Suhajni Mata Mandir Majholi Jabalpur: सुहजनी वाली माता मंदिर मझौली जबलपुर शारदीय नवरात्रि में देवी दर्शन के लिए लाखो की संख्या में भक्तो की भीड़ आसपास के जिलों से “सुहजनी वाली माता” के दर्शन करने आतें हैं। जिन भक्तों की माँ ने मन्नत पूरी की हुई हैं वे भक्त माँ के लिए चढ़ावा भी ले कर आते है।
जब आप 11 से 13अक्टूबर 2024 नवरात्री में आएँगे तो आप देखेगे चाँदी के हजारों छत्रों का अम्बार लगा होता है। यह चाँदी के छत्र भक्तो द्वारा माता सुहजनी वाली को मन्नते पूरी होने के बाद चढ़ाये जातें हैं। यहाँ की खासियत यह है की देवी की मूर्ति पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही स्वरुप में स्थापित की जाती है।
हम बात कर रहे हैं भक्ति और देवी माँ के दर्शन की जहाँ पर तीनों के रूप मै देवी माँ शक्ति, लक्ष्मी और सरस्वती का स्वरुप साक्षात् विराजमान हैं, यह स्थान मध्य प्रदेश में स्थित गाँव इसे हम सुहजनी के नाम से जानते है जो बहुत प्रसिद्ध है।

सुहजनी वाली माता की स्थापना
सुहजनी वाली माता की स्थापना नवरात्र के सप्तमी को होती हैं, जो शाम के समय बड़ी ही धूम-धाम और बैंड बाजों के साथ में के साथ होती है। स्थापना के दिन लोगो की संख्या हजारो में होती है। माँ की स्थापना का शाम 7:30 से शुरु हो जाती है, जो बहुत ही भक्तिमय होता है। जिसमें देवी काली, सारस्वती, लक्ष्मी जी की पूजा बड़े ही हर्ष और उल्केलास के साथ की जाती हे।

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माँ जगत जननी मैया सुहजनी वाली माता की स्थापना पंडित जी, कमलेश प्यासी जी के द्वारा होती हैं। देवी माँ की मूर्ति जिसका निर्माण वर्षो से एक ही रूप में इसी स्थल में आश्विन शुक्ल पक्ष की बैठ्की नवरात से प्रारंभ हो कर, सप्तमी के दिन स्थापना की जाती है। माँ के स्थापना का झारिया समाज जिनकी पीढ़ी दर पीढ़ी माई की सेवा का अवसर प्राप्त है।
सुहजनी वाली माता के दर्शन और आरती
नवरात्रि के समय में यहाँ पर बैठकी से लेकर ग्यारस तक लोग मैया सुहजनी वाली माता के दरवार में दूर-दूर के गाँवों से लोग सुबह 4: 00 बजे से पैदल चल कर मैयाजी को जल चढ़ाने आते है यहाँ जल चढ़ाने वालों की लम्बी कातार होती है।इस स्थान में आने वाले सभी रास्ते में लोगों की भारी भीड़ होती हैं। माँ के दर्शन करने के बाद माँ स्थान के बाजू से अन्दर चलकर पंडा बाबा की की मढिया है। जहाँ से माँ के जिवारे शुरू होते है जहाँ पर जिवारों की संख्या बहुत अधिक होती है जहाँ दूर-दूर से लोग आते है।

नवरात के पहले दिन से ही लोग यहाँ पर जिवारे विवाने के लिए आते है। जहाँ जिवारों के कलशों की संख्या हजार के ऊपर होती है जो कि नवरात के नौं वे दिन निकाले जाते हैं। दशहरे के समय में अपनी मनोकामना पूरी होने पर लोग दूर-दूर से माँ के दरवार में बैंड बाजों के साथ में बड़े-बड़े जुलूसों को लेकर झंडा चढानेआते है। सुहजनी का दशहरा जबलपुर जिले में बहुत ही लोकप्रिय और प्रसिद्ध है। सुहजनी का दशहरा नवरात के ग्यारस को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता हैं।
सुहजनी का दशहरा ग्यारस की रात बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता हैं, और जीवन भर स्मरणीय और रोमांचक रहेगा। इस समय में आकार आप इस विशाल दशहरे आनंद ले सकते हैं। क्योंकि यहाँ दशहरा बहुत ही खास होता है जब भी आपको समय मिले यहाँ पर आना न भूले।

नो पार्किंग जोन : Suhajni Mata Mandir Majholi Jabalpur
नवरात के सप्तमी से आप माँ के दर्शन के लिए सुहजनी आ सकते हैं, लेकिन अधिक भीड़ आने के कारण सुबह 10.00 am के बाद अगर आप मझौली मार्ग से आते हैं तो सुहजनी गावं से 2 km के पहले ही आपको अपनी गाड़ी पार्किंग में खड़ी करनी होगी। अगर आप सुबह 10.00 am के पहले दर्शन को आते हैं तो आपको मंदिर के बहुत पास तक आप अपनी गाड़ी से आसानी जा सकते हैं।
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सुहजनी में मौजूद अन्य स्थल
सुहजनी का एक अपना धार्मिक महत्त्व है। सुहजनी माता मन्नत पूरी करने वाली देवी दरवार के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर लोग अपनी मन की मुरादों को लेकर माता के दरवार में आते है। सुहजनी में माता रानी के मंदिर के अलावा और भी अन्य दार्शनिक स्थल मौजूद हैं। जैसे
- यज्ञशाला सुहजनी :
- माता दुर्गा मंदिर सुहजनी
- माता महाकाली मंदिर सुहजनी

क्या आपने कभी लगभग 1 मीटर के आसपास होता (3 फिट) तक पंखों के फैलाव वाले बड़े चमगादड़ को देखा जो, बहुत ही बड़े आकार के चमगादड़ पाये जाते हें जिनके पंखों के फैलाव का आकार है। जो विशेष रूप से बहुत ही कम देखने को मिलतें हैं। यदि नहीं तो शायद आप यह जानकर अचंभित हो जाओगे की यज्ञशाला सुहजनी में एक पीपल के पेड़ के पास बहुत सारी ऐसी चमगादड़ देखने को मिल जाएँगी जिनका साइज़ लगभग एक बड़े बाज़ के बराबर होता है। हर जगह कुछ ऐसे खास स्थान होते है, जो बहुत ही कम लोगो को पता होता है। यहाँ पर एक शनि भगवान का भी मंदिर हैं। जो बहुत ही कम लोगो ने देखा है।

माता महाकाली मंदिर सुहजनी
सुहजनी के मुख्य मंदिर से थोड़ी दूर पर माता महाकाली का मंदिर स्थित है। जिसमे माता महाकाली की एक बहुत ही सुंदर मूर्ति स्थापित है। जिसे देख ऐसा प्रतीत होता है मानो सामने स्वयं माता महाकाली प्रकट हुई है। लोग यहाँ पर माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं यहाँ पर बहुत शांत वातावरण होता है।

माता दुर्गा मंदिर सुहजनी

मुख्य मंदिर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर एक पहाड़ी पर बहुत ही खुबसूरत मंदिर बना हुआ है। जिसमे माँ दुर्गा जी की मूर्ति स्थापित है। यह मंदिर देखने में मन मनमोहक प्रतीत होता है। यह पूरा मंदिर परिसर में बहुत ही अच्छा लगता है। इस पहाड़ी से देखने पर आसपास के खेत खलियानों और प्रकृति के अनुपम द्रश्य दिखाई देता है।

वहीं से थोड़ी दूर सीढ़ियों से ऊपर चढ़कर माँ दुर्गा जी का मन्दिर है। जहाँ पर लोग एक साथ बैठकर भक्ति के साथ भजन कीर्तन करते है। वहाँ का हम बहुत ही शानदार नजारा देखते है । जहाँ से हम चारो और का नजारा देखते हुए आनंद लेते है। जिसमें हरे भरे खेत तालाब देख कर मन को बहुत ही सुकून मिलता हैं। आप जब भी यहाँ आएं तो इन खुबसूरत नजारों का आनंद जरुर ले।
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सुहजनी के मेले में शासन द्वारा व्यवस्था बहुत ही अच्छे स्तर पर की जाती हैं। जिसमे पुलिस प्रशासन की पूरी टीम तैनात की जाती हैं।
सुहजनी पहुँचने का मार्ग
- मझौली से सुहजनी 8 km, पार्किंग 2 km के पहले सुहजनी पहुँचने का यह मुख्य मार्ग हैं।
- जबलपुर से इन्द्रना रोड (लड़ोई लुहारी गाँव से होकर) जो थोडा सा कच्चा मार्ग है 5 km,पार्किंग 2 km के पहले।
- जबलपुर से कटंगी पोला हो कर या मझौली हो कर पक्का मार्ग या पोला से कच्चा मार्ग,पार्किंग पास में।
- जबलपुर से कटंगी गठौरा हो कर कच्चा मार्ग,पार्किंग पास में ।
- जबलपुर से कटंगी पोला हो कर मझौली हो कर पक्का मार्ग या पोला से कच्चा मार्ग,पार्किंग 2 km के पहले।
सुहजनी वाली माता का विसर्जन समारोह
सुहजनी वाली माता का विसर्जन होने से पहले पूरी रात माँ के दरवार में दूर-दूर से गायक आते हे जो वहाँ आकर सभी लोगों का मनोरंजन व माता का भजन-कीर्तन करते हैं। सुबह 4.00 am के समय के दिन यहाँ पर माता रानी का भव्य जलशा निकलता है। जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं।
सुहजनी वाली माता का भव्य जलसा निकलने के तुरन्त बाद माताजी के विसर्जन की तैयारी शुरू हो जाती है। जो कि पास के तालाब में विसर्जन की जाती हैं जिसके पश्चात वहाँ पर इतनी अधिक भीड़ होती हैं, कि पैर रखने ले लिए जगह कम पड़ जाती हैं।
सुहजनी वाली माता का विसर्जन के लिए बैंड बाजों के साथ में ले जाते है। मैयाजी को एक बार उठाने के पश्चात सिर्फ विसर्जन स्थान पर ही रखा जाता हैं जहाँ मैयाजी की अंतिम आरती होने के पश्चात् मैयाजी को विसर्जित कर दिया जाता हैं।
सुहजनी में ठहरने और खाने की व्यवस्था
अगर आप वंहा पर जाते हैं तो आपको खाने पीने की पूरी व्यवस्ता मिलती है। दशहरे के शुरु दिन से ही विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है, जहाँ पर आप ठहर कर खाना खा सकते है जब की देर तक आराम कर सकते है।
FAQ : हमेशा पूछे जाने वाले प्रश्न
मझौली से सुहजनी की दुरी कितनी हैं ?
मझौली से सुहजनी 8 KM दूर हैं।
जबलपुर से सुहजनी की दुरी कितनी हैं ?
जबलपुर से सुहजनी 50 KM दूर हैं।
कटंगी से सुहजनी की दुरी कितनी हैं ?
कटंगी से सुहजनी 8 KM दूर हैं।
सुहजनी वाली माता मंदिर कहाँ पर हैं ?
सुहजनी वाली माता मंदिर सुहजनी गाँव जो मझौली तहसील के पास जिला जबलपुर में स्थित हैं।
सुहजनी वाली माता मंदिर क्यों प्रसिद्ध हैं ?
मातारानी द्वारा लम्बें समय से लोगों की मन्नते पूरी करती आ रही हैं, और हजारों चाँदी के छत्तर भक्तों द्वारा माता रानी को चढ़ाये जातें हैं।
आस-पास के पर्यटन स्थल
नाहन देवी मंदिर जबलपुर, कटाव धाम मझौली, सिद्धाम धाम लोढ़ा पहाड़ सिहोरा,
भगवान विष्णु बारह मझौली जबलपुर , कुंडा धाम कटंगी, निदान वॉटरफॉल,
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“धर्मेंद्र सिंह आर्यन गो में सीनियर डिजिटल कंटेंट राइटर कार्यरत है। उम्र 35 साल है, शैक्षिणिक योग्यता दर्शनशास्त्र में एम.फिल है, मुझे किताबें पढ़ने, लेखन और यात्रा करने का शौक है, मेरा आहार शुद्ध शाकाहारी भोजन है। मुझे भारत के छिपे हुए पर्यटक स्थलों की खोज करने और उन पर लेख लिखने का गहरा जुनून है।
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