Mahakaleshwar Temple Ujjain

Mahakaleshwar Temple Ujjain महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन

Mahakaleshwar Temple Ujjain : महाकालेश्वर मंदिर उजैन का अस्तित्व पहली बार कब आया यह कहना या बाता पाना बहुत ही मुश्किल है। जो कि पूर्व के ऐतिहासिक काल से जुड़ा हुआ हैं। मंदिर के बारे में पुराण उल्लेख हैं कि इसकी स्थापना सबसे पहले प्रजापिता देव ब्रह्मा ने की थी। उजैन मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं, जो भागवान शिव को समर्पित है, मंदिर पूर्व से ही हिन्दू शिव भक्तों के लिए पवित्र स्थान रहा हैं।

जबकि हमारे यहाँ पर सनातन धर्म में वेद पुराणों को पूर्व से अत्याधिक मान्यता दी गई है। छठवीं शताब्दी का उल्लेख्य राजा चंदा प्रद्योत द्वारा राजकुमार कुमारसेन की नियुक्ति के द्वारा मिलता है। तीसरी-चौथी ईसा पूर्व मंदिर में शिवलिंग भगवान शिव आकृति के रूप में प्रतिष्ठित हैं।

भारत के प्राचीन काव्य ग्रंथों में भी महाकाल मंदिर का उल्लेख है। ग्रंथों के अनुसार उजैन मंदिर बहुत ही भव्य था इस मंदिर के निर्माण के समय इसकी नींव को चबूतरों के पथरों से बनाया गया था। गुप्त काल से पूर्व मंदिर पर कोई शिखर नहीं था।

Baba Mahakal Ujjain

यह लकड़ी के खंभों पर टिका था। मंदिर की ठाठ बहुत ही कमजोर थी। रघुवंशम में कालिदास के द्वारा मंदिर के बारे में सरल और स्पष्ट रूप से वर्णन किया गया है। मंदिर के समीप ही राजा में अपना महल बनवाया था। कालिदास के द्वारा मेघदूतम के प्रथम भाग में महाकाल मंदिर के बारे में आकर्षित विवरण मिलता है।

मंदिर देखने में प्रतीत होता है कि चंडीश्वर मंदिर तत्कालीन कला और वास्तुकला का अनूठा का विवरण दे रहा हैं। सूरज ढलते ही मंदिर दीपकों की किरणों के साथ जगमगा उठता हैं जो पुरे मंदिर को रोशनी से भर देता है।

महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन

शायद ही आपको पता होगा उजैन मंदिर की यह विशेषता बहुत ही कम लोगों को पता हैं कि उजैन के राजा सिर्फ महाकाल को माना जाता हैं वहाँ पर कोई भी राजा या किसी भी कम्पनी का मालिक या विधायक वहां पर रात्रि नहीं गुजर सकता यदि वे वहां पर रुकते हैं तो उनकी मृत्यु हो सकती है।

भगवान महाकालेश्वर की मूर्ति मंदिर में स्वयंभू लिंगम: के रूप में ब्रजमान है, स्वयंभू लिंगम गर्भगृह में स्थित है, जिसका अर्थ है, कि यह स्वयं ही प्रकट हुई है। जो मंदिर और द्वारों को विशेष रूप से पवित्र रहता है। यहाँ प्रार्थना करने से व्यक्ति के मन और आत्मा को शांति का अनुभव होने लगता है जिससे भक्तों का मानना ​​है, कि आशीर्वाद, शारीरिक समृद्धि और सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिल सकती है।

मुख्य आकर्षण

महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन में भगवान शिव को समर्पित एक तीर्थस्थल है और यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है जिन्हें हिंदू परंपरा के अनुसार भगवान शिव का सबसे पवित्र निवास माना जाता है। भारत के सभी दिशाओं में महाकालेश्वर मंदिर ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। मंदिर एक सांस्कृतिक पूजनीय स्थल भी है, जो भक्तों और पर्यटकों को समान रूप से अपनी ओर आकर्षित करता है।

अनोखे अनुष्ठान:

मंदिर में सुबह के समय अनोखे अनुष्ठानों के साथ विशेष रूप से भस्म आरती की जाती है। इस समारोह के दौरान, स्वयंभू लिंगम को पवित्र राख (भस्म) से तैयार कर एक नया रूप प्रदान किया जाता है, जिसके पश्चात ही एक भव्य आरती (भक्ति दीप समारोह) की जाती है। शाम की श्रृंगार आरती एक और महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, जिसमें लिंगम को फूलों, आभूषणों और अन्य अलंकरणों के साथ सजाया जाता है।

यात्रा करने का सबसे अच्छा समय

महाकालेश्वर मंदिर में जाने का आदर्श समय अक्टूबर से मार्च के बीच है, जब मौसम ठंडा होता है, जिससे मंदिर और उसके आस-पास के इलाकों को देखना आसान हो जाता है। इस अवधि के दौरान तापमान 10-25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जो भक्तों और पर्यटकों दोनों के लिए सुखद वातावरण प्रदान करता है। खुलने का समय: सुबह 4:00 बजे से रात 11:00 बजे तक
प्रवेश शुल्क: कोई प्रवेश शुल्क नहीं है।

महाकालेश्वर मंदिर में जाने का एक अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच का है, जोकि ठंड का मौसम होता है, जिससे मंदिर के आस-पास के इलाकों को देखना बेहतर होता है। इस समय यहाँ का तापमान 10-25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जिससे भक्तों व पर्यटकों के लिए सुखद वातावरण प्रदान करता है।

मंदिर खुलने का समय:

सुबह 4:00 बजे से रात 11:00 बजे तक इस समय पर आपका कोई भी प्रवेश शुल्क: नहीं लगेगा।

मंदिर की अन्य सेवाएँ

  • अभिषेक: आगंतुक अभिषेक समारोह में भाग ले सकते हैं, जहाँ वे देवता को जल और दूध जैसी पवित्र वस्तुएँ चढ़ा सकते हैं।
  • आरती: पूरे दिन कई आरती समारोह आयोजित किए जाते हैं, जिनमें भस्म आरती सबसे उल्लेखनीय है।

पूजा और अनुष्ठान:- भक्त पहले से ही विशेष पूजा की सामग्री बुक कर सकते हैं या मंदिर के पुजारियों द्वारा आयोजित विभिन्न अनुष्ठानों में भाग ले सकते हैं।

अन्नदानम: मंदिर भक्तों को मुफ्त भोजन प्रदान करता है, जिसे अन्नदानम के रूप में जाना जाता है, जो समुदाय और समानता की भावना को बढ़ावा देता है।

आस-पास के पर्यटक आकर्षण

महाकालेश्वर मंदिर के आस-पास के अन्य सांस्कृतिक और धार्मिक स्थल भी शामिल हैं:

चिंतामन गणेश, मंदिरकाल भैरव मंदिर, कालिदास अकादमी, भर्तृहरि गुफाएँ
राम मंदिर घाट, हरसिद्धि मंदिर, मंगलनाथ मंदिर, विक्रम कीर्ति मंदिर
कालियादेह महल, गोपाल मंदिर
स्थानीय भोजन और भोजन

आप सभी भक्त मंदिर में जाते समय दिए जाने वाले प्रसाद (पवित्र भोजन) का स्वाद ले सकते हैं, जो भक्ति पूर्ण तैयार किए गए पारंपरिक शाकाहारी व्यंजन शामिल हैं। आस-पास के रेस्तरां भी कई तरह के शाकाहारी भोजन दिया जाता है।

Scroll to Top