Singorgarh Fort: रानी दुर्गावती सिंगोरगढ़ किला मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्थित है। किले का निर्माण 16वीं शताब्दी में राजा संग्रामशाह द्वारा किया गया था और यह अपने ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व के लिए जाना जाता है। किला एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है और आसपास के क्षेत्र के आश्चर्यजनक दृश्य प्रस्तुत करता है।
सिंगौरगढ़ दुर्ग गोंडवाना साम्राज्य के स्वर्णिम युग के गौरवान्वित किलों में से एक एतिहासिक किला हैं। यह रानी दुर्गावती के शौर्य और गौरव का प्रतीक है। यह किला भारतीय इतिहास के स्वर्णिम पन्नो में दर्ज है। सिंगौर गढ़ किला भारत के गौरवशाली इतिहास को समेटे हुए प्राकृतिक नजारों के बीच में अपने अतीत का विख्यान करते हुए आज एक खंडहर के रूप में खड़ा हुआ है।
Rani Durgavati Singorgarh Fort Damoh Madhya Pradesh
रानी दुर्गावती सिंगोरगढ़ किला मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्थित एक किला है। इसे 16वीं शताब्दी की बुंदेला रानी रानी दुर्गावती ने बनवाया था। यह किला अपने ऐतिहासिक महत्व और स्थापत्य सुंदरता के लिए जाना जाता है। यह जिले का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। कहा जाता है कि किले का निर्माण रानी दुर्गावती ने 1564 में करवाया था। बाद में 18वीं सदी में महाराजा विक्रमादित्य सिंह बुंदेला ने इसका जीर्णोद्धार और विस्तार किया। किला लगभग 4 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और इसमें गणेश मंदिर, हनुमान मंदिर और लक्ष्मी नारायण मंदिर जैसी कई संरचनाएं शामिल हैं। किले में कई तालाब और बगीचे भी हैं।
रानी दुर्गावती सिंगौरगढ़ किला कहाँ पर स्थित है
सिंगौर गढ़ किला मध्यप्रदेश के जबलपुर दमोह मार्ग पर दमोह जिले में जबेरा तहसील के पास सिंग्रामपुर गाँव से करीब 6 किलोमीटर दूर खूबसूरत पहाड़ी पर घने जंगलो में स्थित है। इस किले की खूबसूरती का नज़ारा बरसात के समय देखने योग्य बनता है, जो अति मनोरम होता है। यहाँ पर आप बैठकर प्रक्रति की शांति का अनुभव कर सकते है। यह किला वीरांगना रानी दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य दमोह मध्य प्रदेश के बीचों बीच मौजूद है।
सिंगौरगढ़ का किला दमोह
सिंगोर गढ़ का किला सुंदर प्राकृतिक नजारे के बीच बना एक गौरवान्वित किला है। यह किला गोंड कालीन शासन काल की गौरव गाथा को दर्शाता है। रानी दुर्गावती सिंगोरगढ़ किला का निर्माण 16वीं शताब्दी में गोंड शासक राजा संग्राम शाह ने करवाया था। किला भारत के मध्य प्रदेश में दमोह शहर के पास एक पहाड़ी पर स्थित है। किले में मंदिर, महल और कई अन्य संरचनाओं सहित कई संरचनाएं हैं। किला अब खंडहर में है और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में है। किला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है और देश भर से कई पर्यटकों द्वारा दौरा किया जाता है।
इस किले तक पहुंचने के लिए आपको पैदल ही चलना पड़ता है। लेकिन किले के मुख्य द्वार या जिसे हाथी द्वार कहते है वहाँ तक आप अपनी गाड़ी लेकर भी जा सकते है। किले का द्वार देखकर ही आप उसके अतीत का अनुभव लगा सकते है। यहां पास में ही एक तालाब भी बना हुआ है और साथ एक छोटा सा श्री हनुमान मंदिर बना हुआ है। जब आप पहाड़ी रास्ते से होते हुए यहां आते है तो, यहां के नजारे देख आप बहुत ही अच्छा प्रतीत करेगे।
प्रेम और खुशी के लिए बसाया गया एक शहर
जब बरसात के समय सिग्रामपुर से किले की ओर अन्दर साइड आते है तो यहां पर बहते पानी के प्रवाह को देख उसमे क्रीडा करने का मन करता है जिसके कारण दिल अति प्रसन्न महसूस करता है।
किले के मुख्य द्वार पर पहुंचकर बहुत ही अच्छा महसूस होता है। ऐसा लगता है की हम भी भूतकाल में प्रवेश कर यहां होने वाले हर पल को जी सकें। मुख्य द्वार से किले तक जाने के लिए हमे एक पहाड़ी पर सीढ़ियों के सहारे चढ़ना पड़ता है। किला काफी जर्जर स्थिति में है फिर भी आप इसको देखकर अतीत में इस किले की शान शौकत का अंदाजा लगा सकते है।
यह किला राजा संग्राम सिंह के 52 गढ़ में से एक गढ़ में शामिल था। राजा संग्राम शाह के नाम पर यहां एक गांव सिग्रामपुर बसा हुआ है। यह किला राजा के पुत्र दलपत शाह को बहुत ही प्रिय स्थान लगता था इसलिए वह यहीं पर रहते थे। रानी दुर्गावती से विवाह पश्चात वह रानी को इसी किले में लेकर आए थे। यह किला रानी दुर्गावती के शौर्य का भी प्रतीक है।
इस किले की बनावट के कारण दुश्मन द्वारा इस किले पर हमला करने में बहुत कठिनाइयां होती थी। यह किला बहुत ही घने जंगलों के बीच बना हुआ है। इसी प्रकार रानी दुर्गावती के शौर्य से जुड़ा हुआ मदन महल किला जबलपुर की मदन महल पहाड़ी पर बना हुआ है।
वीरांगना रानी दुर्गावती वन्यजीव अभयारण्य दमोह मध्य प्रदेश
कैसे पहुंचे सिंगौरगढ़ किला
यह किला दमोह जिले की तहसील जबेरा में बना हुआ है।यह सीमा से लगभग 3किलोमीटर की दूरी पर दुर्गावती वन्य अभ्यारण में बना हुआ है। इस अभ्यारण से दमोह जबलपुर हाई वे रोड पर गुजरता है। यहां पर आप अपने खुद के निजी वाहन से या बस के सफर करते हुऐ आ सकते है।
यदि आप दमोह से यहां आते हैं तो आपको लगभग 50 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी इस प्रकार आप जबलपुर से आना चाहते है तो यहां से लगभग 40 किलोमीटर दूरी पर यह किला है। यदि आप सिहोरा रोड आते है तो कटाव (नदी के बहाव से कटाव खूबसूरत पहाड़ी दृश्य) से इसकी दूरी 12km हैं।
सावधानियां
- रात के समय आप इस जगह पर मत आए
- यहां पर आप अकेले भी मत आए क्योंकि यह पूरा इलाका जंगल से घिरा हुआ है
- यहां पर जंगली जानवरों का खतरा होता है इसलिए आप पूरी सावधानी बरते
यहां आसपास बहते झरने की आवाज अपनी ओर आकर्षित करती है। इस पहाड़ी का क्षेत्रफल बहुत बड़ा होने के कारण बरसात के समय में बहुत सारे झरने देखने को मिलते हैं, जो बहुत ही सुंदर होते है। किले से लगभग 7 या 8 किलोमीटर दूर और भी पर्यटक स्थान है। जैसे भैंसाघाट वाटरफॉल, नजारा व्यू प्वाइंट , निदान वाटरफॉल।
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रेस्टोरेंट
यहां पास में सिग्रामपुर गांव है जहा पर आपको खाने पीने के लिए रेस्टोरेंट और दुकान मिल जाएगी। यहां रुकने के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं है इसलिए आपको यहां पर कुछ समय बिताने के बाद बापिस लौटना पड़ेगा।
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नमस्कार दोस्तो मेरा नाम अभिषेक सिंह मैं जबलपुर जिला का रहने वाला हूँ मेरी उम्र अभी 19 वर्ष की है अभी मैने रानी दुर्गावती विश्व विद्यालय से स्नातर की परीक्षा उत्तीर्ण की है ये तो आप सभी जानते हैं कि आज कल लोग जिंदगी में खुश रहने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते है
लेकिन फिर भी वह असफल हो जाते हैं और यह सोचने लगते है, कि हम क्या करें क्या न करें हम सभी लोगों का जीवन एक पेड़ की तरह है कि जब तक अपने आप पर विश्वास हैं तो किसी भी परिस्थिति में अपना जीवन बेहतरीन तरीके से जी सकते हैं|