Kalika Mata

Kalika Mata : 1857 के वीर शहीद ठाकुर कुन्दन सिंह और अमर शहीद लक्ष्मण सिंह द्वारा स्थापित कालिका माता मंदिर नारायणपुर

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Kalika Mata : काली, कालिका या महाकाली देवी आदिशक्ति के रौद्र रूप की देवी हैं, जिन्हें मृत्यु, काल और परिवर्तन की देवी हैं। यह सुन्दरी रूप वाली आदिशक्ति दुर्गा माता का काला, विकराल और भयप्रद रूप है, जिसकी उत्पत्ति रक्तबीज जैसे असुरों के संहार के लिये हुई थी। माता के इस रूप का पूजन विशेषत बंगाल, ओडिशा और असम आदि राज्यों में आधिक किया जाता है।

माता के इन 9 रूपों को नवदुर्गा या नौदेवी के नाम से जाना जाता है। नवरात्री के 9 दिनों तक जगत जननी मां देवी दुर्गा के जिन 9 रूपों का पूजन विशेष विधि-विधान से किया जाता है, जिनमें पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री।

कालिका माता मंदिर, माँ भवानी को समर्पित एक अनोखा मंदिर है। जो हरी -भरी पहाडियों के मध्य में बसा हुआ है। यहाँ प्रक्रति के बहुत ही सुंदर द्र्श्यो से परिपूर्ण अत्यधिक मनोरम रूप को देखने को मिलता है। इस मंदिर का धार्मिक के साथ साथ ऐतिहासिक महत्त्व भी है। 1857 के वीर शहीद ठाकुर कुन्दन सिंह और अमर शहीद लक्ष्मण सिंह द्वारा स्थापित कालिका माता मंदिर जो नारायणपुर राज्य (State) जो अब बघराजी गाँव के पास पढता हैं।

कालिका माता मंदिर भारत के टिकरिया बाघराजी गांव में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। देवी कालका को समर्पित, मंदिर अपनी सुंदर पत्थर की नक्काशी और जटिल वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इसे इस क्षेत्र का सबसे पुराना मंदिर कहा जाता है, जिसे हजारों साल पहले बनाया गया था और कई बार इसका जीर्णोद्धार किया गया है।

मंदिर ग्रामीणों के लिए पूजा का एक महत्वपूर्ण स्थान है और अन्य भक्तों के लिए सुंदरता का स्थान है। मंदिर के अंदर का खोखला इसकी वास्तुकला का अहम हिस्सा है।

Kalka Maai Mandir Baghraji
Kalka mai madiya Tikariya baghraji

Kalika Mata : कालिका माता परिसर में मौजूद अन्य स्थल

कालिका माता को समर्पित यह आकर्षित मंदिर पहाड़ो की गोद में बसा बहुत ही मनमोहक प्रतीत होता है। यह एक बड़े परिसर में स्थित है। इस परिसर में माता कलिका के मुख्य मंदिर के बाजू में भगवान शिव का चबूतरा और श्री हनुमान जी महाराज का चबूतरा मौजूद है।

मदिर के बाजु में एक पेड़ पर लोग अपनी मन्नतो का पूरा होने पर इसमें झंडे और चुनरी आदि बाँध जाते है। इसके साथ ही मुख्य मंदिर के पीछे तरफ माता महाकाली का छोटा सा मंदिर बना हुआ है।

Kalika mai Mandie Baghraji
Kalka mai madiya Tikariya baghraji

अब मुख्य मदिर से आंगे की ओर पहाड़ी से नीचे की तरफ जाने के लिए कुछ सिद्दिया बनी हुई है। जब हम नीचे की तरफ पहुँच जाते है तो विल्कुल सामने की ओर एक कुंड बना हुआ है। जिसमे साल के 12 महीने पानी भरा रहता है। इसके बाजु में एक विशाल वटवृक्ष लगा हुआ है।

जिसके नीचे एक छोटे से चावुतरे में माता की प्रतिमा स्थापित है। यहाँ पर सिद्ध बाबा का स्थान भी बना हुआ है। एक छोटा सा मंदिर में हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित है।

यह पूरा परिसर जंगलो के बीचों बीच मौजूद है यहाँ पहुंचकर मन को असीम शांति का अनुभव होता है। यह बहुत ही रमणीय स्थान है। यहाँ पर पहुँचते ही सकरात्मक ऊर्जा का प्रवाह हमारे रोम रोम में प्रवाहित होता है।

कालिका माता का इतिहासिक महत्त्व

कालिका माता मंदिर का धार्मिक महत्त्व के साथ ही इसका ऐतिहासिक महत्त्व भी जुड़ा हुआ है। इस मंदिर की जो मुख्य प्रतिमा है। उसका महत्त्व इतिहास से जुड़ा हुआ है। मुख्य मूर्ति की स्थापना वहां के राजा ठाकुर कुंदन सिंह द्वारा स्थापित की गई है।

Kalka Maai Mandir Narayanpur
Kalka Maai Mandir Narayanpur

कालिका माता मंदिर का धार्मिक महत्त्व की बात करे तो इस मंदिर से लोगों की आस्था जुडी हुई है। लोग यहाँ पर अपनी मन्नतों को पूरा करने की अर्जी लेकर आते हैं। और यंहा हर नवरात्र के समय भंडारा करवाते है। नवरात्र के अलावा भी लोग इस मंदिर में पहुँचकर पूजा पाठ करते है। साथ हीओ समय समय पर यहाँ पर अखंड रामायण का पाठ भी होता है।

यह मंदिर जंगलो के बीचों बीच बना हुआ है। यदि आप प्रक्रतिप्रेमी है तो यह आपके लिए काफी ही अच्छी जगह है। यहाँ करीव 5 वर्ग किलोमीटर की दुरी तक जंगल फेला हुआ है। जो बहुत ही सुन्दर लगता है। जिसके बीचों बीच से जाने पर उनमे मुग्ध हो जाते है।

कालिका माता की मडिया संरक्षण पर क्षेत्र के क्षेत्र से बनी हुई है। यहां पर जब आ जाएंगे तो हो सकता है। आपको कोई जंगली जीव देखने को मिल जाए और यहां पर बहुत सारे जंगली जी आते जाते रहते हैं। यह संरक्षित वन क्षेत्र में मौजूद है।

कालिका माई कब आयें

यदि आप माता रानी के दर्शन करने के लिए बघराजी के इस कालिका माई के मदिर आना चाहते है तो आप वर्ष में किसी भी दिन यहां आ सकते है। और यदि आप किसी विशेष दिन जैसे नवरात्री के समय यहां आते है तो आपको यहां बहुत संख्या में लोग मिलेगें। यहां नवरात्र के समय भंडारा करवाया जाता है साथ ही यहां अखंड रामायण का पाठ भी होता है।

कालिका माई पहुँच मार्ग

कालका माई पहुंचने के लिए आपको दो रास्ते हैं पहला रास्ता आप बघराजी से तिलसानी रोड होते हुए खूनी नाला मोड़ से मोर से टिकरिया गांव के लिए एक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क रोड बनी हुई है। दूसरा रास्ता आपको बकरा जी से के पास कुण्डंम रोड निकला हुआ है। उसको नाम रोड से होते हुए आप टिकरिया आ सकते हैं।

Kalka Maai Mandir Baghraji
Kalka Maai Mandir Baghraji

यदि आप आपने निजी वाहन से कालिका माता मंदिर जाते है तो आपको यहां अपनी गाड़ी पार्क करने के लिए आपको बहुत जगह मिल जायगी यहां गाड़ी पार्क करने का आपको कोई चार्ज पे नहीं करना पड़ता।

Kalka Maai Madhiya Narayanpur
Kalka Maai Madhiya Narayanpur

यहाँ पर रुकने और खाने की आपको कोई व्यवस्था मिलनी मुश्किल है। इसके लिए आपको यहाँ से लगभग 4 किलोमीटर दूर बघराजी जाना पड़ेगा। या संभव हो सके तो खाने के लिए आप अपने साथ खाने की चीज़े लेकर ही आयें। आप इस मंदिर परिसर में गंदगी न फैलाय।

कालिका माई आस-पास के पर्यटन स्थल की जानकारी

कुंडेश्वर धाम कुण्डम जबलपुर

Aother Openion

चूँकि यह मेरी कुलदेवी माता कालिका का मंदिर है। तो मैं और मेरे परिवार के लोग यहां अक्सर जाते रहते है इस कारण से मैं यहाँ के द्रश्यों का वर्णन कर पा रहा हूँ। यहां पहुँचते ही अन्दर सकारात्मक उर्जा का प्रबाह बहुत तेजी से होता है। यह मेरे लिए एक बहुत ही अच्छा अनुभव है। आपके लिए मेरी राय यह है की एक बार आप भी यहां समय निकलकर आकर देखिये। यहाँ पर आपको एक अलग ही अनुभव होगा।

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