क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ऐसा पक्षी है जिसे 100 साल तक लुप्त मान लिया गया था? आंध्र प्रदेश के कडपा जिले में स्थित लांकमल्लेश्वरा अभयारण्य वही जगह है जहाँ 2008 में दुर्लभ जेरडन का कोर्सर फिर से देखा गया।
अभयारण्य न सिर्फ इस पक्षी का एकमात्र ठिकाना है, बल्कि रेड सैंडर्स जैसे संकटग्रस्त पेड़ और पैंथर, स्लॉथ बियर जैसे जंगली जीवों का भी घर है। अगर आपको प्रकृति, रहस्य और रोमांच पसंद है — तो यह जगह आपको चौंका देगी!
लांकमल्लेश्वरा अभयारण्य: जहां फिर से जिंदा हुआ ‘लुप्त’ पक्षी – जेरडन का कोर्सर
भारत के वन्य जीवन की विविधता और रहस्य से भरपूर कहानी में एक ऐसा नाम है जो न केवल अद्वितीय है, बल्कि भारत की जैव विविधता की विरासत को भी दर्शाता है — लांकमल्लेश्वरा वन्यजीव अभयारण्य, आंध्र प्रदेश का एक ऐसा क्षेत्र जो एक विलुप्त माने गए पक्षी की फिर से खोज का गवाह बना।
जेरडन का कोर्सर: लुप्त से पुनर्जन्म की कहानी
- पहली बार देखा गया: 1848 में, प्रसिद्ध ब्रिटिश चिकित्सक-प्रकृतिवैज्ञानिक थॉमस सी. जेरडन द्वारा
- अंतिम रिकॉर्ड: 1900 में
- 100 वर्षों का मौन: वैज्ञानिकों ने इसे विलुप्त मान लिया था
- पुनः खोज: 2008 में, कडपा जिले के रेड्डीपल्ली गांव के स्क्रब जंगलों में इसे दोबारा देखा गया — यह एक ऐतिहासिक पल था!
लांकमल्लेश्वरा अभयारण्य:
- भारत का छुपा खजाना
स्थान: कडपा ज़िला, आंध्र प्रदेश - स्थापना: 17 जुलाई 1998
महत्व: यह पूरी दुनिया में एकमात्र स्थान है जहाँ जेरडन का कोर्सर आज भी जीवित पाया जाता है
प्राकृतिक जलस्रोत: यह अभयारण्य पेनार नदी के जलग्रहण क्षेत्र का हिस्सा है, और इसके पूर्वी भाग से तेलुगु गंगा नहर प्रवाहित होती है।
वन संरचना और जलवायु
सूखा पर्णपाती वन (Dry Deciduous)
स्क्रब जंगल
रेड सैंडर्स वन
हार्डविकिया बिटपिन्नाटा जंगल
ट्रॉपिकल ड्राई इवर्ग्रीन फॉरेस्ट
तापमान सीमा:
गर्मी: 44°C तक
सर्दी: 20°C तक
दुर्लभ वनस्पति का घर
यह अभयारण्य भारत के कुछ सबसे कीमती और संकटग्रस्त पेड़ों का घर है:
रेड सैंडर्स (लाल चंदन) – वैश्विक बाजार में अत्यधिक मूल्यवान
सुगंधित चंदन
जवामुन, जंगली आम, बांस, अनोगेइस्सस लाटिफोलिया, फीनिक्स प्रजातियाँ (खजूर)
कुल मिलाकर यहां 1400 से अधिक पौधों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
विविध वन्यजीवन की झलक
उभयचर व सरीसृप:
कॉमन टोड, बुल फ्रॉग
इंडियन स्किंक, ग्रीन वाइन स्नेक, कोबरा
पक्षी:
जेरडन का कोर्सर
इंडियन ट्री-पाई, नाइट जार, ग्रे हॉर्नबिल, ग्रे फ्रैंकोलिन
स्तनधारी:
पैंथर (तेंदुआ), स्लॉथ बियर, चिंकारा, चौसिंघा
चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सूअर, लोमड़ी, जैकाल
इकोलॉजिकल महत्व और संरक्षण का भविष्य
यह अभयारण्य केवल जेरडन का कोर्सर ही नहीं, बल्कि लगभग 176 से अधिक पौधा परिवारों और हजारों जीव-जंतुओं का सुरक्षित निवास है।
यह जैव विविधता, भारत की पारिस्थितिकी को मजबूत करती है और पर्यावरणीय शिक्षा और शोध का एक प्रमुख केंद्र बनती जा रही है।
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मेटा डिस्क्रिप्शन:
“आंध्र प्रदेश के कडपा जिले में स्थित लांकमल्लेश्वरा अभयारण्य — एकमात्र घर जेरडन के कोर्सर का, जहाँ विलुप्त माने गए पक्षी को फिर से पाया गया।”
Alt टेक्स्ट सुझाव:
“Jerdon’s Courser in dry scrub forest”
“Rare Red Sanders tree in Andhra Pradesh forest”
इंटरनल और एक्सटर्नल लिंकिंग:
“आंध्र प्रदेश के प्रमुख अभयारण्य”
“IUCN Red List: Jerdon’s Courser”
“Forest Department of Andhra Pradesh – Wildlife”
Multimedia सुझाव:
वीडियो: यूट्यूब पर “Sri Lankamalleswara Wildlife Sanctuary” खोजें और एम्बेड करें
“धर्मेंद्र सिंह आर्यन गो में सीनियर डिजिटल कंटेंट राइटर कार्यरत है। उम्र 35 साल है, शैक्षिणिक योग्यता दर्शनशास्त्र में एम.फिल है, मुझे किताबें पढ़ने, लेखन और यात्रा करने का शौक है, मेरा आहार शुद्ध शाकाहारी भोजन है। मुझे भारत के छिपे हुए पर्यटक स्थलों की खोज करने और उन पर लेख लिखने का गहरा जुनून है।
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