Kundeshwar Dham Kundam Jabalpur : भागवान शिव शंकर के चरणों से हुआ हिरन नदी का उद्गम कुंडेश्वर धाम कुण्डम जबलपुर मध्य प्रदेश। यहाँ भागवान शिव शंकर की अलौकिक मूर्ति विद्यमान हैं, इसी दिव्य स्थल से ही हिरन नदी का उदगम हुआ हैं। हिरन नदी मध्य प्रदेश के प्रमुख नदीयों में से एक है, जो नर्मदा नदी की प्रमुख सहायक नदी हैं। हिरन नदी मध्य प्रदेश के जबलपुर और नरसिंहपुर जिले में स्थित है।
जबलपुर के कुण्डम जनपद में कुंडेश्वर नाम का एक प्रसिद्ध मंदिर मौजूद है। यह मंदिर भागवान शिव शंकर जी को समर्पित है। शिव जी की जो प्रतिमा है, काले पत्थर से निर्मित सुन्दर और अनोखी प्रतिमा है।
इसी मंदिर के पास बने कुंडों से हिरन नदी का उद्गम हुआ है। इन्ही कुंडों के कारण इस मंदिर में मौजूद भागवान शिव को कुंडेश्वर कहा जाता हैं। यह मंदिर कुंडेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता हैं। इस कारण इस स्थान का नाम इस मंदिर के कारण कुण्डम गाँव पढ़ा
यहाँ पर आपको दो तालाब देखने को मिलेंगे, एक छोटा और दूसरा बड़ा। छोटे तालाब के पास में ही कुंडेश्वर महादेव जी का मंदिर बना हुआ है। और बड़ें तालाब के किनारे कुण्डम की बस्ती बसी हुयी हैं
कुंडेश्वर महादेव जी का मंदिर को ही हिरण नदी का उद्गम स्थल माना जाता है । मंदिर के पास ही दो छोटे-छोटे कुंड बने हुए हैं और इन्ही कुंडों उद्गमित हो कर हिरण नदी आगे पतली से धारा प्रवाह में प्रबाहित होती है।
आज सम्पूर्ण हिरण नदी की आप हालत मर्न्नासन अवस्था में आप देख सकते हैं। हिरन नदी का पानी पानी वहुत ही ज्यादा गंदा हो चूका हैं।
इस नदी के नामकरण के बारे में कहा जाता हैं कि इस नदी में अधिकतर हिरणों का पानी पिने से इस नदी का यह नाम हिरन पढ़ा है, एक और मत हैं की हिरन नदी हिरनी सी चल के साथ बहती हुई हैं। हिरन नदी मध्य प्रदेश के बहुत से गांव एवं शहरों के शहरों की भूमि को पानी से सिंचित करती है।
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हिरण नदी नरसिंहपुर के पास हीरापुर गाँव में नर्मदा नदी के जल धारा प्रवाह में मिल जाती है। हिरन नदी की उत्पत्ति जबलपुर जिले के कुण्डम जनपद से हुयी है। हिरण नदी कुण्डम, सिहोरा, मझौली, पनागर, जबलपुर , पाटन, भूमि को सिंचित करती है। इसी नदी के तट पर स्थित नाहन देवी का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मौजूद है। साथ ही हिरण नदी के किनारे ही सतधारा का प्रसिद्ध मेला लगता है। इसी स्थल में शिव जी का प्राचीन मंदिर देखने के लिए मिलता है, साथ ही हरण नदी के किनारे मुरैठ का प्रसिद्ध मंदिर मौजूद हैं ।
हिरन नदी के किनारे मकर संक्रांति के समय तीन बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है, जिसमें से एक नहानदेवी का मेला और दूसरा सतधारा का मेला, तीसरा मुरैठ का मेला वहुत ही प्रसिद्ध है। मकर संक्रांति के मेला और नये वर्ष के समय आसपास के लोग वहुत ही ज्यादा संख्या में एकत्र होते हैं।
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सतधारा का मेला
सतधारा में आपकों हिरण नदी की सात धारा देखने को मिलेगीं। सतधारा में हिरण नदी का दृश्य बहुत सुंदर दिखता है। सतधारा में जो मेला लगता है, वह 7 दिन तक चलता है। मेले में आपको झूला और बहुत सारी दुकानें भी देखने के लिए मिल जाती हैं। सतधारा का मेला लकड़ी के सामान के लिए प्रसिद्ध है।
मुरैठ का मेला
मुरैठ का मेला भी लगता है, वह 7 दिन तक 14 से 20 जनवरी तक चलता है। मेले में आपको झूला और बहुत सारी दुकानें भी देखने के लिए मिल जाती हैं। मुरैठ का मेला भागवान कृष्ण और राधारानी के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
नाहन देवी का मेला
हिरन नदी में नाहन देवी प्रसिद्ध स्थल है, जो धार्मिक है। इसी स्थान में मेरा बचपन गुजरा हैं क्योंकि यहाँ पर मेरा नानीहाल हैं, नाहन देवी से मेरी वहुत सी यादें और आस्था जुड़ीं हुयी हैं ।
जबलपुर दमोह हाईवे रोड से 5 km अन्दर ककरेहटा गाँव के पास हिरन नदी के किनारे नाहन देवी मंदिर स्थित है। यह मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है और इस मंदिर में भी जो देवी जी की मूर्ति है वह अवसादी शैल से प्रकृति रूप से निर्मित विशालकाय अक्रती की हैं। जो हिरण नदी के बीचों-बीच में स्थित है।
नाहन देवी की मूर्ति व चट्टान को सभी लोग पूजते हैं। यहां पर नवरात्रि के समय बहुत बड़ी चुनरी यात्रा का आयोजन होता हैं। जबलपुर और दमोह जिले से बहुत सारे लोग यहां पर घूमने और पिकनिक मनाने के लये आते हैं।
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