Madan Mahal Fort Jabalpur : मदन महल किला जबलपुर मदन महल किला जबलपुर, मध्य प्रदेश, भारत में स्थित है। किले का निर्माण राजा मदन शाह ने 16वीं शताब्दी में करवाया था। यह जबलपुर शहर की ओर मुख वाली एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। गोंड राजवंश के शासनकाल के दौरान किले का उपयोग शहर की रक्षा के लिए किया जाता था। यह अब एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है, और शहर और नर्मदा नदी के शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। किला हिंदू भगवान हनुमान को समर्पित एक मंदिर का घर भी है।
क्या आपको ऐसी जगहों में घूमना बहुत पसंद है.जहा पर बहुत से रहस्य छुपे हो. जिसका जिक्र इतिहास में होता हो.इसके साथ ही वह कोई पर्यटक स्थल हो.तो आपको इस ब्लॉग में ऐसी ही एक जगह मदन महल के बारे में जानकारी मिलने वाली है. गौंड साम्राज्य वीरांगना रानी दुर्गावती मदन महल किला (Madan Mahal Fort) जबलपुर जिले की सीमा में बना हुआ.यह बहुत ही पुराना किला है.यह किला ग्रे नाईट की चट्टानों को तराशकर बनाया गया है. यह बहुत ही अद्भुत और अद्वतीय है.इस किले के बारे में बहुत सारे रहस्यो से भरा है.यंहा आस पास और भी बहुत से कुछ ऐसे व्यू पॉइंट है जिन्हें देख आप आश्चर्यचकित हो जायगे.
गौंड साम्राज्य
वीरांगना रानी दुर्गावती मदन
मुग़ल सम्राट अकबर की सेना में जिसने खौफ और डर पैदा कर रखा था, साथ ही बुंदेलखंड के राजाओं का विस्तार वादी सेना को कभी गौंड राज्य की सीमा में घुसने ही नहीं दिया वो गौंड महारानी वीरांगना रानी दुर्गावती थी जिनकी सेना में अफगान लडके भी तैनात थे गौंड राज्य का वैभव मदन महल किला, मंडला का किला, सिंगौरगढ़ का किला, रानीताल, नुर्रई नाला,
Madan Mahal Fort jablpur
मदन महल किला 11वी शताब्दी में गौंड राजा मदन सिंह द्वारा वनवाया गया था इस किले को राजा ने अपनी शान-शोकत के लिए बनवाया था लेकिन बाद में उन्होंने इसका उपयोग वाच टावर और सैनिक छावनी के रूप में करना शुरू कर दिया .जहा से वह पुरे शहर में नज़र रखने लगे.इस किले में रानी दुर्गावती युद्ध अभ्यास किया करती थी .दुर्गावती एक बहादुर गौंड रानी के रूप में जानी जाती थी .इस किले में भारी मात्रा में स्वर्ण मुद्राय रखी जाती थी.
मदन महल किला का बहुत सा भाग अब खंडहर में तब्दील हो चुका है लेकिन आप इन्हें देख उस समय राजा की शान का पता लगा सकते है. आप इस खंडहर में अभी भी आप मुख्य कक्ष ,युद्ध कक्ष , छोटा सा जलाशय और अस्तबल के निशाँ देख सकते है.
मदन महल किले का अनसुने रह्श्य
मदन महल किला लोगो के आकर्षण का केंद्र है. क्युकी इस किले को ग्रे नाईट की चट्टानों को तराशकर बनाया गया है जो हर किसी को अपनी और आसानी से आकर्षित कर सकता है.यह किला गौंड साम्राज्य के गौरव का बखान करता हुआ अपने गौरवान्वित स्वरुप में खड़ा हुआ है.यह किला बहुत से रहस्य को समेटे हुहे है जो अभी भी अनसुलझे है .ऐसे ही कुछ रहस्य को बारे में हम बात करते है.
रहस्यमयी गुफा
मदन महल पहाड़ी पर लगभग 12 गुफाय बनी हुई है उनमे से एक गुफा मदन महल फोर्ट के अंदर है.कहते है इस गुफा के अंदर अंदर रानी दुर्गावती मंडला से मदन महल किले आती थी.यह गुफा ऊपर से एक बड़े पथ्थर से ढंकी हुई है.और इस गुफा का रहस्य अभी भी एक रहस्य बना हुआ है
किले के नीचे सोने की ईट दवे होने का दाबा
शरद पूर्णिमा के दिन चाँद अपने सर्वोच्च स्तर पर होता है जब रात के समय इस किले पर चाँद की रोशनी पड़ने पर यह अपनी बनाबट के कारण देखने में बहुत ही सुंदर लगता है इस किले के बारे में एक कहावत है की
“मदन महल की छाव में ,दो टोंगो के बीच जमा गड़ी नौ लाख की , दो सोने की ईट ”
इस कहावत के कारन लोग यंहा पर इसकी खोज में आते है और किले की दीवारों को खोदकर खोजने की कोशिश करते हैं. लेकिन यह कितना सही है यह कोई पक्का नहीं है.
भारी मात्रा में खजाना
यंहा के लोगो का मानना है की इस किले में बहुत अधिक मात्रा में खजाना छिपा हुआ है इसकी तलाश में यंहा पर बहुत से लोग आते है. और दीवारों की खुदाई करते है. बहुत से लोग तंत्र साधना करके भी यह खजाना खोजने की कोशिश करते है.
रात के समय डरावनी आवाजे आना
यंहा के लोगो का कहना है की इस किले में बहुत अधिक मात्रा में खजाना छिपा हुआ है जिसकी सुरक्षा कोई अनजान साया करता है. बहुत से लोगो ने इसे महसूस भी किया है. रात के समय इस किले से बहुत ही डरावनी आवाजे भी आती है. हो सकता है यह किसी जंगली जानवर की आवाज हो.
यह तो लोगो की मान्यता है लेकिन यह किला बहुत ही अद्भुत और अद्वातीय है. यह बहुत ही आकर्षित है इसे अब पुरातत्व विभाग ने अपने कब्जे में ले लिया है ताकि अब इसे और कोई नुकशान न हो .
मदन महल किले में आने का समय
वैसे तो यंहा पर हर समय पर लोग आते है लेकिन यदि आप बरसात या ठण्ड के समय में यंहा पर आते है तो यंहा पर आपको चारों तरफ हरियाली देखने को मिलेगा. जो बहुत ही मनभावक होता है .यंहा पर आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ आ सकते है .यंहा पर आप सिर्फ दिन के समय ही आये क्युकी रात के समय पर यंहा आसामाजिक तत्वों का जमवड़ा रहता है.
मुख्य किले के पास और भी बहुत सारे पर्यटक स्थान है जहा पर आप घूमने जा सकते है.
- शारदा माता मंदिर
- अन्य गुफाय
- सीताफल के बाग़
- Balancing ROCK(Define Grawity)
- Sangram Sagar lake
- रानी दुर्गावती संग्रालय
शारदा माता मंदिर
किले से होकर माँ शारदा मंदिर के लिए एक रास्ता जाता है जहाँ से रानी माता पूजन करने के लिए जाती थी ,यंहा पर सावन में माता को धवज अर्पण होता है और मेला भी लगता है.
सीताफल के बाग़
यंहा पर उस समय सीताफल के बहुत सारे बाग़ थे जो पुरे देश में बहुत प्रशिद्ध थे आप किले के पास अभी भी इन सीताफलों के बाग़ को देख सकते है जो समय के साथ नष्ट होते जा रहे है.
गुफा
मदन महल पहाड़ी पर बहुत सी मौजूद है .पिसनहारी की मढिया के पास भी एक गुफा है यदि हम गुफाओं की संख्या की बात करे तो मदन महल पहाड़ी पर लगभग 12गुफाय है जो अभी भी रहस्यमई है.
Balancing ROCK(Define Grawity)
यह एक बहुत ही अद्भुत जगह है.यंहा पर एक ऐसा पत्थर है जो प्रक्रति के नियम के बिल्कुल विपरीत है. जो गुर्त्वाकर्षण के नियम से दूर है. बैलेंसिंग रॉक एक ऐसी अनोखी चट्टान है जो गुर्त्वाकर्षण नियम से बिलकुल विपरीत एक दूसरी चट्टान के किनारे चट्टान पर सुई के बराबर जगह पर रखा हुआ है जो एक चमत्कार से कम नहीं है .इसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आते है . इस चट्टान को Balancing Rock(Define grawity) कहते है.
Sangram Sagar lake
संग्राम सागर लेक शहर से लगभग 12 किलोमीटर की दुरी पर है .यह जबलपुर से प्रसिद्द पर्यटन स्थलों में से एक है .इसका निर्माण 15वी शताब्दी में गौंड शासक राजा संग्राम शाह द्वारा बनवाया गया था. यंहा आस पास प्राक्रतिक नजारो को देख आप शांति का अनुभव कर सकते है
रानी दुर्गावती संग्रालय
रानी दुर्गावती संग्रालय जबलपुर शहर के बीचो बीच बना हुआ है , रानी दुर्गावती संग्रालय में गोंडवाना कालीन के कल्चर को दिखाया गया है. यंहा पर प्राचीन काल की मुर्तिया भी देखने को मिल जाती है.इस संग्रालय के पास भवंर ताल गार्डन भी है जहा पर रानी दुर्गावती की प्रतिमा बनी हुई है.
मदन महल किले(madan mahal fort) कैसे पहुंचे
रास्ते के माध्यम से (by Road)
जबलपुर से NH 7 रोड होकर गुजरता है जो कन्याकुमारी से वाराणसी सभी बड़े शहरो को जोड़ता है, अतः रोड के माध्यम से भी आप भी by road जबलपुर पहुँच सकते है.
ट्रेन के जरिये (by train)
जबलपुर मध्य भारत का प्रमुख रेलवे स्टेशन होने के कारन आपको यंहा से हर बड़े शहरो के लिए आसानी से ट्रेन मिल जायगी.आप जबलपुर ट्रेन से भी आ जा सकते है आप यदि जबलपुर मुख्य स्टेशन में उतरते तो मदन महल किला यंहा से 5 किलोमीटर की दुरी पर है, और यदि आप मदन महल स्टेशन में उतरते है तो यंहा से इस किले की दुरी 2 किलोमीटर है .आपको यंहा से आराम से ऑटो मिल जायगी.
हवाई जहाज के माध्यम से (by air )
यंहा पर आप यदि हवाई यात्रा करके आते है तो आपको डुमना एयरपोर्ट से आसानी से ऑटो मिल जायगे .
होटल या रिसोर्ट
जबलपुर मध्यप्रदेश राज्य का एक बड़ा जिला है. यंहा पर आपको रुकने और खाने के लिए आराम से रिसोर्ट मिल जायगे. आप हमारे जबलपुर में एक बार जरुर पधारे,आपको यंहा पर मदन महल के अलावा और भी बहुत से पर्यटन स्थल देखने को मिल जायगे जो आपको बहुत ही आकर्षित करेंगे.
जबलपुर पर्यटन क्षेत्र
- मार्वल रॉक
- धुआंधार जल प्रपात
- निदान वाटरफॉल
“धर्मेंद्र सिंह आर्यन गो में सीनियर डिजिटल कंटेंट राइटर कार्यरत है। उम्र 35 साल है, शैक्षिणिक योग्यता दर्शनशास्त्र में एम.फिल है, मुझे किताबें पढ़ने, लेखन और यात्रा करने का शौक है, मेरा आहार शुद्ध शाकाहारी भोजन है। मुझे भारत के छिपे हुए पर्यटक स्थलों की खोज करने और उन पर लेख लिखने का गहरा जुनून है।
पिछले 18 वर्षों से, मैंने एक ट्रैवल गाइड के रूप में अमूल्य अनुभव एकत्र किए हैं, जिन्हें मैं अब अपने ब्लॉग के माध्यम से गर्व से साझा करता हूं। मेरा लक्ष्य आपको भारत के सबसे आकर्षक यात्रा स्थलों के बारे में आकर्षक और व्यावहारिक जानकारी प्रदान करना है, साथ ही अन्य उपयोगी ज्ञान जो आपकी यात्रा को बेहतर बनाता है।
मैंने एक ब्लॉगर, YouTuber और डिजिटल मार्केटर के रूप में अपनी भूमिकाएँ निभाई हैं। मैं प्रकृति की गोद में बसे एक छोटे से गाँव में अपने शांतिपूर्ण जीवन से प्रेरणा लेता हूँ। मेरी यात्रा दृढ़ता और समर्पण की रही है, क्योंकि मैंने अपने सपनों को वास्तविकता में बदलने के लिए कड़ी मेहनत की है। अपने ब्लॉग के माध्यम से, मैं अपने द्वारा अर्जित ज्ञान को साझा करना चाहता हूँ और दूसरों को रोमांचकारी यात्रा करने के लिए प्रेरित करना चाहता हूँ।“