम्राट अशोक की शिलालेख, और भगवान शिव के धाम के नाम से बहुत ही प्रशिद्ध जगह हैं।

रूपनाथ धाम के परिसर में मौजूद अन्य पर्यटक स्थल

कहा जाता है कि  लगभग 232 ईसा पूर्व तक एक शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के सम्राट अशोक मौर्य इसी स्थान रूपनाथ में रुके थे। रूपनाथ धाम में सम्राट अशोक रहने व ठहरने सहित कई उपयोगी जानकारी यही मौजूद शिलालेख लिखित हैं व उनके माध्यम से कराए गए निर्माण कार्य व उनके ठहरने का आज भी प्रमाण देते हैं। 

Roopnath Mandir Bahoriband Katni
Roopnath Mandir Bahoriband Katni

रूपनाथ धाम में  जो शिवलिंग है  वह  पंचलिंगी शिवलिंग कहलाता  है, इसी शिवलिंग रूपनाथ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता हैं भागवान शिव जिनका एक नाम भूतनाथ भी हैं यही पर भूतनाथ रूप  से रूपनाथ रूप में परिवर्तित हुए।

रूपनाथ धाम मंदिर के बारे में कहा जाता है, साथ ही पुजारियों के अनुसार यहां को लेकर मान्यता और कथा है जब भस्मासुर राक्षस भगवान भोलेनाथ से ही वरदान पाकर उसी वरदान की शक्ति से भगवान भोलेनाथ शिव शंकर को ही भस्म करने के लिए उनके पीछे भागा था। तब भोलेनाथ जी अपने वरदान की लाज बचाने के लिए, इस गुफा में छिपे थे।

इस गुफा के रास्ते से होते हुए वह जागेश्वरधाम बांदकपुर के मंदिर की गुफा में निकले थे। आपको यहाँ पर शिवजी के पीछे दो गुफाओं का रास्ता भी देखने के लिए मिलेगा। भगवान भोलेनाथ इसी रूपनाथ गुफा से गए हैं, साथ ही इस गुफा में आपको बहुत सारे चमगादड़ देखने के लिए मिलेंगे। आप चाहें तो इस गुफा को टॉर्च की रोशनी से देख सकते हैं। मगर आप इस गुफा के अंदर नहीं जा सकते हैं।

रूपनाथ धाम भगवान शिव का धाम है और यह बहुत ही पवित्र स्थल है प्रकति की गोद में बसा एक अद्भुत द्रश्यो से परिपूर्ण एक मनभावक पर्यटक क्षेत्र है अक्सर लोग यंहा प्राकतिक नाजारो को देखने के लिए आते हैं। और यंहा के मनमोहक द्रश्यो को देख यही रम जाते है यह जगह रहस्यमई कुंड, सम्राट अशोक की शिलालेख, और भगवान शिव के धाम के नाम से बहुत ही प्रशिद्ध जगह है ।

रूपनाथ धाम भगवान शिव जी का भी मंदिर

इसके साथ ही यंहा पर भगवान शिव जी का भी मंदिर है यंहा यह मान्यता है की भगवान शिव यही से बादंकपुर प्रश्थान किये थे और जिस पहाड़ी के बीच में शिवलिंग स्थापित है बो भी एक अनोखा द्रश्य पर्स्तुत करता है।

Roopnath Dham
भागवान शिवजी का मंदिर

रूपनाथ कुण्ड

Roop Nath Kund Roopnath Dham Bahoriband Katni
Roop Nath Kund Roopnath Dham Bahoriband Katni

यहाँ पर आप तीन कुंड को देख सकते हैं-

  • सबसे पहले और नीचे सीता कुंड मौजूद है। यहाँ पर आपकों एक सुन्दर कुण्ड दिखेगा जो प्राकर्तिक चट्टानों से घिरा हुआ हैं, साथ ही पानी में मौजूद सुन्दर मछलियों का समूह मन मोह लेता हैं। अगर आप यहाँ जाएँ तो मछलियों के खाने के लिए कुछ दाना ले कर जाएँ।
  • दूसरा सीता कुण्ड के ऊपर और राम कुण्ड के नीचे मध्य में स्थित श्री लक्ष्मण कुंड मौजूद है। इसमें वर्षात के समय वहुत ही सुन्दर झरना ऊपर पहाड़ियों से नीचे की ओर गिरता हैं, और यह झरना इतना प्रसिद्ध हैं की लोग इसे देखने दूर-दूर से आतें हैं। यहाँ पर दो झरना मोजूद एक लक्षमण कुण्ड में और दूसरा पास ही परसर के बहार मौजूद हैं। ये दोनों झरना रूपनाथ जल प्राप्त के नाम से प्रसिद्ध हैं।
  • तीसरा और सबसे उपर श्री राम कुंड है और इस कुण्ड की गहराई कभी भी नापी नहीं जा सकी।
Roopnath Dham Bahoriband Katni
Roopnath Dham Bahoriband Katni

रूपनाथ जल प्रपात

अगर आप वर्षात के समय जो जुलाई से अगस्त के बीच यहाँ परिवार के साथ घुमने आयंगे तो आपको यहाँ दो झरने देखने को मिलंगे, जिसे देख कर आपका मन को शांति के उद्भव होने का प्रतीत उत्पन्न होने लगेगा।

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रूपनाथ में अशोक का शिलालेख

अशोक का शिलालेख पुरातात्विक और इतिहासिक महत्त्व का यहाँ मौजूद हैं। यह पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित हैं। इसके अलावा यहाँ पर सम्राट अशोक द्वारा स्थापित एक शिलालेख स्थापित की गई हैं।

Ashok Shila Lekh Roopnath Dham Bahoriband Katni
Ashok Shila Lekh Roopnath Dham Bahoriband Katni

अशोक की शिलालेख जिसकी ऊँचाई 4 फिट और चौड़ाई 2 फिट है इस शिलालेख पर किसी और लिपि में कुछ लिखा है, इसके अलावा यहाँ एक और शिलालेख हैं इसका अनुवाद अभी तक नहीं हो पाया है और जिस शिलालेख का अनुवाद हुआ है वह कुछ इस प्रकार हैं।

” देवी के प्रिय प्रियदर्शी राजा ऐसा कहते हैं अढाई बर्ष से अधिक हुए की मैं उपासक हुआ (अर्थात मैंने बौद्ध धर्म में प्रवेश किया ) परन्तु मैंने कुछ विशेष काम नहीं कर पाया प्रायः एक वर्ष से अधिक हुआ होगा मैंने संघ में प्रवेश किया है और उत्तम रूप से कार्य किया है इस बीच जम्बूदीप से जो देवता अप्रचलित हो गए थे उनको मैंने प्रचलित कर दिया (अर्थात अपने धर्म में ग्रहण कर लिया है ) यह परिश्रम का फल है प्रभुता से प्राप्त नहीं हो सकता हैं।

यदि क्षुद्र व्यक्ति भी चेष्टा करे तो वह विपुल स्वर्ग सुख प् सकता है इसी उद्देश्य से यह घोषित किया जाता है ताकि छोटे और बड़े सब चेष्टा करने लगे और हमारे निकटवर्ती राजा लोग भी उद्याग करे और उसे चिरकाल तक करे इसी उद्देश्य का प्रसार हो, इस की बिपुल वृधि हो जाय, इसकी अटूट वृधि होती जाए, अंत में देवडी वृधि हो जाए, यही बात पर्वतो पर लिखी जाय और राज्य में निकट या दूर जहा जहा शिला स्तम्भ हो उन पर भी लिखा जावे “यह शिलालेख सन २३२ इसवी पूर्व का है

3 .इसके साथ ही यंहा पर भगवान शिव जी का भी मंदिर है यंहा यह मान्यता है की भगवान शिव यही से बादंकपुर प्रश्थान किये थे और जिस पहाड़ी के बीच में शिवलिंग स्थापित है वो भी एक अनोखा द्रश्य प्रस्तुत करता हैं।

Morya Samrat Ashok Shila Lekh Roopnath Dham Bahoriband Katni
Morya Samrat Ashok Shila Lekh Roopnath Dham Bahoriband Katni

रूपनाथ का वो खास स्थान जहाँ से हमने नजारा देखा

माना जाये तो ऐसा स्थान बहुत ही काम देखने को मिलता है। जहाँ पर लोग भगवान शिव के दर्शन करने तो आते ही लेकिन वहा का नजारा देखकर वह दांग रह जाते है सोचने लगते हे, कास हम यहाँ पर पहले आये होते ते कितना अच्छा होता ऐसा नजारा हमने बहुत ही काम देखा हे जब पानी की बुँदे ऊपर से नीचे गिरती हुई गुन-गुन की आवाज करती हे तो बहुत ही सुन्दर लगता हे।

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रूपनाथ की खासियत और सीक्रेट व्यू

रूपनाथ धाम का सीक्रेट व्यू यहां पर मंदिर से ऊपर जाने पर बहुत ही बड़ी चट्टान दिखाई देती है जिस के नीचे बहुत ही बड़ा और गहरा कुआं बना हुआ है जो बहुत ही कम लोगों को पता है इस कुएं को देखना तो जरूर बनता है। जिस बहुत ही कम लोगों ने देखा है।

“अगर आपकों जिन्दगी में हर कम मुश्किल लगता हैं तो आप यहाँ आकर देखे, प्रकृति आपको सिखायेगी जिन्दगी कितनी ही मुश्किल क्यों न हो अगर दिल में चाह हो और हौसला बुलंद हो तो मुश्किल हालत को भी आसान बनाया जा सकता हैं।”

रूपनाथ का मेला

हर वर्ष यहाँ पर 14 जनवरी को मेले का आयोजन होता है, जहाँ पर दूर-दूर से लोग इस मेले को देखने को आते है।

RoopnathTemple Bahoriband Katni
RoopnathTemple Bahoriband Katni

रूपनाथ धाम का महत्त्व

यह एक धार्मिक और पवित्र स्थान है इस धाम यात्रा करने से मन में अलग सा विचार उत्पन्न होने लगते हे जेसे की ये दुनिया कितनी हंसिन है। जो की हमारे जीवन को सुख पहुँचाती हैं। प्रक्रति ने हमें क्या कुछ नहीं दिया हैं ये एसे विचार है। जो हमारे मन में बहुत से बदलाव कर देते हैं।

रूपनाथ धाम इतिहासिक महत्त्व

कहा जाता है कि 232 ईसा पूर्व तक शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के सम्राट अशोक मौर्य (सम्राट अशोक) जिले के छोटे से नगर बहोरीबंद के समीप स्थित रूपनाथ में रुके थे। रूपनाथ धाम में उनके रहने व ठहरने सहित कई उपयोगी शिलालेख व उनके माध्यम से कराए गए निर्माण उनके ठहरने का आज भी प्रमाण देते हैं।

  • रूपनाथ से महज 8 किलोमीटर की दुरी पर अमोदा किला बहोरिबंद से रानीताल रोड पर स्थित है यह किला गोंडवाना शासनकाल में राजगौंड राजाओ का गढ़ रहा है
  • रूपनाथ से बहोरीबंद की ओर यंहा से महज 10 किलोमीटर की दुरी पर तिग्मा में एक प्राचीन माता कालिका का मन्दिर है जो लोगो के आकर्षण का केंद्र है

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रूपनाथ धाम धार्मिक महत्त्व

वैसे तो भोलेनाथ भगवान शिव शंकर का  हर दिन होता है, परंतु हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना का विशेष महत्व दिया गया है। 

अगर बात हो सावन सोमवार की तो यहां श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते ही बनता है। लोग दूर-दूर से भगवान शिव को जल चढ़ाने के लिए और दर्शन के लिए यहां आते हैं। साथ ही पूर्णिमा और अमावस्या के समय भी यहां काफी भीड़ होती है।

सोमवार के दिन के समय यहाँ काफी भीड़ होती हैं

रूपनाथ धाम प्राकृतिक महत्त्व

रूपनाथ धाम की जो प्राकृतिक है। वह बहुत ही सुन्दर एवं शान्त हे जहाँ पर पर पेड़ो की ठंडी -ठंडी सुलभ हवाये बशंत की ऋतु और भी मनमोहक होती हे। बसंत ऋतु में सभी पेंड़ो की पत्तियाँ झर कर सभी पेड़ो में नई पत्ती और फूल निकल आते हें। जिससे यहाँ का प्राकतिक सोन्दर्य बहुत ही सुन्दर है।

रूपनाथ धाम संरक्षित क्षेत्र

“यह स्मारक प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्विक स्थल व अवेशष अधिनियम 1958 (1958 के 24 ) के तहत राष्ट्रीय महत्त्व का घोषित किया गया है यदि कोई भी इस स्मारक को क्षति पहुँचता,नष्ट करता विलग अथवा परिवर्तित करता कुरूप करता खतरे में डालता वा दुरूपयोग करते हुये पाया जाता है। तो उसे इस अपकृत के लिये 3 महीनें तक का कारावास या रु. 5000/- (पांच हजार रूपये) तक का जुर्वना अथवा दोनों से दण्डित किया जा जा सकता है।”

प्रतिषिद्ध एवं विनियमित क्षेत्र

“इसके अतिरिक्त प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्विक स्थल व अवशेष नियम 1995 के नियम 32 तथा 1992 में संशोधित नियम के तहत संरक्षित सीमा से 100 मीटर तक का क्षेत्र एवं इसके आगे 200 मीटर का क्षेत्र खनन व नव निर्माण के लिए क्रमशः प्रतिषिद्ध (निषिद्ध) व विनियमित क्षेत्र घोषितकिया गया है।”

विनियमित क्षेत्र में किसी तरह के निर्माण हेतु भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण से पूर्व अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है।

रूपनाथ धाम यात्रा वृदांत

रूपनाथ धाम जो हे, वह बहुत ही पवित्र स्थान हे। यहाँ पर चारो और का द्रश्य बहुत ही शांत और सुलभ हे जिसमें चिड़ियों की चील चिलाहत और पानी की रिम झिम-रिम झिम बूदों की आवाजे लोगों का मन मोह लेती हे। जिससे लोगो का वहाँ से जाने मन ही नहीं करता है। वहीं कुछ दूर चलकर एक विशाल तलाब जाने का रास्ता हे।

जहाँ पर जाकर लोग नाव में बैठकर बीच लहरो में घूम कर तलाब का अनंद लेते है। और अपने भाव और विचार प्रदर्शित करते हें। जहाँ पर सभी प्रकार के झूले व मनमोहक चीजे देखने को मिलती हें। जो हमारा मन मोह लेती हे, वहा के बन्दर बहुत ही सरारती हे, जो हमारी किसी भी सामान को लेकर भाग जाते हे, और हमारी नाकल भी करते हे। जो हमारा ध्यान अपनी ओर आकर्षित लेते है। जिससे हमारा घर लोटने का मन ही नहीं होता हे।

रूपनाथ धाम स्थान की जानकारी

रूपनाथ मंदिर बहुत ही पावन स्थल हे। जो देखने में बहुत ही सुन्दर और मनमोहक हे जहाँ हर वर्ष एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता हे । और भरी मात्रा में दर्शक वहां पर मेले का आनंद लेते हे। जहाँ भगवान् राम जानकी माता जी के पवित्र दर्शन हेते हे। और भगवान् शिव के दर्शन करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हे। और अपना जीवन शफल बनाते हे।

रूपनाथ का मेला

देखने में तो यहाँ का मेला बहुत ही दर्शनीय होता हे, यहाँ पर मेला देखने के लिए दूर -दूर से लोग आते है, जहाँ पर भगवान शिव के स्रध्लुओ की संख्या बहुत ही अधिक होती हे जहाँ बड़े -बड़े झूले देखने को मिलते हे यहाँ पर बहुत सरे बन्दर भी देखने को मिलते हे यह मेला ठंड के मौसम में मकरशंक्रंती के बाद लगता है जिस समय नहानदेवी का मेला भी लगता हैं जिसमे कटाव का मेला इन दोनों मेलों के बाद में लगता हैं।

रूपनाथ कब आयें

रूपनाथ एक ऐसा स्थान है – जहाँ पर आप कभी भी आ सकते है, और इस विशेष जगह पर घूम कर यहाँ का आनंद प्राप्त कर सकते है। यहाँ पर सावन का मौसम और भी सुहावना होता है इसके अलावा बरसात का मौसम और भी भावक होता हे।

बरसात के मौसम में चिड़िया अपनी सुन्दर – सुन्दर आवाजो के साथ में गीत सुनाती हे। और बारिस की ये घटाएं बहुत ही शानदार होती हें यह स्थान मेले के समय में और भी सुन्दर लगता है, जहाँ पर हजारों की संख्या में स्रधालु आते हें। जो भगवान शिव के दर्शन करते हुये आपनी यात्रा को मंगलमय बनाते हैं।

रूपनाथ धाम पहुँच मार्ग या रूपनाथ मंदिर कहां है – Where is Roopnath Temple

कैसे पहुंचे (Roopnath Dham जाने का रास्ता )

रूपनाथ मंदिर कटनी (Roopnath Temple Katni) यह जिले में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो यह कटनी जिले के बहोरीबंद तहसील मुख्यालय से 5 km आंगे कटाव रोड पर स्थित है। यंहा आने के लिए आप खुद के वाहन से आ सकते है और इस रूट पर बस भी चलती है आप बस की सवारी का मजा लेते हुए भी रूपनाथ पहुँच सकते हैं यंहा के नाजारो को देख सकते हैं।

मझौली से रूपनाथ धाम बहोरिबंद कटनी :

अगर आप मझौली से रूपनाथ धाम जाना चाहते हो तो इसके लिए आपके पास दो मार्ग उपलब्ध हैः

  • पहला मार्ग बचैया होकर जिसमें आपको 23.4 KM की दुरी सिर्फ 39 मिनट में पूरी हो जाएगी यह मार्ग दो लेन का सीसी मार्ग हैं और इसमें ज्यादा ट्राफिक नहीं होता हैं।
  • दूसरा मार्ग कटाव से होकर जा सकतें हैं। 26.8 KM की दुरी सिर्फ 43 मिनट में पूरी होगी यह मार्ग थोडा लम्बा और सिंगल लेन का हैं परन्तु इस मार्ग में आपको कटाव की सुन्दर पहाड़ियों का पुरे रस्ते भर प्राकर्तिक सुन्दरता का मजा देगी।

कटाव से रूपनाथ धाम बहोरिबंद कटनी :

अगर आप कटाव धाम घुमने ए और समय बचे तो आप रूपनाथ धाम अवश्य जाएँ 26.8 KM की दुरी सिर्फ 43 मिनट में पूरी होगी यह मार्ग थोडा लम्बा और सिंगल लेन का हैं परन्तु इस मार्ग में आपको कटाव की सुन्दर पहाड़ियों का पुरे रस्ते भर प्राकर्तिक सुन्दरता का मजा देगी।

सिहोरा से रूपनाथ धाम बहोरिबंद कटनी :

  • पहला मार्ग यहाँ से जाने के लिए आपको सिहोरा से कटनी की ओर NH 30 मार्ग रस्ते से 25.1 KM की दुरी सिर्फ 36 मिनट में पूरी हो जाएगी यह मार्ग आपको NH 30 से कुआ गाँव बहोरिबंद से होकर जाना है।
  • दूसरा मार्ग मझौली रोड पर पोंडा गाँव से आपको मुड़ना हैं जो तलाड गाँव होकर बचैया गाँव होकर रूपनाथ धाम पहुचायेगा यह दुरी 28.9 KM की दुरी सिर्फ 47 मिनट में पूरी हो जाएगी। इसमें ज्यादा ट्राफिक नहीं होता हैं।
  • तीसरा मार्ग बैहर खुर्द गाँव से नया गाँव फिर कुआ गाँव बहोरिबंद से होकर जाना है।कुना इसकी दुरी 25.7 KM की दुरी सिर्फ 36 मिनट में पूरी हो जाएगी। इसमें ज्यादा ट्राफिक नहीं होता हैं।

बहोरीबंद से रूपनाथ धाम बहोरिबंद कटनी :

यदि आप बहोरिबंद के रास्ते रूपनाथ (Roopnath Dham) आना चाहते हैं तो बहोरिबंद से रूपनाथ की दूरी लगभग 6 किलोमीटर है

रूपनाथ में वाहन पार्किंग

Roop Nath Mandir Bahoriband Katni
Roop Nath Mandir Bahoriband Katni

वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह हे आम दिनों में यहाँ वाहन पार्किंग के लिए पूरा मैदान खुला पड़ा हैं, और आम दिनों में वाहन पार्किंग टोटल फ्री हैं । सिर्फ आपकों मकर संक्रांति के समय जब रूपनाथ का मेला पढता है तभी आपकों थोडा वाहन पार्किंग में परेशानी होगी।

इस स्थान का नाम रूपनाथ क्यों पड़ा Read More

ऐतिहासिक स्थल

FAQ

रूपनाथ में ठहरने और खाने की व्यवस्था

यहाँ आपको ठहरने और खाने की कोई व्यवस्था नहीं मिलेगी। आपकों खाने पीने की सामग्री स्वयं लेकर जाना होगा।

दिशा निर्देश एवं सावधानीयां

1. अगर आप खाने पीने की सामग्री या कोई बैग बगैरा ले कर जातें हैं तो आप सावधान रहे यहाँ बंदरों का वहुत ही जादा आतंक हैं।
2. सेल्फी के लिए किसी भी चट्टान पर न चढ़े क्योंकि यहाँ की चट्टान काफी फिसलन भरी हैं और यहाँ पर आपकों चोट लग सकतीं हैं।

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Roopnath Dham Bahoriband

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