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2024 Bandhavgarh National Park Madhya Pradesh India

Bandhavgarh National Park

Bandhavgarh National Park : बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मध्य भारत में मध्य प्रदेश राज्य में स्थित एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्य है। यह 1,500 वर्ग किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र को कवर करता है और वन्यजीवों की एक विस्तृत श्रृंखला का घर है, जिसमें रॉयल बंगाल टाइगर, भारतीय बाइसन, सांभर हिरण, चित्तीदार हिरण और पक्षियों की कई प्रजातियाँ शामिल हैं। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान भारत में बाघों के उच्चतम घनत्व के लिए जाना जाता है, और आगंतुकों के पास इन राजसी जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने का अच्छा मौका है। पार्क बर्ड वॉचिंग, ट्रेकिंग और वाइल्डलाइफ सफारी के अवसर भी प्रदान करता है।

पार्क का नाम बांधवगढ़ किले के नाम पर रखा गया है, जो इसकी सीमाओं के भीतर स्थित है। माना जाता है कि यह किला पहली शताब्दी ईस्वी पूर्व का है और यह एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है। पार्क 1968 में स्थापित किया गया था और 1993 में इसे टाइगर रिजर्व घोषित किया गया था। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान की अनूठी विशेषताओं में से एक सफेद बाघ की उपस्थिति है, जो बंगाल टाइगर का एक दुर्लभ रंग रूप है। हालांकि सफेद बाघों को देखना अत्यंत दुर्लभ है, पार्क उन्हें कैद में रखने में सफल रहा है।

पार्क अक्टूबर से जून तक आगंतुकों के लिए खुला रहता है, यात्रा करने का सबसे अच्छा समय फरवरी और जून के बीच होता है जब मौसम सुहावना होता है और वन्यजीवों के दर्शन अधिक होते हैं। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश आने वाले प्रकृति प्रेमियों और वन्य जीवन के प्रति उत्साही लोगों के लिए एक दर्शनीय स्थल है। यह भारतीय जंगल की सुंदरता का अनुभव करने और देश की सबसे प्रतिष्ठित वन्यजीव प्रजातियों में से कुछ को देखने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है।

प्रक्रति की सुन्दरता जंगल ,पहाड़ो ,नदियों और उनमे निवास करने वाले जीव जन्तुओ से होती है। यूँ कहे की यह ही प्रक्रति के आभूषण है। इनके बिना इसकी सुन्दरता अधूरी होती है। प्रक्रति की गोद में न जाने कितने रहस्य छुपे हुए।जिनसे मानव जाति अभी भी अभिज्ञ है। इसके विपरीत मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए बहुत से जंगली जानवरों का शिकार करता जिससे बहुत से जीवो की प्रजातियाँ विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गई।इसके विपरीत देश की सरकार ने इन विलुप्त हो रही प्रजातियों को बचाने के लिए बहुत से प्रोजेक्ट को बढावा दिया। बहुत से राष्ट्रीय उद्यानों ,अभ्यारण को बढावा दिया।

Bandhavgarh National Park
Bandhavgarh National Park

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान भारत के मध्य प्रदेश के उमरिया जिले में स्थित एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान है। यह अपनी समृद्ध जैव विविधता, घने जंगलों और रॉयल बंगाल टाइगर की महत्वपूर्ण आबादी के लिए जाना जाता है। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

वन्यजीव: बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान अपनी बाघों की आबादी के लिए प्रसिद्ध है और बाघों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने के लिए भारत में सबसे अच्छे स्थानों में से एक माना जाता है। बाघों के अलावा, पार्क कई अन्य वन्यजीव प्रजातियों का घर है, जिनमें तेंदुए, भारतीय बाइसन (गौर), सांभर हिरण, चित्तीदार हिरण, भौंकने वाले हिरण, जंगली सूअर, सुस्त भालू और कई प्रकार की पक्षी प्रजातियां शामिल हैं।

वनस्पति और जीव: पार्क में घने जंगलों, घास के मैदानों और चट्टानी पहाड़ियों से युक्त विविध पारिस्थितिक तंत्र की विशेषता है। यह मुख्य रूप से साल (शोरिया रोबस्टा) और मिश्रित पर्णपाती जंगलों से आच्छादित है, जो विभिन्न प्रकार के पौधों और जानवरों की प्रजातियों के लिए अनुकूल वातावरण बनाते हैं।

बांधवगढ़ किला: राष्ट्रीय उद्यान के भीतर स्थित, बांधवगढ़ किला एक प्रमुख ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आकर्षण है। ऐसा माना जाता है कि इसका इतिहास प्राचीन काल से है और यह विभिन्न किंवदंतियों और पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है। किला आसपास के परिदृश्य के मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है और पार्क के आकर्षण को बढ़ाता है।

जंगल सफ़ारी: बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटक जंगल और वन्य जीवन का पता लगाने के लिए रोमांचकारी जंगल सफारी का आनंद ले सकते हैं। सफ़ारी खुले 4×4 वाहनों में प्रशिक्षित गाइडों के साथ आयोजित की जाती हैं जो पार्क की पारिस्थितिकी में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं और जानवरों को देखने में मदद करते हैं। सुबह और दोपहर दोनों सफारी उपलब्ध हैं।

बर्ड वॉचिंग: बांधवगढ़ बर्ड वॉचर्स के लिए स्वर्ग है। पार्क विविध एवियन आबादी का घर है, जिसमें निवासी और प्रवासी पक्षी शामिल हैं। पक्षी उत्साही भारतीय रोलर, क्रेस्टेड सर्पेंट ईगल, पैराडाइज फ्लाईकैचर, ग्रेटर रैकेट-टेल्ड ड्रोंगो, और कई अन्य प्रजातियों को देख सकते हैं।

संरक्षण के प्रयास: बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान ने बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। संरक्षण प्रयासों में आवास प्रबंधन, अवैध शिकार विरोधी उपाय और संरक्षण पहलों में सामुदायिक भागीदारी शामिल है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का दौरा करने के लिए परमिट प्राप्त करने और पार्क नियमों का पालन करने की आवश्यकता होती है। यह सलाह दी जाती है कि अपनी यात्रा की योजना पहले से बना लें और अधिकृत चैनलों के माध्यम से सफारी बुक करें। पार्क में पर्यटन के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र हैं, और प्रत्येक क्षेत्र में अनुमत वाहनों की संख्या को आगंतुकों के लिए एक संतुलित अनुभव सुनिश्चित करने और वन्य जीवन में अशांति को कम करने के लिए विनियमित किया जाता है।

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान प्रकृति की सुंदरता को देखने, शानदार बाघों को देखने और मध्य भारत के जंगल में खुद को डुबोने का एक अविश्वसनीय अवसर प्रदान करता है। यह एक अद्वितीय और अविस्मरणीय अनुभव चाहने वाले वन्यजीव उत्साही, फोटोग्राफर और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक लोकप्रिय गंतव्य बना हुआ है।

इन्ही में से एक बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान है। यह उद्यान मध्यप्रदेश में स्थित है। यह मध्यप्रदेश का सबसे प्रशिद्ध उद्यानों में से एक है। 105 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फेले वन को 1968 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया था। लेकिन अब वर्तमान समय में इस उद्यान का दायरा लगभग 437 वर्ग किलोमीटर में फ़ैल चुका है। मध्य प्रदेश के उमरिया में मौजूद यह राष्ट्रीय उद्यान विशेषकर भारत देश के राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण के लिए विश्व प्रशिद्ध है।

यदि आपने कभी अनुभव किया हो की यदि आप किसी ऐसे स्थान पर जाते है जहाँ पर पेड़ पौधे और खुला हुआ वातावरण हो तो वंहा बहुत ही सकारात्मक प्रभाव महसूस करते है।इसी प्रकार यदि आप किसी ऐसी ही जगह पर पर्यटन की द्रष्टि से जाना चाहते है तो आप इन राष्ट्रीय उद्यानों या अभ्यारण को चुन सकते है। भारत में आपको अपनी सुन्दरता से अपनी ओर आकर्षित करते बहुत से वन , राष्ट्रिय उद्यान या अभ्यारण मिल जायेगें। इन्ही सूचि में बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान भी शामिल है।

बांधवगढ़ जो की बाघों के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है। वर्तमान में 437 वर्ग किलोमीटर में अपने पैर पसारे हुए है। बांधवगढ़ विशेष रूप से बाघों के संरक्षण के अलावा अन्य विलुप्त होती जीवों और वनस्पतियों को संरक्षित करता है। जैसे छोटी तितलियों से लेकर राजसी बाघ तक।

इस अभ्यारण में शिकार प्रजातियों में चीतल , नीलगाय ,जगंली सूअर ,सांभर ,लंगूर और रीसस मकाक आदि शामिल है। इनके साथ साथ इन पर निर्भर भेड़िया और सियार ,जंगली कुत्ता ,तेंदुआ और बाघ जैसे शिकारी जानवर भी मौजूद है। इस अभ्यारण में आपको स्तनधारी प्रजातियाँ और पक्षियों की 250 से अधिक प्रजाति भी शामिल है।

यहाँ पर घूमना पर्यटकों के लिए एक सुखद अनुभव से कम नहीं है। बांधवगढ़ का भ्रमण करते समय आपको बहुत अच्छे अच्छे द्रश्य देखने को मिलेंगे। जो की बहुत शानदार होते है। बांधवगढ़ में एक ही जगह नहीं बल्कि और भी अन्य जगह है जहां पर आप भ्रमण कर आनंदित हो सकते है। सफ़ेद बाघ को सबसे पहले बांधवगढ़ के जंगलो में ही देखा गया था।

यदि हम बांधवगढ़ के इतिहास की बात करें तो इतिहास में अपना भी महत्व रखता है यदि हम हिंदू पौराणिक ग्रंथ शिव पुराण से इसकी व्याख्या करें तो इसके अनुसार बांधवगढ़ में बना किला त्रेता युग से संबंधित है यह किला प्रभु श्री राम ने अपने अनुज लक्ष्मण के लिए बनवाया था। यह अभ्यारण पहले 105 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ था लेकिन वर्तमान में इसका क्षेत्रफल 437 वर्ग किलोमीटर हो चुका है।

इसके अलावा यह प्राचीन समय में रीवा राजशाही के अंतर्गत आता था। इस वन में रीवा राजशाही के राजा शिकार करने के लिए यहाँ आते थे। और अन्य देश विदेश के लोग भी यहाँ जंगली जानवरों का शिकार करने के लिए आते थे । लेकिन सन 1954 में यहाँ पर बाघों के शिकार पर पूर्ण रूप से प्रतिवंध लगा दिया गया। बाघों के शिकार पर प्रतिवंध लगाने वाले यहां के अतिम राजा मार्तंड सिंह थे।

बांधवगढ़ में घूमने के लिए जगह

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान(Bandhavgadh National park) में पर्यटकों के भ्रमण के लिए बहुत से खुबसुरत दर्शनीय स्थान मौजूद है।जो बहुत ही सुंदर और लोगों को अपनी और आकर्षित करते है। जो निम्न है

  1. बांधवगढ़ का किला
  2. बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान
  3. शेष सैया
  4. बघेल संग्रालय
  5. पान पंथ वन जीव अभ्यारण
  6. बांधवगढ़ की गुफाएं
  7. बांधवगढ़ सनसेट पॉइंट
  8. घोराडेमाव जलप्रपात

बांधवगढ़ का किला

बांधवगढ़ का किला पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है।यह किला घने जंगलो के बीचों बीच बना हुआ है या यूँ कहे की यह बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान की गोद में स्थित है।किले तक पहुँचने के लिए आपको सफारी बुक करनी पड़ेगी।किले के अंदर पहुँचने पर पर आपको किले में भगवान विष्णु की सैया ,मतस्यावतार ,नरसिंह अवतार और भगवान श्री राम की प्राचीन खंडित मूर्ति देखने को मिलेगी । जिनका सम्बन्ध त्रेता युग से बताया जाता है। इस किले का पुनः उद्धार 2000 बर्ष पूर्व राजा विक्रमादित्य परमार द्वारा कराया गया था। और पढ़ें …

शेष सैया

बांधवगढ़ के घने जंगलों के बीच बने इस किले का मुख्य आकर्षण यहाँ पर स्थित शेष सैया है।जिस पर भगवान श्री हरी की 65 फिट लंबी प्रतिमा विश्राम अवस्था में शेष सैया पर विराजमान है।जिनके चरणों से गंगा का प्रवाह होता है।इसे ही चरण गंगा का उद्गम स्थल कहा जाता है।

बांधवगढ़ की गुफाये

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में कुल 39 गुफाये मौजूद है।जो लगभग 5 किलोमीटर के क्षेत्र में है। जिनमे कुछ गुफाये प्राक्रतिक और कुछ मानव निर्मित है इनमे सबसे प्रसिद्ध गुफा एक विशालकाय चट्टान पर बनी हुई है जिसका आकार एक कछुए के जैसा है।इसे बड़ी गुफा के नाम से जाना जाता है।इस गुफा के अंदर 9 कमरे बने हुए है। जिनमे प्रकाश आने और हवादार झरोखे बने हुए है।इन गुफाओं में बहुत सी जगहों में ब्रम्ह लिपि में जंगली जानवरों की आक्रति उकेरी गई है।

पान पंथ वन जीव अभ्यारण

जब हम बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के भ्रमण के लिए जाते है तब यह पान पंथ वन जीव अभ्यारण रास्ते में पड़ता है।इस अभ्यारण की स्थापना 1983 में की गई थी। इस अभ्यारण में आपको विभिन्न प्रकार की वनस्पतिया और जीव जन्तुओ की प्रजाति देखने को मिल जायेंगी।

बांधवगढ़ सनसेट पॉइंट

बांधवगढ़ सनसेट पॉइंट एक ऐसी जगह है जहाँ पर खड़े होकर हम सूर्यास्त को देखते है तो वह अन्य जगह की तुलना में देखने से बहुत ही सुन्दर द्रश्य प्रस्तुत करता है। यह द्रश्य लोगों को मनोनीत करता है।यह बहुत ही खुबसूरत द्रश्य होता है। बांधवगढ़ ही नहीं बल्कि सतपुड़ा की पहाड़ी पचमढ़ी में भी आपको सनसेट पॉइंट देखने को मिल जायगें।

बघेल संग्रालय

यदि हम बांधवगढ़ के बघेल संग्रालय की बात करे तो इस संग्रालय में इस जगह के गौरवशाली इतिहास की झलक साफ़ साफ़ देख सकते है। इस संग्रालय में यहाँ के राजशाही की झलक देख सकते है।यहाँ पर प्राचीन अस्त्रों को रखा गया है। यहाँ पर यहां के राजा द्वारा शिकार किये गये सफ़ेद बाघ के अवशेष को प्रदर्शनी के लिए रखा गया है।

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान

बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में आप सफारी का मजा ले सकते है। आप सफारी की यात्रा करके यहाँ पर वन्य जीवो को देख सकते है यहां सफारी आपको online बुक करनी पड़ेगी।

घोराडेमाव जलप्रपात

यदि हम राष्ट्रीय उद्यान की बात करे और जलप्रपात की बारे में न जाने या जलप्रपात की सैर न करे तो हमारा घुमने का मजा अधुरा रह जाता है।इसी प्रकार यदि आप बांधवगढ़ जाते है तो आप इस प्राक्रतिक जलप्रपात को देखने ज़रुर जाए।यह जलप्रपात साल के 12 महीने गिरता है।यहाँ पहुंचकर पानी के गिरने की आवाज आपको मंत्रमुघ्ध कर देगी।

संरक्षित क्षेत्र

बांधवगढ़ राष्ट्रिय उद्यान मध्यप्रदेश वन विभाग द्वारा संरक्षित क्षेत्र है।105 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फेले वन को 1968 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया था। मध्यप्रदेश में ऐसे बहुत से राष्ट्रिय उद्यान हैं जिन्हें वन विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है।

प्राकृतिक महत्त्व

बांधवगढ़ राष्ट्रिय उद्यान के प्राक्रतिक महत्त्व की बात करे तो वातावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए इसका बहुत ही अमूल्य महत्त्व है। चूँकि आप जानते ही होंगे की जो वन ,अभ्यारण या जंगल होते है वह हमारे और यहां के वातावरण के लिए बहुत ही लाभकारी होते है।

बांधवगढ़ पहुचने का मार्ग

बांधवगढ़ राष्ट्रिय उद्यान मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित है यदि आप बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान की सैर करना चाहते है तो आपको यहां तक पहुँचने के लिए आप वाहन ,हवाई या ट्रेन की यात्रा करके यहां पहुँच सकते हैं।

ट्रेन का सफ़र करके

आप ट्रेन का सफर करके भी बांधवगढ़ पहुँच सकते है। यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन पिपरिया रेलवे स्टेशन है। पिपरिया रेलवे स्टेशन से बांधवगढ़ राष्ट्रिय उद्यान की दुरी 35 किलोमीटर है। यहाँ से आपको बस या ऑटो आराम से मिल जायेंगे।

हवाई यात्रा करके

बांधवगढ़ से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा जबलपुर डुमना एअरपोर्ट है। जिसकी दुरी लगभग 210 किलोमीटर है।

निजी वाहन या बस से

यदि आप बस की सहायता से बांधवगढ़ पहुंचना चाहते है तो मध्यप्रदेश की हर कोने से यहाँ पहुचने के लिए बस की सेवा उपलब्ध है। इसके अलावा आप अपने निजी वाहनों से भी बांधवगढ़ पहुँच सकते है।

कब आयें

यदि आप बांधवगढ़ घूमने के लिए आते हैं तो आप साल में किसी भी समय यहां पहुँच सकते है। लेकिन आप यदि नवम्वर से अप्रेल के महीने यानि ठंडे मौसम में यहाँ आयेंगे तो यह यात्रा आपके लिए और सुखद होगी। यहां घूमने में आप और आनंदित होंगे।

बांधवगढ़ में ठहरने और खाने की व्यवस्था

बांधवगढ़ में रुकने के लिए आपको होटल की सुविधा उपलब्ध है। यहां होटल्स में रुकना आपके लिए एक बहुत ही अच्छा अनुभव हो सकता है। दरअसल यह होटल्स राष्ट्रिय उद्यान के अंदर होने क्व कारण आपको यहां आसपास वन्य जीव घूमते हुए दिख जायेंगे। जो आपके इस यात्रा को और भी खुबसूरत बना देंगे।

दिशा निर्देश एवं सावधानीयां

  • यदि आप ऐसे अभ्यारण या उद्यान में घुमने जाते है तो आप हमेशा ही वहां एक गाइड के साथ ही भ्रमण करे।
  • किसी वन्य जीव को कुछ खाने को न दे।