Tigwa Kankali Devi Mandir Bahoriband Katni : तिग्मा कंकाली देवी मंदिर तिगावा बहोरीबंद में स्थित है, जो भारत के मध्य प्रदेश के कटनी जिले का एक छोटा सा प्रसिद्ध गाँव है। कंकाली देवी मंदिर इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है और हिंदू देवी दुर्गा के एक रूप देवी कंकाली को समर्पित है।
भक्त आशीर्वाद लेने और देवता से प्रार्थना करने के लिए मंदिर जाते हैं। मंदिर अपनी स्थापत्य सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है, जो स्थानीय भक्तों और पर्यटकों दोनों को आकर्षित करता है जो इस क्षेत्र की धार्मिक विरासत का पता लगाने की इच्छा रखते हैं।
तिगावा बहोरीबंद एक ग्रामीण क्षेत्र है, और मंदिर स्थानीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक केंद्र है। यह भक्तों को अपनी आस्था से जुड़ने और शांति पाने के लिए एक शांत और शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करता है। यदि आप तिगावा बहोरीबंद में कंकाली देवी मंदिर की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं, तो सलाह दी जाती है कि आप वर्तमान यात्रा स्थितियों और किसी विशेष दिशानिर्देश या प्रतिबंध की जांच कर लें।
Tigwa Kankali Devi Mandir Bahoriband Katni
कहा जाता हैं की यहाँ कभी 36 हिंदू मंदिरों का समूह हुआ करता था जो आज खंडहरों रूप में आज एक पुरातात्विक स्थल है। इन मंदिर समूहों में सबसे छोटा लेकिन महत्वपूर्ण और प्राचीन कंकाली देवी मंदिर अच्छी स्थिति में मौजूद है। इन सभी मंदिरों का निर्माण कल लगभग 400 से 425 ईस्वी पूर्व का मन जाता है।
आज इस स्थान के कारण इस गाँव को तिगवान के रूप में भी जाना जाता है, अगर आप इस अथां पर आना चाहतें हैं तो यह स्थान कटनी और जबलपुर के बीच बहुरीबंद गाँव के उत्तर में लगभग 4 किलोमीटर या 2.5 मील है।
ब्रिटिश औपनिवेशिक युग में रेलवे परियोजना के दौरान हिंदू मंदिरों के खंडहर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए थे जब ठेकेदार ने रेलवे परियोजना के लिए निर्माण सामग्री के रूप में खंडहरों को ध्वस्त कर दिया और इन मंदिरों के पत्थरों की खुदाई की । इन खंडहरों स्मारकों में, कंकाली देवी मंदिर सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है,और जो गुप्त काल का मंदिर है।
आज यह सबसे पुराने जीवित हिंदू मंदिरों में से एक मंदिर है, अगर आप गौर से देखें तो आपकों हिंदू मंदिर वास्तुकला के प्रारंभिक चरणों और आधुनिक युग के माध्यम से उत्तर भारतीय शैली में पाए जाने वाले कलाकृतियाँ का दर्शन होगा।
इतिहास की बात करें तो जब भारत मुगलों के अधीन था तो मुगलों द्वारा हिन्दुओं के अस्तित्व को मिटाने की भरपूर कोशिशें की गई। इनके साक्ष भारत में स्थित बहुत ही प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर मूर्तियाँ मुगलों द्वारा किये गए अप्क्रत्यों का जीते जागते उदाहरण है। मुगलों ने इन मंदिरों में तोड़ फोड़ की और इनमे स्थापित मूर्तियों को खंडित किया। आपको इसके कई उदहारण भारत के राज्यों की सूची में मौजूद मध्यप्रदेश में देखने को मिल जायेंगे।
मध्यप्रदेश के कटनी जिले में स्थित बहोरिबंद एक सम्रध शहर है। बहोरिबंद से लगभग 2 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है एक बहुत ही प्राचीन मंदिर। यह मंदिर इतिहास में हुई घटनाओं का एक उदहारण मात्र है। इस मंदिर के खंडित भू-भागों को देख मुगलों और बाहरी आक्रमणकारियों किये गए दूषित कार्यों को साफ़ साफ़ दर्शाता है।
यदि आप को नई नई जगहों पर घूमने का बहुत शौक है तो आप बहोरीबंद के पास माता कंकाली देवी मंदिर तिगमा के मंदिर घूमने जा सकते है। यह बहुत ही प्राचीन मंदिर है यंहा पर पुरातात्विक मंदिरों की कई नक्काशिया है और यंहा का नज़ारा बहुत अद्भुत है यंहा पहुंचने के लिए आपको मध्य प्रदेश के कटनी जिले के बहोरीबंद के पास एक छोटे से गाँव तिग्मा की और रुख करना पड़ेगा।
आप जैसे ही तिग्मा आते हैं जैसे ही आप मंदिर में अंदर प्रवेश करेगे तो आप देखते हैं की आपको बहुत ही प्राचीन और अद्भुत मंदिर दिखेगा जिसमे बहुत ही गजब तरीके से नकासिया की गई है जब मैं तिग्मा पहुंचा तो मैंने देखा की जैसे ही मैं मंदिर के द्वार पर पहुंचता हु
तिगवान नाम के बावजूद, मंदिर शायद विष्णु को समर्पित था, बाद में अन्य तत्वों के साथ जोड़ा गया। नरसिंह के रूप में उनकी एक छवि गर्भगृह के अंदर रखी गई है। एक शिला पर शेषशायी विष्णु भागवान (नारायण) और चामुंडा (कंकली देवी) की एक और छवि है। साथ ही एक शिला पर के सामने से प्रक्षेपित करना योग आसन की स्थिति में सिर के ऊपर एक सर्प फन के साथ बैठे विष्णु की बाद की राहत है।
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तो सबसे पहले वंहा पर मुझे पुरातात्विक विभाग द्वारा लगये गया बोर्ड दिखा जिसमे सख्त आदेश लिखा था की यह स्मारक प्राचीन स्मारक एवम पुरातात्विक स्थल व अवशेष अधिनियम के तहत राष्ट्रीय महत्त्व का घोषित किया गया है यदि कोई भी इस स्मारक को क्षति पहुंचाता है।
सुरक्षित स्मारक
”यह स्मारक प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्विक स्थल और अवशेष अधिनियम,1958 (1958 का 24) के अधीन राष्ट्रीय का घोषित किया गया है जो कोई इस स्मारक को नष्ट करता है हटता है हानि पहुँचाता है बदलता है।
विकृत करता है जोखिम में डालता अथवा इसका दुरपयोग करता है तो उसे कारावास का दंड भोगना पड़ेगा जिसकी अवधि तीन मास तक बदाई जा सकती है अथवा वह अर्थदंड का भागी होगा जो की 5000 /-रूपये तक बढाया जा सकता है अथवा दोनों ही एक साथ दिये जा सकेगें”।
आस पास स्थित दर्शनीय स्थल
भगवान विष्णु वराह की नगरी मझौली
सुहजनी वाली माता मंदिर मझौली जबलपुर
नाहन देवी जबलपुर प्रसिद्ध स्थल
नमस्ते! मैं अनीता ठाकुर हूँ – इस ब्लॉग लिखने का बिचार मुझे डिग्री पूरी करने के बाद, मेरा दिल मुझे अपने दुनिया देखने की चाहत के पास वापस ले आया, जहाँ मैं वर्तमान में पर्यटन का अध्ययन कर रही हूँ। मेरा सबसे बड़ा लक्ष्य आपको दुनिया भर में छिपे हुए स्थानों को खोजने में मदद करना और आपको उन जगहों पर जाने के लिए प्रेरित करना है जिनके बारे में आपने कभी नहीं सोचा था।