Damoh: दमोह जिला मध्य प्रदेश के सागर संभाग में स्थित शहर का नाम है, यह राज्य के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित प्राकर्तिक के नजारों से घिरा क्षेत्रफल 7,306 वर्ग किमी (2,821 वर्ग मील) है। दमोह की स्थापना महाभारत महाकाव्य के राजा नल की रानी दमयंती ने की थी। दमोह जिला पश्चिम में सागर, दक्षिण में नरसिंहपुर और जबलपुर, उत्तर में छतरपुर, पूर्व में पन्ना और कटनी से घिरा हुआ है।
दमोह की भौगोलिक बनाबट सोनार नदी के दक्षिण-पूर्व में लगभग 12 मील (19 किमी) पठारी क्षेत्र में होने के कारण इसे पठार भी कहतें है। मध्य प्रदेश का पांचवा सबसे बड़ा शहरी जिला और राष्ट्रीय राजमार्ग 34 दमोह जिला से गुजरता है। 1500 ई.वी. में गोंड वंश के महाराजा संग्राम शाह के 52 गढ़ों में प्रमुख गढ़ दमोह, संग्रामपुर, सिंगोरगढ, हटा, बटियागढ़, मडियादो शामिल था।
15 बार युद्ध में अकबर को परस्त करने वाली वीरांगना रानी दुर्गावती ने इस क्षेत्र में गोंड़वाना साम्राज्य का राजपाट अपने कौशल और पराक्रम से चलाया जहाँ सिंगौरगढ़ किला जैसे अजय किला से बुंदेलों को अपनी सीमा में आने से रोके रखा। दमोह का अस्तित्व मध्यप्रदेश के गठन 1 नबम्बर 1956 से दसकों वर्ष पूर्व ही 1861 मध्य प्रांत बानने के साथ ही हो गया।
शिव जी का प्राचीन मंदिर बांदकपुर-जटाशंकर, चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित खजराहो से मिलते-जुलते स्थापित कला युक्त नोहटा में पुरातन नोहलेश्वर मंदिर, दमोह में बूंदाबहु मंदिर, बटियागढ़ का किला, हटा का किला, दमोह का किला, असंख्य जैन मंदिर कुण्डलपुर प्रसिद्ध है। इस क्षेत्र ने कलचुरियों, चंदेलों और गोंड राजाओं सहित विभिन्न राजवंशों का शासन देखा है।
दमोह में घूमने वाली 10 प्रमुख जगहे
दमोह जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल कुंडलपुर में बड़े बाबा का मंदिर है। दमोह में नोहलेश्वर शिव मंदिर, बांदकपुर धाम मंदिर, भैसाघाट जलप्रपात, सिंगौरगढ़ का किला आदि देखने को मिलेगा।
1. प्राचीन जटा शंकर मंदिर दमोह
इस मंदिर में शिव जी की जटाओं को प्रतीक स्वरूप संरक्षित किया गया है। प्राकृतिक वातावरण और पुरातन सौंदर्य इसे तीर्थयात्रियों और इतिहास प्रेमियों के लिए आदर्श बनाते हैं। यह दमोह जिले में घूमने के लिए सबसे अच्छा धार्मिक स्थलों में से एक है जो जटाशंकर दमोह नाम से बड़ा प्रसिद्ध है और धार्मिक मंदिर है।
2. रानी दमयंती संग्रहालय
दमोह शहर में स्थित एक किला है इस किले की संस्थापक रानी दमयंती जी थी। इस संग्रहालय में रानी दमयंती के जीवन, उनके राज्याभिषेक और उस युग की ऐतिहासिक वस्तुएँ संजोई गई हैं। पारंपरिक वस्त्र, हस्तशिल्प और पुरावशेष यहाँ देखने लायक हैं। संग्रहालय के बाहर बहुत बड़ा गार्डन भी बना हुआ है आप इस गार्डन में घूमने परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए जा सकते हैं।
3. बड़ी देवी जी का मंदिर
बड़ी देवी जी का मंदिर लगभग 300 साल पुराना है। यह मंदिर दमोह से तो बहुत पुराना मंदिर है। इस मंदिर की मान्यता है कि लोगों की हर मुराद पूरी होती है और आप देखेंगे कि किस मन में बहुत सारे नारियल बंदे देखने को मिल जाते हैं। यह मंदिर शक्ति स्थानों में गिना जाता है। पूजन के दौरान भक्तों की भीड़ रहती है, और आसपास की हरियाली धार्मिक अनुभूति को और बढ़ा देती है।
जो लोग अपनी मन्नत मांगते हैं तो यहां पर एक नारियल बनते हैं। दमोह में बड़ी देवी जी का मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर फुटेरा तालाब के पास स्थित है। आप यहां अपने परिवार के साथ घूमने आ सकते हैं और बहुत अच्छी जगह दमोह में घूमने के लिए।
4. राजनगर झील दमोह
यह बहुत खूबसूरत झील है दमोह को बहुत सुंदरता में चार चांद लगाती है। झील में आपको एक मंदिर देखने को मिलेगा जो मां दुर्गा को समर्पित है। राजनगर झील से ही सम्पूर्ण दमोह को पीने के पानी की सप्लाई की जाती है। अगर आप बरसात के समय में झील में अद्भुत द्रश्य देखने को मिलेगा।
शांत और स्वच्छ झील, जहाँ नाव की सवारी का आनंद लिया जा सकता है। झील किनारे का वातावरण बहुत ही सुखद होता है — शाम या सुबह की सैर के लिए यह एक बेहतरीन विकल्प है।
5. बांदकपुर धाम दमोह
दमोह से लगभग 18 किमी दूर स्थित यह प्राचीन तीर्थस्थल जागेश्वर मंदिर विशेष आकर्षण के लिए जाना जाता। भगवान शिव शंकर की नगरी बांदकपुर तीर्थ स्थलों में से एक रहस्यमयी शिव मंदिर है। इस मंदिर में सालभर श्रद्धालु आते रहते है। यह आसपास के जिलों के लोगो का आस्था और आकर्षण का केंद्र भी है।
इस मंदिर में हर वर्ष महाशिवरात्रि के दिन बहुत ज्यादा लाखों की संख्या में लोग आते है। यह मंदिर देखने में बहुत ही सुंदर लगता है। यह मंदिर दमोह जिले के पास एक छोटे से गाँव बांदकपुर में स्थित है। इस मंदिर को श्री जागेश्वर धाम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। और पढ़े…
6. कुम्हारी जलप्रपात
हरे-भरे वन और थोड़ी ऊँचाई में झरने का यह मनोरम दृश्य, पिकनिक और ट्रेकिंग के शौकीनों को लुभाता है जो,कटनी-दमोह मार्ग से दस कदम की दुरी कुम्हारी गाँव में स्थित कुम्हारी जलप्रपात जो 30 फीट ऊंचाई से गिरता पानी शहर के जीवन की उथल-पुथल से मुक्ति प्रदान करता है। कुम्हारी जलप्रपात दूर-दूर से यात्रियों को आकर्षित करता है। और पढ़े…
7. नोहलेश्वर शिव मंदिर नोहटा दमोह

नोहलेश्वर शिव मंदिर नोहटा दमोह जिले से लगभग 17 किलोमीटर दूर जबलपुर-दमोह मार्ग पर स्थित है। नोहलेश्वर मंदिर का निर्माण 950-1000 ई.वी. के आस-पास मन जाता हैं। 10 वीं शताब्दी में कलचुरी साम्राज्य के द्वारा इस खूबसूरत नक्काशी से युक्त मंदिर का निर्माण चालुक्य वंश के कलचुरी राजा अवनी वर्मा की रानी ने करवाया था। नोहलेश्वर मंदिर पुरातात्विक महत्व की महत्तवपूर्ण स्थापत्य कला धरोहर है। नोहलेश्वर मंदिर एक ऊचें चबूतरे पर बना, जिसमें पंचरथ, गर्भगृह, अन्तराल, मण्डप एवं मुख मण्डप आदि भाग है, जो देखने में लोगों को आश्चचर्य में डालता है। यह खजुराहों मंदिर की स्थापित कला के समतुल्य माना जाता हैं। और पढ़े…
8. सिंगौरगढ़ का किला (रानी दुर्गावती का किला)
सिंगौरगढ़ का किला गौंड राजा की संप्रभुता और वैभव साली समृद्धि का इतिहासिक प्रतीक है। यह किला सिग्रामपुर के पास चारों तरफ घने जंगलों के बीच वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व के अंदर स्थित है। यह किला आपकों थकान देने वाली पहाड़ की ऊँची चढ़ाई करने के बाद ही देखने को मिलेगा। एक प्राचीन किला जो रानी दुर्गावती के नाम से जुड़ा है। बुंदेलखंड की संस्कृति और उस ज़माने की स्थापत्य कला की झलक यह किला दिखाता है

इस किले से पहाड़ी ढलान के नीचे आपको बहुत ही सुंदर संग्रामशाह तालाब देखने को मिलेगा साथ ही एक विशालकाय बरगद का वृक्ष भी तालाब के बाजू में गौंडवाना साम्राज्य के गौरवान्वित इतिहास की यादें समाये आज भी खड़ा है।
अब यह किला बहुत ही खंडार अवस्था में है, क्योंकि लोगों में मान्यता थी कि रानी दुर्गावती के पास पारस पत्थर था और जिस पारस पत्थर से किसी भी लोहे की वस्तु को खिलाने से सोने की वस्तु में परिवर्तित हो जाता था। इसी सोने की पारस पत्थर इसी सोने की लालच के कारण बहुत से लोगों ने खुदाई की और खंडहर के रूप में परिवर्तित कर दिया है।
पुरातत्व विभाग के अधीन संरक्षित है। इस किले बारे में कहा जाता है कि रानी दुर्गावती विवाह के पश्चात निवास करती थी। और इस किले के पास स्थित तालाब में स्नान किया करती थी यहां इस तालाब के पास आपको बहुत सारी प्रीति प्रतिमा देखने को मिलेंगी। और पढ़े…
9. गिरी दर्शन वॉच टावर
गिरीदर्शन पास टावर यह आपको दमोह से जबलपुर राष्ट्रीय मार्ग पर जबेरा से 05 कि.मी. एंव सिंग्रामपुर से 07 कि.मी. कि दूरी पर पहाड़ों का जिनका और जंगल का दृश्य दिखाने के लिए काफी ऊंचाई पर बना मिलेगा। यह टावर रानी दुर्गावती आवरण के अंदर स्थित है आप यहां पर घूमने के लिए और पिकनिक मनाने के लिए आ सकते गिरी दर्शन पास टावर यह दो मंजिला रेस्ट हाऊस कम वाच टावर वन विभाग के द्वारा निर्मित है।
यहां आपको चारों तरफ बहुत हरियाली देखने को मिलेगी साथ ही है दमोह शहर का सबसे खूबसूरत स्थलों में से एक है, रात के समय यहाँ जंगली जानवर भी दिखाई देते है। इसके लिए लिए रिजर्वेशन दमोह के डी.एफ.ओ ऑफिस से करवाया जा सकता हैं।
10. वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व

नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य और रानी दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य को मिलकर वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व हाल ही के समय बना जिसका नाम वीरांगना रानी दुर्गावती के नाम पर रखा गया है। वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व दमोह, सागर और नरसिंगपुर जिले का एक मुख्य आकर्षण का केंद्र है। और पढ़े…
11. जोगन कुंड
जोगन कुंड झरने के पास एक प्राचीन मंदिर है। जोगन कुंड दमोह शहर का एक लोकप्रिय दर्शनीय स्थलों में से एक है। जोगन कुंड झड़ने को देखने के लिए आप बरसात के समय आते हैं तो आपको या झरना बहुत ही खूबसूरत दिखेगा। यह झरना जंगलों के बीच में स्थित है। जोगन कुंड दमोह जिला के जबेरा तहसील में स्थित है। और पढ़े…
12. नजारा व्यू प्वाइंट
नजारा व्यूप्वाइंट रानी दुर्गावती वन्य जीव अभ्यारण का विशाल भू दृश्य वाला क्षेत्र है। यहां से आप दमोह जिले का बहुत ही खूबसूरत दूर तक का नजारा ले सकते हैं। खासकर शाम के वक्त। यहां से बहुत ही मनोरम सुंदर प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलता है। यह रानी दुर्गावती अपहरण का प्रमुख पॉइंट है जो भैसाघाट से 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। और पढ़े…

13. जैन तीर्थ कुंडलपुर दमोह

कुंडलपुर दमोह जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। यह दमोह जिले से 35 किलोमीटर दूर स्थित है। ज्यादातर लोग इसे कुंडलपुर पटेरा के नाम से जानते हैं। कुंडलपुर में जैन धर्म के 65 मंदिरों का पूरा समूह है स्थित हैं। जो पहाड़ी पर बने हुए हैं। इन पहाड़ियों पर बने हुए मंदिरों में एक मंदिर बड़े बाबा का मंदिर है।
यह मंदिर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, और बहुत ही प्राचीन है। जैन धर्म के लोग इसे परिक्रमा करने आतें हैं। दमोह से लगभग 35 किमी दूर है यह सिद्ध जैन तीर्थस्थल, जहाँ कई मंदिर और मठ हैं। यहाँ श्रीधर केवली मोक्ष प्राप्त हुआ, इसलिए यह विशेष रूप से धार्मिक महत्व रखता हैं। और पढ़े…
14. भैंसा घाट जलप्रपात (निदान झरना)
भैंसा घाट जलप्रपात यह सिंग्रामपुर जबेरा के पास रानी दुर्गावती वन्य जीव अभ्यारण के पास पड़ता है। हरे-भरे जंगलों में स्थित यह झरना यह पहाड़ी के वहुत ऊपर से गिरता हैं और यह लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट भी हैं।

Haathi naala waterfall
हाथी नाला वॉटरफॉल, Pondi Kalan Waterfall
पोंडी कलान वॉटरफॉल, Bagdari Water Fall,Tapkana
टपकाना , Bhajiya lake, Mangarh waterfall, Bhainsa
भैंसा, Singour Garh Fort
सिंगौरगढ़ किला, Singhorgarh lake
सिंगौंरगढ़ लेक, Najara View Point
नजारा व्यू पॉइंट, Jogan Kund
जोगन कुंड,
Goodwill Peak
सद्भावना टावर, Hanuman mandir doni प्रसिद्ध हनुमान मंदिर दोनी, DIVYA KISHAN GADH DHAM
दिव्य किशन गढ़ धाम, Chunetiya Mata Mandir khamkheda Singourgarh
चुनेतिया माता मंदिर खामखेड़ा सिंगौरगढ़, श्री दिगंबर चंदाप्रभु जैन मंदिर, झालोन ,तेंदुखेदा , दमोह 470880, म.प्र.
श्री दिगंबर जैन जैन मंदिर, झालोन, Nohleshwar Shiv Mandir
नोहलेश्वर शिव मंदिर, Chakla Waterfall
चकला वॉटरफॉल, Picnic point,(khamkheda)
पिकनिक पॉइंट,Bandakpur
बांदकपुर, Kundalpur
कुण्डलपुर, भदभदा हारट Hatta
हटा, JHARKHANDI FORT
झारखंडी फोर्ट, Bhadakudi(भड़ाकुड़ी)
भादकुदी, Bardha fort
बर्धा फ़ोर्ट, NASENYA WATERFALL. SILAPARI
नसेन्य WATERFALL. सिलापरी,
FAQ
क्या दमोह जिला धार्मिक यात्रा के लिए उचित है?
दमोह जिले में क्या है?
“धर्मेंद्र सिंह आर्यन गो में सीनियर डिजिटल कंटेंट राइटर कार्यरत है। उम्र 35 साल है, शैक्षिणिक योग्यता दर्शनशास्त्र में एम.फिल है, मुझे किताबें पढ़ने, लेखन और यात्रा करने का शौक है, मेरा आहार शुद्ध शाकाहारी भोजन है। मुझे भारत के छिपे हुए पर्यटक स्थलों की खोज करने और उन पर लेख लिखने का गहरा जुनून है।
पिछले 18 वर्षों से, मैंने एक ट्रैवल गाइड के रूप में अमूल्य अनुभव एकत्र किए हैं, जिन्हें मैं अब अपने ब्लॉग के माध्यम से गर्व से साझा करता हूं। मेरा लक्ष्य आपको भारत के सबसे आकर्षक यात्रा स्थलों के बारे में आकर्षक और व्यावहारिक जानकारी प्रदान करना है, साथ ही अन्य उपयोगी ज्ञान जो आपकी यात्रा को बेहतर बनाता है।
मैंने एक ब्लॉगर, YouTuber और डिजिटल मार्केटर के रूप में अपनी भूमिकाएँ निभाई हैं। मैं प्रकृति की गोद में बसे एक छोटे से गाँव में अपने शांतिपूर्ण जीवन से प्रेरणा लेता हूँ। मेरी यात्रा दृढ़ता और समर्पण की रही है, क्योंकि मैंने अपने सपनों को वास्तविकता में बदलने के लिए कड़ी मेहनत की है। अपने ब्लॉग के माध्यम से, मैं अपने द्वारा अर्जित ज्ञान को साझा करना चाहता हूँ और दूसरों को रोमांचकारी यात्रा करने के लिए प्रेरित करना चाहता हूँ।“