Maihar : मैहर मध्य प्रदेश राज्य में स्थित सतना जिले का ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ धार्मिक और आस्था का एक प्रमुख शहर है। यह हिंदू माँ देवी शारदा देवी के मंदिर (Maihar Mata Mandir) के लिए जाना जाता है। यह राज्य के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित है और सतना से 50 किमी दूर स्थित है।
मैहर माता मंदिर त्रिचूट पर्वत पर 600 फीट की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण मंदिर तक पहुंचने के लिए 1001 सीढ़ियों पर चढ़ना पड़ता है। मंदिर तक पहुचने के लये सीढ़ियों के अतिरिक्त पहाड़ पर एक सड़क मार्ग पर बनाया गया है ताकि वाहन को पहाड़ी के ऊपर ले जाया जा सके।
यह 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहां सती के शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्राचीन कथा में पृथ्वी पर गिरने के लिए कहा जाता है।
माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 8वीं शताब्दी ईस्वी में आदि शंकराचार्य ने की थी। वर्तमान संरचना 19वीं शताब्दी में बनाई गई थी। मंदिर का निर्माण नागर शैली में किया गया है, जिसके शीर्ष पर एक बड़ा शिखर है। मंदिर के आंतरिक भाग को नक्काशी और चित्रों से सजाया गया है।
मंदिर परिसर में काली, राम, हनुमान और गणेश सहित विभिन्न देवताओं को समर्पित कई अन्य मंदिर भी शामिल हैं। मंदिर एक लोकप्रिय तीर्थस्थल है और हर साल हजारों भक्तों द्वारा दौरा किया जाता है।
मां शारदा मैहर वाली मां के रूप में प्रसिद्ध है मां शारदा के इस पावन धाम को विंध्याचल पर्वत शिखर की ऊंची चोटी पर विराजमान है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार के यज्ञ वेदी में अग्नि समाधी के बाद भगवान शंकर उन्हें अपनी गोद पर लेकर लेकर यहां वहां भटकते रहते मां आदिशक्ति शरीर के हिस्से चिंतन 51 जगह पर गिरे हुए 51 शक्तिपीठों में गिने जाने लगे इन्हें 1 शक्तिपीठों में से एक मां शारदा का पावन धाम मध्य प्रदेश के मैहर में विंध्याचल पर्वत की चोटी पर बसा है जिन्हें मैहर माता के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं यहां माता सती का हार गिरा था।
मैहर माता देवी का यह मंदिर चमत्कार के लिए देश ही नहीं दुनिया के कई देशों में विख्यात है कहां जाता है मैहर वाली मां शारदा के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं और सब की मनोकामना पूरी हो जाती है।
शारदा माता के बारे में कहा जाता है कि पुजारी के पहले ही सुबह 8:00 बजे के आसपास उनका सबसे प्रिय भक्त आल्हा रुदल मां की पूजा कर जाते हैं इसके बाद ही खुलता है।
बुद्धि की देवी शारदा
हिंदू सनातन परंपरा में विद्या और बुद्धि देवी की कला देवी के रूप में पूजा जाता है।
Maihar Mata Mandir
यदि आप घुमने के लिए धार्मिक स्थल ढूढ़ रहे है तो मैहर माता मंदिर आपके लिए एक बहुत ही अच्छा विकल्प हो सकता है यंहा पर विन्धयांचल पर्वत की चोटी पर माता शारदा का एक अनोखा मंदिर हैं जहा पर माता शारदा अपने अनुपम रूप में विराजमान हैं.और अपने भक्तो का कष्ट दूर करती हैं एक बार आपको इस भव्यता से भरे पवित्र स्थान पर जरुर आना चाहिये .
मां शारदा मैहर वाली मां के रूप में प्रसिद्ध है मां शारदा के इस पावन धाम को विंध्याचल पर्वत शिखर की ऊंची चोटी पर विराजमान है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार के यज्ञ वेदी में अग्नि समाधी के बाद भगवान शंकर उन्हें अपनी गोद पर लेकर लेकर यहां वहां भटकते रहते हैं।
मां आदिशक्ति शरीर के हिस्से चिंतन 51 जगह पर गिरे हुए 51 शक्तिपीठों में गिने जाने लगे इन्हें 1 शक्तिपीठों में से एक मां शारदा का पावन धाम मध्य प्रदेश के मैहर में विंध्याचल पर्वत की चोटी पर बसा है जिन्हें मैहर माता के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं यहां माता सती का हार गिरा था।
मैहर माता देवी का यह मंदिर चमत्कार के लिए देश ही नहीं दुनिया के कई देशों में विख्यात है कहां जाता है मैहर वाली मां शारदा के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं और सब की मनोकामना पूरी हो जाती है।
शारदा माता के बारे में कहा जाता है कि पुजारी के पहले ही सुबह 8:00 बजे के आसपास उनका सबसे प्रिय भक्त आल्हा रुदल मां की पूजा कर जाते हैं इसके बाद ही खुलता है।
बुद्धि की देवी शारदा
हिंदू सनातन परंपरा में विद्या और बुद्धि देवी की कला देवी के रूप में पूजा जाता है।
मैहर देवी मंदिर कहाँ है ? (Maihar devi mandir kaha hai)
यह बहुत पवित्र और भव्यता से भरा मंदिर मध्यप्रदेश के सतना जिले के मैहर शहर में विन्धयांचल पर्वत की गोद में वसा बहुत ही अनूठा और सकारात्मक उर्जा से भरपूर है। यहा हर हर दिन हजारो की संख्या में श्रद्धालु माता शारदा के दर्शन करने आते हैं.यंहा आने के लिए लोग अपने निजी वाहन , बस या ट्रेन से भी आते हैं।
मैहर देवी माता की मान्यता
हिन्दू ग्रंथो में मैहर की माता का उल्लेख कुछ इस प्रकार है जब माता सती ने अपने पिता दक्ष द्वारा कराय जा रहे हवन में आत्मदाह कर लिया तब भगवान शिव माता सती का शरीर लेकर उसने शोक में भटक रहे थे तो तब भगबान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती का शरीर क्षत- विक्ष्तु कर दिया था उस समय विन्धयंचल पर्वत की छोटी पर गिरा जो 18 शक्तिपीठो में से एक हैं और हम इसे मैहर के नाम से जानते है।
यंहा की मान्यता है की आल्हा ने 12 वर्षो तक यंहा तप करके माता शारदा को प्रशन्न कर उनसे अमरता का वरदान प्राप्त किया.और आज भी 2022 लोगो का मानना है की आल्हा नित प्रातः सवसे पहले आकर माता शारदा की वंदना करते है और वंहा की लोगो को इस अनुभूति का अनुभव हमेशा से करते आये हैं।
मैहर माता के मंदिर कैसे पहुंचे
मंदिर तक पहुँचने के लिए आपको 1060 सीढ़ी चड़कर पर्वत की चोटी पर पहुँचते है तो आपको बहुत भी भव्यतापूर्ण माता रानी का अनोखा मंदिर देखने को मिल जायगा.फिर लाइन से माता रानी के मंदिर के अंदर आप प्रवेश करेंगे तो आप देखेंगे की माँ शारदा मंदिर के गर्भगृह में अनुपम रूप में विराजमान हैं। इसके साथ साथ मंदिर के पास में और भी छोटे छोटे मंदिर है जैसे काल भेरव का मन्दिर , राधा श्याम मन्दिर , श्री हनुमान मंदिर।
मैहर में घूमने के लिए जगह
मैहर में आपको घूमने के लिए और भी जगह है जैसे आल्हा -उदल का आखाडा , और वही पास में आपको एक गार्डन भी है जहा पर आप कुछ समय बैठकर आराम कर सकते हैं।
मैहर में रुकने और खाने की व्यवस्था
जैसे ही आप मैहर पहुँचते हैं और आप वंहा रुकना चाहते हैं तो आपको मैहर में बहुत से फैमिली रिसोर्ट मिल जायगे.जो आपको बहुत ही अच्छी सर्विस प्रदान करती है साथ ही आपको वंहा खाने के लिए होटल भी मिल जायगे।
परिसर में मौजूद अन्य स्थल
मैहर माता मंदिर के परिसर में मौजूद भगवान गणेश की मूर्ति है भैरव बाबा की मूर्ति और हनुमान जी की मूर्ति भी विद्यमान है साथ ही राधा कृष्ण की मूर्ति।
मैहर में खास स्थान जहाँ से हमने नजारा देखा
मैहर माता की चोटी पर जब हम पहुंचते हैं और जब वहां से हम चारों तरफ का नजारा देखते हैं तो चोटी से आल्हा ऊदल का तालाब आल्हा ऊदल का अखाड़ा पीछे बहुत बड़ा पहाड़ पूरा मैहर शहर आपको देखने को मिलेगा जो बहुत ही अच्छा लगता है।
मैहर में खासियत और सीक्रेट व्यू
क्या हमने वापसी के समय ट्राली का उपयोग करना चाहते थे और नीचे आने के लिए जा हम ट्राली के इंतजार कर रहे थे तब हमने एक ऐसा व्यू देखा जो हमारे मन को भा गया सोचा कि चलो आपको भी इस जीव के बारे में बताते हैं।
मैहर का इतिहासिक महत्त्व
मां शारदा मंदिर का इतिहास के बारे में कहा जाता है कि विंध्य पर्वत किस श्रेणी के मध्य में ऊपरी भाग पर स्थित त्रिकूट पर्वत पर स्थित इस मंदिर के बारे में यह मान्यता है कि मां शारदा की प्रथम पूजा श्री आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गई थी। जहां तक मेहर पर्वत का नाम की बात आती है तो प्राचीन ग्रंथ धर्म ग्रंथ महेंद्र में मेहर पर्वत का जिक्र मिलता है जिससे महेंद्र नाम से जाना जाता है। इस पर्वत का उल्लेख भारत के अन्य पर्वतों के साथ पुराणों में भी आया है।
मैहर का धार्मिक महत्त्व
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव के तांडव करते वक्त माता सती के सब के अंग और आभूषण जिस देश स्थान में गिरे थे उन सभी में से 11 शक्तिपीठ है मैहर धाम भी एक शक्तिपीठ शक्तिपीठ संख्या 51 है 51 है लेकिन कुछ लोगों के द्वारा कहा जा सकता 108 108 शक्तिपीठों में से एक है।
मैहर मंदिर की खोज
कहा जाता है प्राचीन काल में मैहर मंदिर की खोज आल्हा और उदल नाम के दो भाइयों ने किया था जो बहुत जीरोधा भी थे जंगलों के बीच करने के बाद से दोनों ने 12 वर्ष अटूट तपस्या की थी उनके ऊपर प्रसन्न होकर मानवीय रूप में दर्शन दिए थे।
नमस्ते! मैं अनीता ठाकुर हूँ – इस ब्लॉग लिखने का बिचार मुझे डिग्री पूरी करने के बाद, मेरा दिल मुझे अपने दुनिया देखने की चाहत के पास वापस ले आया, जहाँ मैं वर्तमान में पर्यटन का अध्ययन कर रही हूँ। मेरा सबसे बड़ा लक्ष्य आपको दुनिया भर में छिपे हुए स्थानों को खोजने में मदद करना और आपको उन जगहों पर जाने के लिए प्रेरित करना है जिनके बारे में आपने कभी नहीं सोचा था।