Chaumukh Nath Mandir Panna : मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में आप जब भी जाएँ इस जिलें में धार्मिक, ऐतिहासिक व पुरातात्विक महत्व के स्थलों की भरमार है। जिनकी वास्तुकला का महत्व खजुराहो के मंदिरों से कम नहीं है। देखा जाये तो प्राचीनता की द्रष्टि से पन्ना जिले के अनोखा और विलक्षण शिव के चार मुंख वाली प्रतिमा है, इस शिव जी प्रतिमा के हर मुंख से प्रकट होते है अलग-अलग भाव जो पन्ना जिले का प्राचीन चौमुखनाथ मंदिर खजुराहो के मंदिरों से भी अधिक प्राचीन हैं।
पन्ना जिले के सलेहा में स्थित है, नचना हिंदू मंदिर, जिन्हें नचना मंदिरों या नचना-कुथारा में हिंदू मंदिरों के रूप में भी जाना जाता है, इस मंदिर में भागवान भोलेनाथ शिव शंकर जी की दुर्लभ चतुर्भुज प्रतिमा मौजूद हैं। भागवान भोलेनाथ शिव जी की एक ही मूर्ति में दूल्हा के रूप शिव, अर्धनारीश्वर शिव और समाधि में लीन शिव के दर्शन करने को मिलेंगे।
यह मंदिर लगभग 5 वीं या 6 वीं शताब्दी के गुप्त साम्राज्य के युग के हैं , वैसे तो सभी शिव मंदिरों का अपनी-अपनी जगह महत्व है, लेकिन सलेहा क्षेत्र के नचने का चौमुख नाथ महादेव मंदिर (Chaumukh Nath Shiva Temple) का इतिहास ही भी बड़ाअनोखा है। इस प्राचीन इस मंदिर में भगवान शिव के चार मुख वाली प्रतिमा स्थापित है साथ ही प्रतिमा का हर मुख का अलग-अलग रूप देखने को मिलेगा।
इस चतुर्मुखी प्रतिमा में एक मुख में भगवान के दूल्हे के भेष धारण किया हुआ रूप है। जब भी आप दर्शन करने को जाएँ तो इसको गौर से देखे इसमें आपकों भगवान के दूल्हे के रूप का दर्शन होगा । दूसरे मुख में आपकों भगवान अर्धनारीश्वर रूप में दर्शन देंगे । तीसरा मुख में आपकों भगवान का समाधि में लीन स्थिति का दर्शन होगा, और चौथा रूप उनके विषपान करने का है। जब भी आप दर्शन करें तो प्रतिमा का सूक्ष्मता के साथ दर्शन करने पर आपकों सभी रूप उभरकर दर्शन देंगे। यह प्रतिमा देखेने में अपने आप में अद्भुद और दुर्लभ है।
इस प्रतिमा की पूजा और दर्शन करने से पुण्य लाभ की प्राप्ति होती है। यहां पर हर समय स्थानीय श्रद्धालु दर्शन करने को आते हैं, लेकिन सावन के महीने में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या वहुत ज्यादा बढ़ जाती है। यहां भगवान के दर्शन करने के लिए प्रत्येक सावन के सोमवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालुजन की भारी भीड़ पहुँचती हैं।
इसी मंदिर परिसर में पार्वती मंदिर भी मौजूद है जो अति प्राचीन मंदिरों है। यह मंदिर गुप्त कालीनसमय के करीब पांचवीं सदी के आसपास का माना जाता है। कहा जाता है जब इंसानों ने मंदिरों के निर्माण की कला नया-नया सीख रहा था तब इस मंदिर का निर्माण किया गया। यह मंदिर संरक्षित स्मारक है। इस मंदिर में सावन सोमवार में पूजा अर्चना करने वालों की भारी भीड़ पहुचती है।
महाशिवरात्रि के पावन पर्व के दिन पन्ना जिले के सलेहा क्षेत्र में स्थित प्राचीन चौमुख नाथ मंदिर और सिद्धनाथ मंदिर में आस्था की भीड़ सुबह से कर देर रात तक लगी रहती है। दूर दराज से लोग अपनी-अपनी मनोकामनाएं लेकर महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का जल अभिषेक करने आतें हैं। पन्ना जिले के गांव बिल्हा कंगाली क्षेत्र में सिद्धनाथ मंदिर स्थित है। सलेहा क्षेत्र के भगवान शिव जी का प्राचीन चौमुख नाथ मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है, साथ ही मंदिरों में सुबह से भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं।
वाहन पार्किंग व्यवस्था
मंदिर परिसर में वाहनोंकी पार्किंग की पर्याप्त व्यवस्था उपलब्ध नहीं है। आप जब भी यहाँ दर्शन करने को इस मंदिर में आओ तो आपकों वाहन को पार्क करने में खासी परेशानियों का सामना करना पढ़ सकता है। हालात तो तब ख़राब होतें हैं जब सावन सोमवार में वाहन निकालने में एक-एक घंटे तक आपकों मसक्कत करनी पड़ सकती है।
जिला प्रशासन को इस ओर भी ध्यान चाहिए कि यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की वाहन पार्किंग की समुचित व्यवस्था की जाए।
पन्ना जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 50 किमी. दूर सलेहा के निकट स्थित चौमुखनाथ मंदिर, जो छठी शताब्दी आस-पास का बताया जाता है। इस अनूठे और विचित्र तरीके से मंदिर में स्थापित शिव प्रतिमा रहस्यों से परिपूर्ण होने के साथ-साथ विलक्षण भी है। एक ही पत्थर पर निर्मित इस अदभुत प्रतिमा के चार चेहरे अंकित हैं।
शिव जी सामने वाले चेहरे पर दूल्हे की छवि दिखती है और बायां चेहरा हलाहल विष को ग्रहण करतें हुए चित्रित है, जबकि दायां चेहरा शांत भाव मुद्रा में भागवान भोलेनाथ को प्रदर्शित करता है। शिव जी के चौथे चेहरे पर अर्धनारीश्वर भगवान की छवि प्रकट होती है।
चौमुखनाथ महादेव मंदिर के आलावा इसी क्षेत्र में एक अति प्राचीन सिद्धनाथ मन्दिर मौजूद है, जो जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 60 किमी. दूर स्थित एक अनूठा स्थल हैं। यह स्थल अगस्त मुनि आश्रम के नाम से विख्यात है, साथ ही इस पूरे परिक्षेत्र में प्राचीन मन्दिरों व दुर्लभ प्रतिमाओं के अवशेष आपकों देखने को जहां – तहां बिखरे पड़े मिल जायेंगे।
इन अवशेष आपकों संरक्षित करने के लिए आज तक कोई भी पहल नहीं हुई। पन्ना जिले के इस सिद्धनाथ मंदिर की शिल्प कला पर्यटकों के देखने योग्य है। गुडने नदी के किनारे, ऊंची पहाडिय़ों से घिरे स्थित इस स्थान पर कभी मन्दिरों की पूरी श्रंखला आबाद रही होगी। इस स्थान पर मन्दिरों के दूर-दूर तक बिखरे पड़े अवशेषों और बेजोड़ नक्कासी से अलंकृत शिलायों के टुकड़े, यहां हर तरफ दिखाई देते हैं। इससे यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं हैं कि यहां कभी विशाल मन्दिरों के समूह रहे होंगे।
वर्तमान समय में यहां पर सिर्फ एक मन्दिर मौजूद है जिसे सिद्धनाथ मन्दिर के नाम से जाना जाता है। पुरात्वविदों का मानना है कि सलेहा के आसपास लगभग 15 किमी. के इस दायरे वाला क्षेत्र पुरातात्विक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। सिद्धनाथ मन्दिर नचने के चौमुखनाथ मन्दिर के समकालीन है। चौमुखनाथ मन्दिर छटवीं शताब्दी का है जो खजुराहो के मन्दिरों से लगभग तीन सौ वर्ष अधिक प्राचीन काल का है। मन्दिर के पुजारी का मानना है कि सिद्धनाथ मंदिर परिसर के चारो ओर 108 मन्दिर व कुटी बने हुए थे, जहां पर साधु-संत, ऋषि-मुनि ब्रहाम्लीन साधना में रत रहते थे।
समय के साथ सबकुछ नष्ट होते गए और समुचित देखरेख न होने के कारण अधिकांश मन्दिर नष्ट होते चले गये। मुझे यहाँ आकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि पुरातात्विक व धार्मिक महत्व के इस स्थल तक पहुचने का सही मार्ग उपलब्ध नहीं है। इस प्राचीन सिद्धनाथ मंदिर स्थल में भगवान श्रीराम के वनवासी रूप की दुर्लभ पाषाण की एक प्रतिमा मिली है। पुरात्वविदों का दावा है कि देश में अब तक मिलीं भगवान राम की पाषाण ( पत्थर) प्रतिमाओं में यह सबसे प्राचीन यह प्रतिमा है।
नमस्ते! मैं अनीता ठाकुर हूँ – इस ब्लॉग लिखने का बिचार मुझे डिग्री पूरी करने के बाद, मेरा दिल मुझे अपने दुनिया देखने की चाहत के पास वापस ले आया, जहाँ मैं वर्तमान में पर्यटन का अध्ययन कर रही हूँ। मेरा सबसे बड़ा लक्ष्य आपको दुनिया भर में छिपे हुए स्थानों को खोजने में मदद करना और आपको उन जगहों पर जाने के लिए प्रेरित करना है जिनके बारे में आपने कभी नहीं सोचा था।