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12 Jyotirlingas of Lord Shiv : जाने कहाँ-कहाँ स्थित भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगा

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12 Jyotirlingas : आइये हम सभी इस लेख के माध्यम से जानेगे की भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगा कहाँ और किस रुप में स्थित हैं। ये सभी 12 ज्योतिर्लिंग देश के चारों कोनों से भक्तों के मन में उत्साह व घुमने की इक्छा व्यक्त करता हैं। देश के विभिन्न जगहों पर भगवान शिव के 12 स्वरूप ब्रजमान हैं जिन्हें देश भर में सभी 12 ज्योतिर्लिंग के नाम से जाता है। जिनमे सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारेश्वर, भीमाशंकर, विश्वेश्वर (विश्वनाथ), त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घुष्मेश्वर (घृष्णेश्वर) आदि मंदिर शामिल हैं।

हमारे देश में शिव भक्तों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती ही जा रही हैं, देश के सभी राज्य व कोने-कोने में शिव भक्त मौजूद हैं। जिसे देखन के लिए लोग दूर-दूर अपने पूरे परिवार के साथ में आते हैं। यह सभी ज्योतिर्लिग किसी इतिहासिक चमत्कार से कम नहीं है, जिन्हें देखने के लिए दुसरे देशों से एक-एक महीने की छुट्टी मनाने के साथ-साथ भगवान शिव के दर्शन करने के लिए मौज-मस्ती भरे माहोल में आते हैं। और सभी भक्त अपनी यात्रा पवित्र और सुखद बनाते हैं।

भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग (स्वरूप)

12 Jyotirlingas भगवाव शिव के 12 स्वरुप जिनमे- सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर, केदारेश्वर, भीमाशंकर, विश्वेश्वर (विश्वनाथ), त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वर, घुष्मेश्वर आदि शामिल हैं। साथ ही यह अलग-अलग जगहों पर स्थित हैं।

सोमनाथ गुजरात

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग: गुजरात में स्थित इस मंदिर को वास्तुकला का चमत्कार माना जाता है।

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिग में पहला ज्योतिर्लिंग को सोमनाथ के नाम से जाना जाता हैं। यह भारत देश में गुजरात राज्य के सौराष्ट्र में समुद्र तट के किनारे पर स्थित हैं। यह शहर भी काफी मजेदार हैं। यह मंदिर पूर्व के हिन्दू भक्तों के आकर्षित का केन्द्र रहा हैं।

प्राचीनता : हिन्दू शिव पुराणों के अनुसार मंदिर के बारे में यह सुनने में आता हैं कि सोमनाथ की इस जगह पर चंद्रदेव ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर कठिन परिश्रम (परित्याग) किया था। चंद्रदेव की कठिन तप से भगवान शिव प्रसन्न होकर प्रकट हो गये। चंद्रदेव का एक और नाम सोम होने पर इस जगह का नाम सोमनाथ पड़ गया और यह सोमनाथ के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में माना जाता है कहा जाता है कि इसी स्थान पर भगवान श्री कृष्ण ने अपनी देह का त्याग किया था इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का महत्व और भी बढ़ जाता है गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र पर स्थित बीरबल बंदरगाह की काफी नजदीक यह स्थान अति प्राचीन माना जाता है रिक्वेस्ट में स्पष्ट लिखा गया है कि भगवान चंद्र देव ने भगवान शिव शंकर के इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की थी प्राचीन ग्रंथो के अनुसार भगवान चंद्र दक्ष प्रजापति की 27 कन्याओं से विवाह किया था लेकिन उनमें से रोड़ी नामक अपनी पत्नी को अधिक प्यार सम्मान दिया करता था इस अन्याय को को देखते हुए क्रोध में आकर दक्ष ने चंद्र देव को साथ दिया कि आपसे हर दिन तुम्हारा तेज कांति चमक चिन्ह होता है फल स्वरुप फल दूसरे दिन चंद्र देव का तेज घटने लगा सब से प्रचलित

होकर दुखी भगवान चंद्र ने शिव की आराधना करी अंतरिक्ष से जब प्रसन्न हुए तो साफ भगवान चंद्रदेव को साफ करने का कारण किया है इसीलिए इस स्थान को सोमनाथ कहा जाता है

मल्लिकार्जुन श्रीकैलाश आंध्रप्रदेश

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग: आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में स्थित यह मंदिर भगवान शिव और देवी पार्वती की कथा से जुड़ा हुआ है।

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिग में दुसरे ज्योतिर्लिंग को मल्लिकार्जुन या श्रीकैलाश के नाम से भी जाना जाता हैं। मल्लिकार्जुन आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले में स्थित हैं। श्रीशैल पर्वत से कृष्णा नदी के निकलने से इस जिले का नाम कृष्णा पड़ गया था। तब से यह कृष्णा जिले के नाम से अभी तक प्रसिद्ध है।

प्राचीनता : कृष्णा जिले में स्थित मल्लिकार्जुन मंदिर अपनी मूर्तिकला और वस्तुकला के लिए प्राचीनकाल से प्रसिद्ध है। साथ ही मंदिर की यह विशेषता है, कि यहाँ पर भगवान शिव माता शक्तिपीठ एक साथ ब्रजमान हैं। जिससे मंदिर की सुन्दरता और भी बढ़ जाती हैं। मंदिर के बारे में कहा जाता हैं, कि जो भी इस मंदिर में भगवाव शिव और शक्तिपीठ के एक साथ दर्शन करने से जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

12 ज्योतिर्लिंगों में मल्लिकार्जुन का स्थान दूसरा है यह आंध्र प्रदेश में कृष्णा जिले के कृष्णा नदी किनारे श्रीशैलम नामक पर्वत पर इस तरफ श्रीशैलम जो की एक टाइगर रिजर्व भी है इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कई मानता है ज्योतिर्लिंग के बारे में कहा जाता है कि एक ज्योतिर्लिंग के साथ-साथ 52 शक्तिपीठ में से अभी एक है हालांकि आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में केवल तीन ही ऐसे मंदिर है जिनमें ज्योतिर्लिंग भगवान शिव शंकर के ज्योति स्वरूप ज्योतिर्लिंग और मां आदिशक्ति की शक्ति पीठ एक ही स्थान में माना जाता है कहा जाता है कि भगवान शिव अमावस्या के दिन अर्जुन के रूप में और देवी पार्वती पूर्णिमा के दिन मल्लिका के रूप में प्रकट हुई थी इसलिए इसका नाम मल्लिकार्जुन पड़ा मंदिर में माता पार्वती की ब्रह्मा के रूप में पूजा की जाती इस मंदिर के दक्षिण में का कैलाश भी कहा जाता है चोर को मंदिर के वर्णन में स्कंद पुराण में श्री सेल का नाम के अध्याय मिलता है माना जाता है कि जो भक्त इस मंदिर में पूजा करता है उसे उसमें यज्ञ के बराबर पुण्य के बराबर भागीदार होता है और कहा जाता है कि जब आदि शंकराचार्य ने अपनी भारत की यात्रा धाम यात्रा शुरू करी थी इस मंत्र में शिवानंद नाम नमक लहरी की रचना की थी

महाकालेश्वर उज्जैन मध्यप्रदेश

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: मध्य प्रदेश में स्थित इस मंदिर में भगवान शिव की दक्षिणमुखी एक अनोखी मूर्ति है।

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिग में तीसरे ज्योतिर्लिंग को महाकालेश्वर के नाम से जाना जाता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंगा भारत में मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन शहर में स्थित हैं यहाँ पर भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग लिंगम स्वयंभू के रूप में ब्रजमान है।

उज्जैन के बाबा महाकालेश्वर 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे प्रसिद्ध है महाकालेश्वर मंदिर की महिमा विभिन्न वेद और पुराण में वर्णित है कालिदास के संस्कृत कवियों में इस मंदिर के रूप का वर्णन किया है महाकाल उज्जैन के पीठासीन देवता भी माने जाते हैं मतलब महाकाल की कोई राजा है तो सिर्फ और सिर्फ महाकाल ईश्वर है कहा जाता है कि कोई भी राजा कोई भी जज या कोई भी मनुष्य मंत्री या किसी भी बड़ी संस्था का कोई सीईओ का डायरेक्टर रात को महाकाल में नहीं रोक सकता क्योंकि वहां सिर्फ एक ही राजा रुकता है बाबा महाकाल एक चीज और महाकाल में आपको बड़ी अद्भुत मिलेगी बाबा महाकाल की बस में आरती यहां बहुत प्रसिद्ध है मरे हुए व्यक्ति की शमशान की राख से तक ताजी राख से की जाती है महाकाल मंदिर के ऊपर गर्भ में ओंकारेश्वर शिव की मूर्ति पर गर्भ ग्रह के पश्चिम उत्तर और पूर्व गणेश पार्वती और कार्तिक का चित्र स्थापित दक्षिण नदी की प्रतिमाएं तीसरी मंजिल पर नाग चंद्रशेखर की मूर्ति केवल नाग पंचमी के दिन दर्शन के लिए खोली होती महादशा प्राप्त है कि मंदिर के पास एक विशाल मेला लगता है रात में पूजा होती है महाकालेश्वर की मूर्ति दक्षिण मुखी होने के कारण से दक्षिण मूर्ति भी माना जाता है इस मूर्ति की एक अनूठी विशेषताएं के जैसे तांत्रिक परंपरा द्वारा केवल 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर में पाया जाता ह

ओंकारेश्वर मध्यप्रदेश

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: मध्य प्रदेश में स्थित यह मंदिर पवित्र प्रतीक “ओम” से जुड़ा हुआ है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ही ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग भी है यह ज्योतिर्लिंग अपनी पुत्री मां नर्मदा के तट पर ओंकारेश्वर स्थान पर मान्यता दीप पर स्थित है जो खंडवा जिले में पड़ता है कहा जाता है कि ओंकारेश्वर स्थल पर भगवान सिर्फ दो रूपों में विराजमान है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग के यह दिन दोनों शिवलिंग एक ही ज्योतिर्लिंग माना जाता है खंडवा से 75 किलोमीटर इंदौर खंडवा हाईवे पर यह हिंदुओं को पवित्र स्थान पड़ता है इसी स्थान पर मैं जैन संप्रदाय के सिद्धार्थ कूट भी पड़ता है यह दोनों संप्रदाय के लाखों से आदि गुरु शंकराचार्य और गोविंद जी की गुफा शिवनाथ की भव्य मंदिर भवन में से गोरी सोमनाथ का मंदिर ऋण मुक्ति मुक्तेश्वर मंदिर इस स्थान पर स्थित है दीप के जाकर उनके रूप में इसलिए से ओम्कारेश्वर कहा जाता है

केदारनाथ हिमालय उत्तराखंड

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग: हिमालय में स्थित यह मंदिर चार धाम का हिस्सा है।

उत्तर भारत की वह भूमि जिसे देवों की भूमि भी कहा जाता है सभी लोग उसे देवभूमि के नाम से जानते हैं वह अनोखा राज्य उत्तराखंड उत्तराखंड राज्य में ही एक जिला है रुद्रप्रयाग जहां पर हिंदुओं को विशेष आस्था है और चार धामों में से एक है हिमालय पर्वत की गोद में बसा है एक केदारनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक और कर धर्म में से भी एक इसी को हम पंच केदार भी कहते हैं यह प्रतिकूल जलवायु स्थिति होने के बावजूद अप्रैल से नवंबर माह के मध्य यह दर्शन के लिए खुलता है लाखों से दयाल पत्थरों को चढ़ते हुए इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं इस मंदिर का निर्माण पांडवों के पात्र महाराज जन्म जैन कराया था यह स्वयंभू भगवान शिवलिंग की अति प्राचीन मूर्ति है आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर का जीवन उद्धार कराया था सन 2013 में अचानक आई भाई-बहन संकलन के कारण इस मंदिर को प्रभावित सबसे अधिक प्रभावित iक्षेत्र के रूप में जाना जाता है इस मंदिर का मुख्य केंद्र शादियां पुराण है इस मंदिर के प्रवेश से उसके पूरी तबाही केदारनाथ मंदिर आज भी भी चला है इस मंदिर की रक्षा करती है

भीमाशंकर महाराष्ट्र

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग: पश्चिमी घाट में स्थित यह मंदिर प्रकृति और आध्यात्मिकता का मिश्रण है।

भीम शंकर पुणे के पास महाराष्ट्र के पुणे के पास खेर से 50 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में भूरी गिरी गांव में स्थित चौधरी की पहाड़ियों के घाट क्षेत्र में स्थित है ह ही के समय में भीमाशंकर ने जबरदस्त लोगों का मन अपनी तरफ खींचा है या एक वन्य जीव अभ्यारण भी घोषित हो चुका है पश्चिमी घाट का एक हिस्सा है की विविधता से भरपूर धार्मिक स्थलों में एक भी शंकर बीमा नदी का स्रोत भी है जिसे पंढरपुर में चंद्रमा के नाम से भी जाना जाता है की बनती है कि भी संपन्न शंकर के नाम की उत्पत्ति बीमा नदी से हुई थी जो भगवान शिव और राक्षस त्रिपुरासुर की युद्ध के बीच उत्पन्न हुई बाढ़ के कारण वास्तविक हो गई की भी शंकर हिल और ट्रैक्टर्स के लिए ट्रैक्टर्स की प्रिया कर्तव्य भी है

काशी विश्वनाथ वाराणसी उत्तरप्रदेश

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग: वाराणसी में स्थित इस मंदिर को स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

भगवान काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध स्थल में से एक है जो पवित्र नदी गंगा नदी की पश्चिमी तट पर स्थित है 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्वनाथ या विश्वेश्वर नाम से भी जाना जाता है अर्थात ब्रह्मांड के शासक वाराणसी शहर को काशी भी कहा जाता है इसलिए इस मंदिर को काशी विश्वनाथ मंदिर कहा जाता है

त्र्यम्बकेश्वर महाराष्ट्र

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग: महाराष्ट्र के त्र्यम्बक में स्थित यह मंदिर पवित्र गोदावरी नदी के उद्गम स्थल पर स्थित है।

Trimbakeshwar Jyotirling Mandir Maharashtra prant ke Nasik Jile Mein Kayamat Gaon Mein Yahan Ke nikatvarti brahmgiri Namak Parvat se Godan Nadi Ka udgam Sthal bhi hai मंदिर के अंदर मंदिर के अंदर एक छोटे से गड्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग है जिन्हें ब्रह्मा विष्णु और शिव इन तीनों नाम देवों के प्रतीक माने शिव पुराण के अनुसार ब्रह्मगिरी पर्वत के ऊपर जाने के लिए चौड़ी चौड़ी 700 सीढ़ियां बनी है इन सीडीओ पर चढ़ने के बाद राम कुंड लक्ष्मण कुंड मिलते और शिखर पर पहुंचने में गोमुख से निकलती हुई भगवती गोदावरी के दर्शन होते हैं

वैघनाथ देवगढ़ महाराष्ट्र

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग: देवघर, झारखंड में स्थित है।

बैद्यनाथ बैजनाथ मंदिर झारखंड राज्य के देवघर नमक स्थान में बाबा बैजनाथ के नाम से विश्व प्रसिद्ध है इसी को बैजनाथ धाम भी कहते हैं सभी श्रद्धालु अजय मंदिर सुल्तानगंज से लेकर लगभग 100 किलोमीटर बाबा को जल चढ़ाते हैं इस बाबा बैजनाथ लिंग की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि अशोक राज रावण ने हिमालय जाकर शिवजी को प्रसन्न तक लिखो अपने सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ने से रुपए एक-एक करके 9 से चढ़ाने का दसवां सीरवी काटने को था कि शिवजी प्रसन्न होगा प्रकट होगा उन्होंने उसकी दसों से क्यों कर दिया और उसे वरदान रावण ने लंका में जाकर उसे लिक की स्थापना करने के लिए जाने की आज्ञा मांगी शिव जी ने अनुमति दे दी इस पर चेतावनी दी की साथ ही यदि मार्ग में इस पृथ्वी पर रख देगा तो वही आंचल हो जाएगा निवृत्ति की आवश्यकता हुई लंका चला गया उधर ब्रह्मा विष्णु आदि देवता ने आकर शिवलिंग की पूजा की शिवजी के दर्शन होती सभी देवताओं ने शिवलिंग को ही स्थान पर पैसे स्थापना को चले गए

नागेश्वर द्वारिका गुजरात

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: द्वारका, गुजरात में स्थित है।

नागेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंगों में दसवां स्थान रखता है इस ज्योतिर्लिंग के बारे में पौराणिक रूप से कहा जाता है होने के दावे जिन दो स्थानों पर किया उनमें से एक आंध्र प्रदेश की अवदा गांव माना जाता है हावड़ा गांव महाराष्ट्र राज्य की प्रामाणिक क्षेत्र से होकर हिंगोली आने पर तो दूसरा स्टार उत्तराखंड में अल्मोड़ा में सहस्त्र मील दूर जागेश्वर नमक तिर्वा यह उत्तर वृंदावन में मनाया जाता है

रामेश्वर रामेश्वरम तमिलनाडु

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग: रामेश्वरम, तमिलनाडु में स्थित है।

रामेश्वर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से 11 ज्योतिर्लिंग है या हिंदुओं के चार धामों में से एक प्रमुख धाम भी है भारत के उत्तर में काशी को जो मानता है वहीं दक्षिण में रामेश्वर की है रामेश्वरम चेन्नई से लगभग 425 किलोमीटर दूर दक्षिण पूर्व में है या हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों ओर से घिरा हुआ एक सुंदर संघ आकार का दीप है बहुत पहले अधिक भारत की मुख्य भूमि के साथ जुड़ा हुआ था परंतु बाद में सागर की लहरों से मिलने वाली कड़ी काट डाला जिसमें वह चारों ओर पानी से गिरकर टापू बन गया है यहां भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व पत्रों के सेतु निर्माण कराया था जिस पर चढ़कर बहन सी लंका पहुंचे और विजय पे बाद में राम ने विभीषण के अनुरोध पर धनुष कोटी नामक स्थान पर स्थित तोड़ दिया था आज भी इस 30 मिल के लंबे आदि से तो अब से सागर में दिखाई देते हैं यह मंदिर तीसरे प्रकार का गलियारा का विश्व का सबसे लंबा गली आ रहा है जिस स्थान पर टापू मुख्य भूमि से जुड़ा था वह इस समय ढाई मिल चौड़ी और एक कड़ी शुरू में खड़ी को नाम से पर किया जाता बताया जाता बहुत पहले धनुष कोटी से मुन्ना दीपक पैदल चलकर भी लोग जाते थे लेकिन 1480 इसमें चक्रवर्ती तूफान में से तोड़े बाद में आज से लगभग 400 वर्ष पहले कृष्ण नारायण नामक एक राजन इस स्तर पर पत्थर का बहुत बड़ा पुल बना है अंग्रेजों के आने के बाद स्कूल की जगह पर रेल का पुल बनवाने का विचार हो उसे समय तक पूर्ण पत्थर का पुल लहरों की टक्कर टूट चुका था

घृष्णेश्वर शिवाड़ महाराष्ट्र

भुवनेश्वर ज्योतिर्लिंग या भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में बार-बार स्थान रखता है जो विरुद्ध गांव के औरंगाबाद जिला महाराष्ट्र इंडिया में पड़ता है यह मंदिर राष्ट्रीय संरक्षित स्थल जो एलोरा गुफाओं से डेढ़ किलोमीटर दूर औरंगाबाद शहर के उत्तर पश्चिम के 30 किलोमीटर और मुंबई से 300 किलोमीटर में पड़ता है मंदिर की संरचना 13वीं और 14वीं शताब्दी में दिल्ली केंद्रीय द्वारा नष्ट कर दी गई थी मुगल मराठा संघर्ष के दौरान मंदिर के कई बार निर्माण किया गया मुगल साम्राज्य के पतन के बाद इंदौर की रानी है कि परियोजना में इसके वर्तमान स्वरूप का निर्माण किया गया

भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग









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