Mahakaleshwar Mandir Ujjain : महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है जिसे भगवान् शिव का सबसे पवित्र निवास माना जाता है। यह भारत के मध्य प्रदेश राज्य के प्राचीन शहर उज्जैन में स्थित है। यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
भगवान शिव का सबसे पवित्र निवास स्थान माना जाता है। यहाँ पर प्रत्येक वर्ष सावन माह में लाखों की संख्या में कावड़िया कावर लेके भगवान् के दरवार में अपना माथा टेकने व आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं।
मंदिर रुद्र सागर झील के किनारे स्थित है। पीठासीन देवता, लिंगम रूप में भगवान शिव को स्वयंभू माना जाता है, जो स्वयं के भीतर से शक्ति (शक्ति) की धाराएँ प्राप्त करते हैं, अन्य छवियों और लिंगमों के विपरीत जो कि अनुष्ठानिक रूप से स्थापित होते हैं और मंत्र-शक्ति के साथ निवेशित होते हैं।
Mahakaleshwar Mandir Ujjain
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और हिंदू पौराणिक कथाओं और धार्मिक प्रथाओं में इसके महत्व के लिए जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह उज्जैन के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है, जिसकी उत्पत्ति प्राचीन काल में हुई थी। महाकालेश्वर मंदिर की एक अलग वास्तुकला है और यह अपने विशाल मीनारों के लिए जाना जाता है।
मंदिर के मुख्य देवता भगवान महाकालेश्वर हैं, जो भगवान शिव का एक रूप हैं। माना जाता है कि गर्भगृह में लिंगम (भगवान शिव का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व) स्वयंभू माना जाता है, जिसका अर्थ स्वयं प्रकट होता है।
मंदिर देश भर से बड़ी संख्या में भक्तों और तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है, विशेष रूप से महा शिवरात्रि के त्योहार के दौरान, जब विशेष समारोह और अनुष्ठान होते हैं। इस समय के दौरान वातावरण जीवंत और आध्यात्मिक रूप से चार्ज होता है।
महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन करने से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद लेने और उज्जैन की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का अनुभव करने का अवसर मिलता है।
मंदिर परिसर में कई छोटे मंदिर और महाकालेश्वर का एक बड़ा मंदिर है, जो वास्तुकला की नागर शैली में बनाया गया है। शिखर या शिखर एक स्वर्ण कलश और ध्वज से सुशोभित है। मंदिर में भगवान हनुमान को समर्पित एक छोटा मंदिर भी है। यह मंदिर अपने धार्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है।
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माघ के हिंदू कैलेंडर माह के दौरान हर महीने, माघ मेला नामक एक विशेष मेला मंदिर परिसर के पास आयोजित किया जाता है। मेले में भाग लेने के लिए पूरे भारत से हजारों श्रद्धालु मंदिर में आते हैं।
मंदिर के साथ कई किंवदंतियां भी जुड़ी हुई हैं। ऐसी ही एक कथा में कहा गया है कि यहां के भगवान शिव इतने शक्तिशाली हैं कि भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु को भी उनके सामने झुकना पड़ा। धार्मिक महत्व के अलावा, मंदिर उज्जैन शहर का एक शानदार दृश्य भी प्रस्तुत करता है। मंदिर सप्ताह के सभी दिन खुला रहता है और आगंतुक आशीर्वाद लेने और दृश्य का आनंद लेने के लिए मंदिर जा सकते हैं।
महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Mandir Ujjain)
भगवान अनादि शिव महाकाल को समर्पित है। यहां पर हर वर्ष लाखो की संख्या में श्रद्धालु आते है। यह बहुत ही प्राचीन और आलौकिक तीर्थ स्थल है। यहां पर सिर्फ हिंदू ही नही बल्कि अलग अलग धर्म के लोग भी बाबा महाकाल के दर्शन के पुण्य लाभ लेने के लिए उज्जैन नगरी में पधारते है। और बाबा सब पर कृपा करते है। आप भी जहां से भी इस लेख को पढ़ रहे है। आप भी एक बार तीर्थ स्थल उज्जैन में जरुर आए।
महाकालेश्वर मन्दिर
परमपिता भगवान शिव का मंदिर भारत के राज्य मध्यप्रदेश के उज्जैन नगरी में क्षिप्रा नदी के निकट स्थित हैं। यहां पर भगवान महाकाल , महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजे हुए है। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग है। यह दक्षिणमुखी स्वयंभू शिवलिंग महाकालेश्वर के नाम से प्रसिद्ध है। और यह उज्जैन के राजा है और उज्जैन ही नही यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी है।
महाकालेश्वर मन्दिर एक बहुत बड़े भू भाग में फैला हुआ है। इस मंदिर के साथ साथ इस परिसर में और भी छोटे बड़े मंदिर है जो अन्य देवी देवताओं को समर्पित है।
मुख्य मन्दिर में श्री महाकाल बाबा का एक दक्षिणमुखी शिवलिंग है विश्व में मात्र एक ऐसा शिवलिंग है जिनका मुख दक्षिण दिशा की ओर है। महाकालेश्वर को ज्योतिष और तंत्र मंत्र के लिए विशेष महत्व दिया गया है।
महाकाल मंदिर बहुत ही आकर्षक और मनमोहन है। यहां पर मंत्रो की गूंज मन को अति भाव भीभोर कर देते है। यहां पर पहुंचकर मन को असीम शांति का अनुभव मिलता है। मन्दिर के अंदर जाने के लिए आपको कतारबद्ध होकर धीरे धीरे प्रवेश करना पड़ेगा।
आप जैसे ही अंदर जाते जाएंगे आपको मंत्रो की गूंज मंत्रमुग्ध करती जाएगी।और आप इसी बीच महाकाल के गर्भगृह के सामने पहुंच जाएंगे। जैसे ही आप शिवलिंग को देखेगे आपकों बाबा महाकाल से प्रेम हो जाएगा।और आप बस उनको ही देखते रह जाएंगे।
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इसके साथ साथ महाकाल मन्दिर के गर्भगृह में महाकाल की शिवलिंग के सामने हमेशा नंदी दीप जलता रहता है। शिवलिंग के बिल्कुल सामने नंदी की प्रतिमा स्थापित है। और मंदिर के गर्भ गृह में माता पार्वती , भगवान गणेश और कार्तिकेय के साथ विराजमान है।
यही कक्ष में बैठ सभी श्रद्धालु शिव जी की आराधना करते है। मुख्य मंदिर के ऊपरी भाग में नागचंद्रेश्वर मंदिर है जो हर वर्ष सिर्फ नागपंचमी के दिन ही खुलता है।
यहां मंदिर परिसर में और भी मंदिर है जो भक्तजनों की आस्था का केंद्र है जैसे नीलकंठ महादेव, कोटेश्वर महादेव, गोविंदेश्वर महादेव, चंद्रादित्यईश्वर मंदिर, रिद्धि सिद्धि गणेश
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महाकालेश्वर उज्जैन कैसे पहुंचे
उज्जैन से 60 KM दूरी पर देवी अहिल्या एयरपोर्ट है जिससे बहुत से श्रद्धालु हवाई यात्रा करके भी उज्जैन पहुंचते है। इसके अलावा उज्जैन जंक्शन भी है जहां से मंदिर की दूरी करीब 3 KM होगी। साथ ही बहुत से श्रद्धालु अपने स्वयं के वाहनों से भी महाकाल के दर्शन करने के लिए पहुंचते है।
इतिहास
जितना रोचक महाकाल मंदिर है उतना ही रोचक यहाँ का इतिहास है शिव पुराण में उल्लेख मिलता है की उज्जैन में स्थापित महाकाल मंदिर बहुत ही प्राचीन है।कहते है की इस मंदिर की स्थापना द्वापर युग में श्री कृष्ण के पालनहार नंद बाबा के आठ पीढ़ी पूर्व हुई थी। लेकिन यहां पर जो शिवलिंग है वह अनादि काल पूर्व स्वयं ही प्रकट हुए है।
महाकालेश्वर मंदिर के रहस्य
- प्राचीन समय में संपूर्ण विश्व का मानक समय यहीं से निर्धारित होता था इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का महाकालेश्वर कहते है और एक कारण और यह है की राक्षस दूषण का अंत करने के लिए भगवान स्वयं भू के रूप में काल बनके प्रकट हुए। इस कारण से भी इन्हे महाकालेश्वर कहा जाता है।
- महाकाल से एक और अर्थ यह होता है की जो कालो का भी काल है उन्हे हम महाकाल कहते है ।
- कहते है की उज्जैन के राजा सिर्फ बाबा महाकाल ही है। राजा विक्रमादित्य के शासन काल के बाद से कोई भी राजा यहां रात के समय नहीं रुक सकता। पौराणिक मान्यताओं और सिंहासन बत्तीसी की कथा के अनुसार भोपाल के राजा भोज के काल से से कोई राजा यहां नहीं रुक सका जिसने भी यह दुस्साहस किया उसने अपने शासन को खोना पड़ा।
- प्राचीन समय की बात है राजा चंद्र सिंह भगवान शिव के बहुत बड़े उपासक थे। राजा चंद्र सिंह के शासन काल में राजा रिपुदम्न ने उज्जैन पर आक्रमण कर राक्षस दूषण की मदद से यहां की प्रजा पर बहुत ही अत्याचार किया जब चंद्र सिंह ने भगवान शिव से प्रार्थना की तब भगवान शिव ने दूषण का बध कर उसकी भस्म से अपना श्रंगार किया तभी से भगवान शिव की भस्म आरती की जाती है।
रुकने और भोजन की व्यवस्था
चूँकि उज्जैन काफी बड़ा शहर है और बहुत सारे दर्शनीय स्थल हैं जिसे एक दिन में पूरा घूमना मुश्किल हैं इसलिए लोग यंहा 3 से 5 दिन का प्लान करके आते हैं। यहाँ पर लोगो के रुकने के लिए बहुत सारे रिसोर्ट मोजूद है और खाने के लिए होटल भी उपलब्ध है।
अन्य दर्शनीय स्थल
उज्जैन को महाकाल की नगरी कहा जाता है। महाकाल मंदिर के साथ ही उज्जैन में बहुत सारे दर्शनीय स्थल हैं। जैसे की माँ महाशक्ति के मदिर, माता हरसिद्धि मंदिर, माता गढ़ कालिका मंदिर, काल भेरव मंदिर, नव गृह मंदिर, चिंतामण गणेश मंदिर, राजा भर्तहरी की तपोभोमी, संदीपनी आश्रम, नगर कोटि की माता, शिप्रा तट, 12 खम्बा, सिंघासन-बत्तीसी, बढे गणेश मंदिर,
नमस्ते! मैं अनीता ठाकुर हूँ – इस ब्लॉग लिखने का बिचार मुझे डिग्री पूरी करने के बाद, मेरा दिल मुझे अपने दुनिया देखने की चाहत के पास वापस ले आया, जहाँ मैं वर्तमान में पर्यटन का अध्ययन कर रही हूँ। मेरा सबसे बड़ा लक्ष्य आपको दुनिया भर में छिपे हुए स्थानों को खोजने में मदद करना और आपको उन जगहों पर जाने के लिए प्रेरित करना है जिनके बारे में आपने कभी नहीं सोचा था।
Very Good Article Post