Puducherry

Puducherry : पुदुच्चेरी केवल पर्यटन की दृष्टि से ही नहीं अपितु आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टि से भी यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है

Puducherry : पुदुच्चेरी इसके पहले इसका नाम पॉन्डिचेरी था, यह भारत का एक केन्द्र शासित प्रदेश है। इसके पहले पुदुच्चेरी राज्य एक फ्रांसीसी उपनिवेश हुआ करता था। इसमें कुल 4 जिलों के मिलकर पुदुच्चेरी या पॉन्डिचरी नाम इसके सबसे बड़े जिले पुदुच्चेरी के नाम पर रखा गया।

सन 2006 के सितम्बर माह में पॉन्डिचरी का नाम आधिकारिक रूप से बदलकर अब नया नाम पुदुच्चेरी कर दिया गया। स्थानीय भाषा तमिल में इसका अर्थ नया गाँव होता है। भारत का पुदुच्चेरी लगभग 300 वर्षों के लम्बें समय तक फ्रांसीसी अधिकार क्षेत्र में रहा, जिसकें कारण आज भी आपकों फ्रांसीसी वास्तुशिल्प और संस्कृति देखने को यहाँ मिल जायेगीं।

17 वीं से लेकर 18 वीं सदी के समय तक यह में यह फ्रांस के साथ होने वाले व्यापार का मुख्य केंद्र रहा। वर्त्तमान समय में अनगिनत पर्यटक इसके सुंदर समुद्र तटों देखने और तत्कालीन सभ्यता की झलक पाने के लिए यहाँ आते रहतें हैं। पुदुच्चेरी राज्य आज केवल पर्यटन की दृष्टि से ही नहीं अपितु आध्यात्मिक, धार्मिक और आर्थिक दृष्टि से भी यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। पुदुच्चेरी की सुन्दरता को देखने प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक यहाँ आते हैं।

पुदुच्चेरी के मुख्य पर्यटन स्थल

पुदुच्चेरी की विधान सभा

आज पुदुचेरी केन्द्र शासित प्रदेश में भारतीय और फ्रेंच संस्कृति की एक साथ दर्शन होते हैं। यहां के स्मारक इतिहास से आपकों रूबरू कराते हैं तो, साथ ही यहाँ के मंदिर मन को श्रद्धा से भर देते हैं।

आध्यात्म की भूमि

जो व्यक्ति जीवन की भागदौड़ से थक चुके होतें हैं और वह शांति व आध्यात्म की तलाश में यहाँ- वहां भटकतें हैं, उनके लिए पुदुचेरी बिल्कुल सही और उपयुक्त जगहों में से एक है। आज से नहीं वल्कि प्राचीन काल से ही पुदुचेरी वैदिक संस्कृति का केंद्र रहा है। यह पुदुच्चेरी की भूमि महान ऋषि अगस्त्य की तपो भूमि रह चुकी है। पुदुचेरी की आध्यात्मिक शक्ति 12वीं शताब्दी के आस-पास में उचाईयों को छू रही थी, जब से यहाँ पर अरविदों आश्रम की स्थापना हुई। प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में लोग सुकून की तलाश में यहाँ आते रहतें हैं।

पेराडाइज बीच

पेराडाइज बीच शहर से 8 किलोमीटर दूर कुड्डलोर मेन रोड के पास स्थित है। इस बीच के एक ओर छोटी खाड़ी मौजूद है, और यहाँ केवल नाव के द्वारा ही पहुँचा जा सकता है। नाव से जाते समय अगर आपकी किस्मत अच्छी रही तो आपकों पानी में डॉल्फिन के करतब देख कर एक सुखद यादगार अनुभव होगा। पुदुच्चेरी का प्राकर्तिक वातावरण देखकर ऐसा अहसास होता है, कि यह वास्तव में स्वर्ग के समान है।

ऑरोविल्ले बीच

ऑइरोविले बीच जैसा कि नाम से ही जाहिर है यह बीच ऑरोविल्ले के पास स्थित है। पुदुचेरी से लगभग १२ किलोमीटर दूर इस तट का पानी अधिक गहरा नहींहोने के कारण पानी में तैरने के शौकीनों के लिए यह बिल्कुल सही और सुरक्षित जगह है। ऑरोविल्ले बीच में समय बिताना लोगों को बहुत अच्छा लगता है। रविवार के दिन यहाँ बहुत भीड़ रहती है। सप्ताह के बाकी दिन यहाँ ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं होती।

पार्क स्मारक

पुदुचेरी के बीचों-बीच स्थित आयी मंडपम सरकारी पार्क यहाँ का सबसे खूबसूरत सार्वजनिक स्थानों में से एक है। यहाँ का मुख्य आकर्षण पार्क के केंद्र में बना आयी मंडपम जगह है। इस सफेद रंग की इमारत का निर्माण नेपोलियन तृतीय के शासन काल के में किया गया था। यह इमारत ग्रीक और रोमन वास्तु शिल्प कला का उत्कृष्ट नमूना है। इस जगह का नामकरण इस महल में काम करने वाली एक महिला के नाम पर रखा गया था। उस महिला ने अपने घर के एक स्थान पर जलकुंड बनाया था, इसी जलकुंड से कभी नेपोलियन ने पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई थी, इससे नेपोलियन ने खुश होकर स्मारक का नाम आयी मंडपम रखा।

अरिकमेडु

यह प्रसिद्ध एवं ऐतिहासिक जगह पुदुचेरी से 4 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है, जो तत्कालीन समय के स्थानीय लोगों के द्वारा रोमन कॉलोनियों के साथ व्यापार का इतिहासिक स्थल व प्रतीक है। यहाँ पर व्यापार ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में हुआ करता था। यहाँ पर स्थानीय व्यापारी वाइन का आयात किया करते थे और इसके बदले में कपड़ा, बहुमूल्य रत्न और आभूषण आदि का निर्यात करते थे। आज भी यहाँ 18वी. शताब्दी में निर्मित फ्रेंच जेसूट मिशन हाउस के खंडहर देखे जा सकते हैं, जो सन 1783 में बंद कर दिया गया था।

आनंद रंगा पिल्लई महल

जब यहाँ पर फ्रांसीसीयों का शासन हुआ करता था, तब आनंद रंगा पिल्लई पुदुचेरी के राज्यपाल नियुक्त थे। आनंद रंगा पिल्लई द्वारा लिखीं डायरियां 18 वीं शताब्दी के फ्रांस और भारत संबंधों के बारे में जानकारी देती हैं। यह महल पुदुचेरी के दक्षिणी भाग पर बची हुई कुछ प्राचीन इमारतों में से एक है। इसका निर्माण 1738 में किया गया था। इस इमारत वास्तुशिल्प भारतीय और फ्रेंच शैली का अनूठा मिश्रण है।

डुप्लेक्स की प्रतिमा

फ्रेंकॉइस डुप्लेक्स पुदुचेरी के गवर्नर थे जो सन 1754 तक इस पद पर आसीन रहे। सन 1870 में इनके द्वारा किए गए विशेष कार्यो को देखते हुए इन्हें श्रद्धांजली अर्पित करने के उद्देश्य से इनकी दो प्रतिमाओं की स्थापना की गई थी। एक फ्रांस में और दूसरा पुदुचेरी में है, जो 2.88 मी. ऊंची ग्रेनाइट से निर्मित यह मूर्ति गौवर्ट एवेन्यू पर स्थित है।

विल्लन्नूर

श्री गोकिलंबल तिरुकामेश्वर मंदिर जो पुदुचेरी से 10 किलोमीटर दूदुरी पर मौजूद है। यहाँ पर एक दस दिवसीय ब्रह्मोत्सव समारोह का विशेष आयोजन होता हैं,जिसे देखने यहाँ पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यह ब्रह्मोत्सव हर वर्ष मई-जून के बीच में मनाया जाता है। इस ब्रह्मोत्सव में मंदिर के 15 मी. ऊंचे रथ को हजारों भक्तों द्वारा रथ खींचे जाने का दृश्य अदभूत होता है।
पुदुचेरी के उपराज्यपाल भी ब्रह्मोत्सव यात्रा में भाग लेते हैं। साथ ही सर्वधर्म समभाव की प्रतीक यह यात्रा फ्रेंच शासन काल के दौरान से लगातार होती आई है। उस समय फ्रेंच गवर्नर स्वयं इस रथ को खींचते थे।

ऑस्टेरी झील

10 हैक्टेयर के क्षेत्र में फैली ऑस्टेरी झील जहाँ पर आपकों पक्षियों की दुर्लभ से दुर्लभ प्रजातियां देखने को मिल जायेंगी हैं।

निकटवर्ती दर्शनीय स्थल

शिंजी

पुदुचेरी के उत्तर पश्चिम में स्थित विल्लुपुरम जिले के इस क्षेत्र में सबसे सुंदर और आकर्षक किला शिंजी स्थित है, 800 फीट ऊंचा एक विशाल किला तीन पहाड़ियों के मध्य राजगिरी, कृष्णागिरी और चंद्रायन दुर्ग तक फैला है। किले का मुख्य हिस्सा राजगिरी पहाड़ पर मौजूद है जो तीनों पहाड़ों में से सबसे ऊँचा है।

किले के अंदर आपकों देखने को मिलेगा अन्नभंडार गृह, शस्त्रागार, टैंक और मंदिर इत्यादि। इसका मुख्य प्रवेश द्वार कल्याण महल के सामने स्थित है। यहाँ पर 700 मी. की ऊँचाई पर एक पुल मौजूद है जो किले को अन्य इमारतों से जोड़ता है। इतनी ऊँचाई से जब आप नीचे शिंजी नगर को देखोंगे तो आपकों रोमांचित कर देने वाला अनुभव होगा है। पर्यटक शुल्क देकर आप इस ऐतिहासिक किले को वहुत निकट से देख सकते हैं।

चिदम्‍बरम

चिदम्‍बरम जगह पुदुचेरी के दक्षिण में राष्ट्रीय राजमार्ग 45 A पर स्थित है। चिदम्‍बरम शिव जी के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर शिव की शुभनायक नटराज अवतार की पूजा अर्चना मंदिर में शिवजी की अक्ष लिंगम रूप में भी पूजा की जाती है। इस मंदिर का निर्माण लगभग 10 वीं से 14 वीं शताब्दी के बीच का माना जाता जाता है, साथ ही 10 वीं शताब्दी में चोल राजा परांतका प्रथम ने इस मंदिर को सोने से ढक दिया था जिस कारण जब सूरज की रोशनी इस मंदिर पड़ती तो यह मंदिर सूर्य की तरह ही जगमगाता था।

कैसे पहुँचे

नजदीकी हवाई अड्डा चैन्नई है जो भारत और दुनिया के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग से निकटतम रेल जंक्शन विल्लापुरम है जो चेन्नई और मदुरै/त्रिवेंद्रम से जुड़ा है।
सड़क मार्ग जो राष्ट्रीय राजमार्ग ४५ के द्वारा पुदुचेरी जाया जा सकता है।

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